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This Article is From Jul 30, 2022

देशभर में 20 करोड़ तिरंगा फहराने की तैयारी, पैंट-शर्ट की जगह फैक्ट्री में बनाए जा रहे हैं लाखों झंडे

एक झंडे की कीमत 20 रुपये के आसपास आती है. लिहाजा 20 करोड़ झंडे को खरीदने के लिए 200 करोड़ से ज्यादा का बजट चाहिए. इसी के चलते सरकार भी अपने बजट से झंडे खरीद रही है.

नोएडा (उत्तर प्रदेश):

हर घर तिरंगा कार्यक्रम के तहत देशभर में 40 करोड़ झंडे लगाने की तैयारी है. इतने कम वक्त में ये झंडे तैयार भी होने हैं. इस पर 200 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च होने वाला है. सरकार ने झंडे से जुड़े कानून में भी बदलाव किए हैं. नोएडा की गारमेंट फैक्ट्री के टेलर्स पैंट शर्ट की जगह इस वक्त भारत के झंडे तै़यार करने में जुटे हैं.

नोएडा में छोटी-बड़ी तीन हजार से ज्यादा फैक्ट्रियों को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन जिलों में 50 लाख से ज्यादा झंडे की सप्लाई देनी है, लिहाजा नोएडा अपैरल एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित ठुकराल खुद झंडा तैयार करवाने में लगे हैं.

ललित ठुकराल ने कहा कि उप्र सरकार ने 2 करोड़ झंडे का आर्डर दिया है, हम यहां 50 लाख झंडे तैयार करवा रहे हैं, हमारे यहां 3500 फैक्ट्रियां हैं, सभी झंडे तैयार कर रहे हैं. सूरत से कपड़ा आता है फिर यहां सफाई से तैयार करवाते हैं.

इस तरह के एक झंडे की कीमत 20 रुपये के आसपास आती है. लिहाजा 20 करोड़ झंडे को खरीदने के लिए 200 करोड़ से ज्यादा का बजट चाहिए. इसी के चलते सरकार भी अपने बजट से झंडे खरीद रही है और सरकार ने आनन-फानन में कॉर्पोरेट सोसायटी रिस्पांसिबिलिटी (Corporate Social Responsibility) में बदलाव करके शिक्षा, स्वास्थ्य के अलावा अब इस फंड के तहत झंडे खरीदने की भी इजाजत दे दी है. ताकि करोड़ों झंडे खरीदे जा सकें.

यही नहीं स्थानीय प्रशासन भी ज्यादा से ज्यादा झंडा खरीदने में जुटा है. उन्नाव प्रशासन ने इस तरह की तमाम फैक्ट्रियों को 5 से 8 हजार झंडों का इंतजाम करने को कहा है.

उन्नाव के सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने कहा कि देशभर में ये कार्यक्रम चलाया जा रहा है, इसी क्रम में शासन के निर्देशानुसार स्वैच्छिक तरीके से झंडे खरीदने को कहा है. सरकार का हर घर तिरंगा लगाने का कार्यक्रम 13 से 15 अगस्त तक चलेगा. देशभक्ति के जज्बे को बढ़ावा देने के इस कार्यक्रम पर अलग-अलग पार्टियों की अलग-अलग राय है.

सरकार इस कार्यक्रम को देशभक्ति जैसे मुद्दे से जोड़कर ज्यादा लोगों तक पहुंचना चाहती है. सरकार में तमाम ऐसे लोग हैं जो सोचते हैं कि अब तक भारत के झंडे से लोगों का औपचारिक संबंध रहा है, लेकिन इस कार्यक्रम के बाद तिरंगे से आम आदमी व्यक्तिगत तौर पर जुड़ेगा. हालांकि 70 फीसदी गरीब आबादी वाले इस देश में इस बात पर बहस की गुंजाइश बहुत है.

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