"आपको धक्का दूंगी, डांटूंगी, भगाऊंगी": कांग्रेस कार्यकर्ता से ऐसा क्यों बोलीं प्रियंका गांधी?

1952 में अपने पहले लोकसभा चुनाव (LokSabha Elections 2024) के बाद से, कांग्रेस सिर्फ तीन बार रायबरेली हारी है. 1977 में इमरजेंसी के बाद के चुनाव में और 1996 और 1998 के चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट को गंवा दिया था.सोनिया गांधी 2014 और 2019 के चुनाव में बीजेपी और मोदी लहर के बावजूद रायबरेली सीट जीतने में कामयाब रहीं थीं. इस बार राहुल गांधी के लिए मुकाबला कड़ा है.

नई दिल्ली:

कांग्रेस की दो हाई प्रोफाइल सीटों अमेठी और रायबरेली में 20 मई को पाचंवें चरण में मतदान (Lok Sabha Elections 2024) होना है. भले ही प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) उम्मीदवार नहीं हैं, लेकिन दोनों ही जगहों पर पार्टी के प्रचार अभियान में सीनयर कांग्रेस नेता सबसे आगे हैं. उनके भाई राहुल गांधी रायबरेली से उम्मीदवार हैं, वहीं गांधी परिवार के करीबी किशोरी लाल शर्मा अमेठी से कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं. प्रियंका गांधी वाड्रा तूफानी आउटरीच अभियान की शुरुआत के साथ  आज नौ नुक्कड़ सभाएं करने जा रही हैं. प्रियंका गांधी सोमवार को रायबरेली पहुंचीं. उन्होंने पिछले दो दिनों में भुएमऊ गेस्टहाउस में स्थानीय कांग्रेस नेताओं के साथ मैराथन बैठकें कीं. 

रायबरेली में प्रियंका गांधी की 'प्रतिज्ञा'

कहा जा रहा है कि सोमवार को एक बैठक में प्रियंका गांधी वाड्रा ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से कहा कि वह ''18 मई तक रायबरेली से नहीं हटेंगी.'' बता दें कि लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में 20 मई को रायबरेली और अमेठी दोनों में मतदान होना है.

कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मुताबिक, प्रियंका ने कहा, "हमें अमेठी और रायबरेली से मजबूती से लड़ना है. अब आपके 24 घंटे मेरे हैं. मैं आपको डांटूंगी, भगाऊंगी, लेकिन आपके साथ मजबूती से खड़ी रहूंगी. मेरे घर के दरवाजे आपके लिए चौबीसों घंटे खुले हैं. यह चुनाव संविधान को बचाने का चुनाव है. बीजेपी आपसे आरक्षण का लाभ छीनना चाहती है."

रायबरेली में राहुल Vs दिनेश प्रताप सिंह

1952 में अपने पहले लोकसभा चुनाव के बाद से, कांग्रेस सिर्फ तीन बार रायबरेली हारी है. 1977 में इमरजेंसी के बाद के चुनाव में और 1996 और 1998 के चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट को गंवा दिया था. कांग्रेस नेता सोनिया गांधी 2014 और 2019 के चुनाव में बीजेपी और मोदी लहर के बावजूद रायबरेली सीट जीतने में कामयाब रहीं थीं. इस बार स्वास्थ्य कारणों से उन्होंने लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया और वह राज्यसभा चली गईं हैं. कांग्रेस ने इस बार राहुल गांधी को अपने पारंपरिक गढ़ से चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है, इस सीट का प्रतिनिधित्व एक समय में फ़िरोज़ गांधी और इंदिरा गांधी भी कर चुके हैं. राहुल गांधी का मुकाबला मौजूदा समय में रायबरेली में यूपी के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह से है, जो 2019 के चुनाव में सोनिया गांधाी से 1.67 लाख से ज्यादा वोटों से हार गए थे.

अमेठी में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती

अमेठी में भी कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती है. कभी इस सीट का प्रतिनिधित्व संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी ने भी किया था. साल  2019 के चुनाव में बीजेपी नेता स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को करारी शिकस्त दी थी. इससे पहले इस सीट पर राहुल गांधी ने लगातार तीन बार जीत हासिल करते रहे हैं. इस बार भी अमेठी से स्मृति ईरानी चुनावी मैदान में हैं. कांग्रेस मे यहां से केएल शर्मा को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि पार्टी उम्मीदवार घोषित करने से पहले से बहुत पहले से ही बड़े पैमाने पर यहां प्रचार कर रही हैं. 

" कांग्रेस को जीत की उम्मीद भी नहीं..."

स्मृति ईरानी ने इस बार भी अमेठी में जीत का भरोसा जताया है. उन्होंने मीडिया से कहा, "सच्चाई ये है कि इस बार गांधी परिवार अमेठी में नहीं लड़ रहा है, यह दिखाता है कि वोट पड़ने से पहले ही वे अमेठी से हार रहे हैं. अगर उनको उम्मीद की एक झलक भी दिखती, तो वह चुनाव लड़ते और कोई डमी केंडीडेट नहीं खड़ा किया होता."  वहीं केएल शर्मा ने कहा, "अमेठी के लोग मेरे दिल में हैं, मैं यहां 40 साल से हूं. मैं शीर्ष नेतृत्व के निर्देश का पालन कर रहा हूं. मैं बस चाहता हूं कि लोग मुझे उनकी सेवा करने का मौका दें."

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