प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी को लेकर वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पूरी प्रक्रिया पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। सूत्र बता रहे हैं कि जहां सांसद इस आस में बैठे थे कि बजट सत्र में वेतन बढ़ोतरी से जुड़ी सभी प्रक्रिया समाप्त हो जाएगी और मई-जून से बढ़ा वेतन लागू कर दिया जाएगा वहीं पीएम मोदी ने कहा है कि सांसदों को अपना वेतन खुद ही नहीं बढ़ाना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक़ पीएमओ फ़िलहाल मंज़ूरी देने के पक्ष में नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक़ राजनीतिक तौर पर अभी वेतन बढ़ाने का माहौल नहीं है। इससे जनता के बीच गलत संदेश जा सकता है। एक तरफ़ जनता से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने को कहा जा रहा है वहीं सांसदों के वेतन बढ़ाने से सवाल उठ सकते हैं।
पीएम मोदी की राय
पीएम मोदी ने कहा है कि सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी के लिए एक ऐसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए जैसे कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी के समय अपनाई जाती है। सूत्र बता रहे हैं कि पीएम मोदी ने कहा है कि सांसदों का वेतन भी किसी आयोग के तहत जैसे पे कमीशन आदि से तय किया जाना चाहिए।
बता दें कि संसद की एक स्टैंडिंग कमेटी जिसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ हैं, ने सांसदों का वेतन बढ़ाए जाने का एक प्रस्ताव वित्तमंत्रालय को भेजा था। इस प्रस्ताव को वित्तमंत्रालय ने स्वीकार कर लिया और इसे PMO के पास स्वीकृति के लिए भेज दिया है।
सांसदों का वेतन दोगुना करने का प्रस्ताव संसद में आया था
गौरतलब है कि सांसदों का वेतन दोगुना करने का प्रस्ताव संसद में आया था। संसदीय कार्य मंत्रालय के इस प्रस्ताव में सांसदों का वेतन 50 हजार से एक लाख करने का प्रस्ताव रखा गया था। साथ ही इसमें सांसदों के दफ़्तर, संसदीय क्षेत्र का भत्ता भी दोगुना करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें सांसदों का वेतन और भत्ता मिलाकर 2 लाख 80 हज़ार करने का प्रस्ताव है। हालांकि, कुछ सांसद मूल वेतन बढ़ाए जाने के पक्ष में नहीं थे।
एक और प्रस्ताव है वित्तमंत्रालय के पास
जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय के पास एक दूसरा प्रस्ताव भी भेजा गया था, जिसके मुताबिक यह प्रस्ताव भी किया गया था कि सांसदों की तनख्वाह को वेतन आयोग से जोड़ दिया जाए। यानी जब-जब वेतन आयोग अपने हिसाब से सरकारी कर्मचारियों के वेतन को बढ़ाए तब सांसदों की तनख्वाह भी अपने आप बढ़ जाए।
सांसदों की मांग
कुछ सांसदों की यह मांग थी कि केंद्र सरकार में सचिवों की तनख्वाह से सांसदों का वेतन एक हजार रुपये ज्यादा रखा जाए। कुछ का कहना है कि मंत्री की तनख्वाह कैबिनेट सचिव से दस हजार रुपये ज्यादा हो और प्रधानमंत्री की डेढ़ गुना ज्यादा हो। ये दो प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के सामने भेजे गए थे। फिलहाल सूत्र बता रहे हैं कि मंत्रालय ने पहले प्रस्ताव को मंजूरी के लिए पीएमओ भेज दिया है।
सूत्रों के मुताबिक़ राजनीतिक तौर पर अभी वेतन बढ़ाने का माहौल नहीं है। इससे जनता के बीच गलत संदेश जा सकता है। एक तरफ़ जनता से एलपीजी सब्सिडी छोड़ने को कहा जा रहा है वहीं सांसदों के वेतन बढ़ाने से सवाल उठ सकते हैं।
पीएम मोदी की राय
पीएम मोदी ने कहा है कि सांसदों के वेतन में बढ़ोतरी के लिए एक ऐसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए जैसे कि सरकारी कर्मचारियों के वेतन बढ़ोतरी के समय अपनाई जाती है। सूत्र बता रहे हैं कि पीएम मोदी ने कहा है कि सांसदों का वेतन भी किसी आयोग के तहत जैसे पे कमीशन आदि से तय किया जाना चाहिए।
बता दें कि संसद की एक स्टैंडिंग कमेटी जिसके अध्यक्ष बीजेपी सांसद योगी आदित्यनाथ हैं, ने सांसदों का वेतन बढ़ाए जाने का एक प्रस्ताव वित्तमंत्रालय को भेजा था। इस प्रस्ताव को वित्तमंत्रालय ने स्वीकार कर लिया और इसे PMO के पास स्वीकृति के लिए भेज दिया है।
सांसदों का वेतन दोगुना करने का प्रस्ताव संसद में आया था
गौरतलब है कि सांसदों का वेतन दोगुना करने का प्रस्ताव संसद में आया था। संसदीय कार्य मंत्रालय के इस प्रस्ताव में सांसदों का वेतन 50 हजार से एक लाख करने का प्रस्ताव रखा गया था। साथ ही इसमें सांसदों के दफ़्तर, संसदीय क्षेत्र का भत्ता भी दोगुना करने का प्रस्ताव रखा गया है। इसमें सांसदों का वेतन और भत्ता मिलाकर 2 लाख 80 हज़ार करने का प्रस्ताव है। हालांकि, कुछ सांसद मूल वेतन बढ़ाए जाने के पक्ष में नहीं थे।
एक और प्रस्ताव है वित्तमंत्रालय के पास
जानकारी के अनुसार, वित्त मंत्रालय के पास एक दूसरा प्रस्ताव भी भेजा गया था, जिसके मुताबिक यह प्रस्ताव भी किया गया था कि सांसदों की तनख्वाह को वेतन आयोग से जोड़ दिया जाए। यानी जब-जब वेतन आयोग अपने हिसाब से सरकारी कर्मचारियों के वेतन को बढ़ाए तब सांसदों की तनख्वाह भी अपने आप बढ़ जाए।
सांसदों की मांग
कुछ सांसदों की यह मांग थी कि केंद्र सरकार में सचिवों की तनख्वाह से सांसदों का वेतन एक हजार रुपये ज्यादा रखा जाए। कुछ का कहना है कि मंत्री की तनख्वाह कैबिनेट सचिव से दस हजार रुपये ज्यादा हो और प्रधानमंत्री की डेढ़ गुना ज्यादा हो। ये दो प्रस्ताव वित्त मंत्रालय के सामने भेजे गए थे। फिलहाल सूत्र बता रहे हैं कि मंत्रालय ने पहले प्रस्ताव को मंजूरी के लिए पीएमओ भेज दिया है।
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