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This Article is From Jul 23, 2012

राष्ट्रपति चुनाव : येदियुरप्पा ने भाजपा के जले पर नमक छिड़का

राष्ट्रपति चुनाव : येदियुरप्पा ने भाजपा के जले पर नमक छिड़का
बेंगलूरू: राष्ट्रपति चुनाव में अपने कुछ विधायकों द्वारा क्रॉस वोटिंग किए जाने से परेशान भाजपा के जले पर नमक छिड़कते हुए इसके कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा ने सोमवार को कहा कि प्रणव मुखर्जी को सर्वसम्मति से चुना जाना चाहिए था और दूरदृष्टि की कमी तथा वैचारिक भिन्नताओं के चलते इस तरह की सहमति नहीं बन पाई।
कर्नाटक विधानसभा में जब सदस्यों ने मुखर्जी को बधाई दी तो येदियुरप्पा की इस टिप्पणी ने भाजपा में घबराहट पैदा कर दी।

उनकी यह टिप्पणी राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम आने के एक दिन बाद आई जिसमें राज्य के 14 भाजपा विधायकों ने पार्टी लाइन से इतर संप्रग उम्मीदवार मुखर्जी के पक्ष में मतदान किया।

हाल में जगदीश शेट्टार को मुख्यमंत्री बनाने के लिए भाजपा आलाकमान को विवश करने वाले येदियुरप्पा ने कहा, सभी दलों को एक साथ आना चाहिए था और उन्हें (मुखर्जी) सर्वसम्मति से चुनने के बारे में सोचना चाहिए था, लेकिन दूरदृष्टि की कमी, विचारों में भिन्नता और अन्य कारणों से चुनाव अवश्यंभावी हो गया। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने राष्ट्रपति चुनाव में हारने वाले भाजपा नीत राजग उम्मीदवार पीए संगमा से जोरदार अपील की कि वह उच्चतम न्यायालय जाने के ‘‘दुस्साहस’’ से बचें।

संगमा ने रविवार को इस चुनाव को लेकर न्यायालय जाने की संभावना से इनकार नहीं किया और कहा था कि प्रक्रिया ‘‘अपवादजनक रूप से पक्षपातपूर्ण’’ थी । उन्होंने आरोप लगाया कि गैर संप्रग शासन वाले राज्यों को पैकेजों का प्रलोभन दिया गया और यहां तक कि धमकियां भी दी गईं।
येदियुरप्पा ने कहा, मैं संगमा से इस सदन के जरिए अपील करता हूं कि वह इस तरह का कदम उठाने से बचें। विश्व हमें देख रहा है। यह किसी के लिए ठीक नहीं है। यह किसी के लिए गर्व की बात नहीं है । मैं संगमा को (उच्चतम न्यायालय नहीं जाने के लिए) पत्र भी लिखूंगा । मुखर्जी को कर्नाटक में 103 विधायकों..कांग्रेस के 71, जनता दल एस के 26 और छह निर्दलीय विधायकों का समर्थन मिलना चाहिए था, लेकिन वह 117 मत हासिल करने में सफल रहे। संगमा को केवल 103 मत मिले, जबकि सत्तारूढ़ भाजपा के 119 विधायक हैं। तीन मत अवैध घोषित कर दिए गए।

येदियुरप्पा ने यह कहकर मुखर्जी की तारीफों के पुल बांध दिए कि वह पूर्व राष्ट्रपतियों राजेंद्र प्रसाद, एस राधाकृष्णन और एपीजे अब्दुल कलाम के बाद ‘‘विशिष्ट व्यक्तित्व’’ हैं।

उन्होंने कहा कि संप्रग द्वारा मुखर्जी के नाम को हरी झंडी दिए जाने के बाद वह व्यक्तिगत तौर पर उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करते थे, लेकिन स्पष्ट किया कि उन्होंने (संगमा की उम्मीदवारी पर) पार्टी लाइन का पालन किया।

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