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बिहार में किन मुद्दों को हवा दे रहे हैं प्रशांत किशोर, शराबबंदी के खिलाफ क्यों खड़े हैं

दो साल से बिहार की पदयात्रा कर रहे प्रशांत किशोर 2 अक्टूबर को अपनी पार्टी का ऐलान करेंगे. इससे पहले वो बिहार में उन मुद्दों को हवा देने की कोशिश कर रहे, जिनसे जनता जुड़ सकती है. आइए देखते हैं उन मुद्दों के बारे में जिन्हें प्रशांत किशोर उठा रहे हैं.

नई दिल्ली:

चुनाव की रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर खुद राजनीति के रण में उतर रहे हैं. गांधी जयंती पर वो अक्तूबर को पटना में अपने राजनीतिक दल की घोषणा करेंगे.इसकी तैयारी वो पिछले कई सालों से कर रहे हैं.वो  दो अक्टूबर, 2022 को बिहार के पश्चिम चंपारण के भितिरहवा से पदयात्रा पर निकले थे. उन्होंने इसे 'जन सुराज' नाम दिया है.यह यात्रा अबतक करीब 27 सौ ग्राम पंचायतों से होकर गुजरी है. इस दौरान प्रशांत ने पलायन, गरीबी और अशिक्षा को  मुद्दा बनाया. उन्होंने इस दौरान परिवारवाद और जातिवाद पर भी हमले किए.लेकिन पिछले कुछ दिनों से वो शराबबंदी के खिलाफ बोलने लगे हैं.पार्टी के घोषणा की तारीख करीब आते ही वो अपने मुद्दों का दायरा बढ़ाने में लगे हैं.आइए देखते हैं कि प्रशांत किशोर ने अब तक किन मुद्दों की बात की है.

जन सुराज के मुद्दे

प्रशांत किशोर ने जन सुराज यात्रा क दौरान उन मुद्दों को छूने की कोशिश की जिन्हें राजनीतिक दल मुद्दा बनाने से कतराते हैं. उन मुद्दों पर फोकस किया जो लंबे समय से सियासत में उपेक्षित रहे. उन्होंने पलायन, गरीबी, अशिक्षा, परिवारवाद और जातिवाद जैसे मुद्दों पर बात की.यात्रा के दौरान उनके निशाने पर लालू यादव और उनका परिवार रहता था. लेकिन पिछले कुछ समय से वो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी हमला करने लगे हैं.

प्रशांत किशरो 2 अक्टूबर 2022 से बिहार की पदयात्रा कर रहे हैं.

प्रशांत किशरो 2 अक्टूबर 2022 से बिहार की पदयात्रा कर रहे हैं.

प्रशांत ने रविवार को पटना में दावा किया कि अगले साल होने वाला बिहार विधानसभा का चुनाव तीन एस यानी 'शराब', 'सर्वे' और 'स्मार्ट मीटर' के नाम पर लड़ा जाएगा. उनका कहना था कि ये तीनों मुद्दे नीतीश कुमार सरकार की ताबूत में अंतिम कील साबित होंगे.प्रशांत का कहना है कि उनकी सरकार बनने पर शराबबंदी को 15 मिनट में खत्म कर दिया जाएगा.माना जाता है कि बिहार में शराबबंदी को महिलाओं का समर्थन हासिल है, लेकिन प्रशांत किशोर शराबबंदी खत्म करने के लिए महिलाओं के विरोध का खतरा उठाने को भी तैयार हैं. उनका कहना है कि शराबबंदी बिहार के हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि शराब से होने वाली आय से राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सही किया जा सकता है.

बिहार में शराबबंदी की हकीकत

बिहार में शराब एक बड़ा मुद्दा है.बीजेपी नीतीश कुमार के दबाव में शराबबंदी के खिलाफ खुलकर नहीं बोलती है. वहीं आरजेडी का रवैया ढुलमुल है. लेकिन एनडीए की दो प्रमुख पार्टियां चिराग पासवान की लोजपा (रामविलास) और जीतनराम मांझी की हम शराबबंदी के खिलाफ रही हैं.उनका दावा है शराबबंदी केवल कागजों में ही है.उनका कहना है कि बिहार में शराब की होम डिलिवरी होती है.प्रशांत भी अब वही बात कर रहे हैं, जो चिराग और मांझी करते रहे हैं. बिहार में एक अप्रलै 2016 से शराबबंदी कानून लागू है.बिहार सरकार ने बीते हफ्ते बताया था कि शराब बंदी लागू होने के बाद से अब तक शराब से जुड़े आठ लाख 43 हजार 907 मुकदमे दर्ज किए गए हैं. इन मामलों में अब तक 12 लाख 79 हजार 387 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है. इनमें से पांच लाख 20 हजार दोषियों को सजा हुई है. सरकार के मुताबिक बिहार में जहरीली या अवैध शराब से शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से अबतक 156 लोगों की मौत हुई है. इस दौरान तीन करोड़ 38 लाख लीटर शराब को सरकार ने नष्ट कर दिया. अब तक तीन करोड़ 46 लाख 61 हजार 723 लीटर शराब बरामद की गई है. बिहार में शराब तस्करी, बेचने या पीने के आरोप में जिनको गिरफ्तार कर जेल में डाला गया दोष साबित होने के बाद जिन्हें सजा दी गई, उनमें से अधिकांश दलित वर्ग के लोग हैं. अब शराबबंदी के खिलाफ माहौल बनाने को प्रशांत किशोर की दलितों में पैठ बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. अगर वो इसमें सफल हो गए तो एनडीए को चुनावी नुकसान उठाना पड़ सकता है. 

जमीन सर्वे का जमीन पर असर

बिहार सरकार ने इस साल 20अगस्त से राज्य में जमीनों के सर्वे का काम शुरू किया है. बिहार में जमीन का सर्वे आजादी के बाद से पहली बार हो रहा है. बहुत से लोग पीढ़ियों से जिस जमीन पर बसे हैं, उनके कागजात उनके पास नहीं है.कागज के लिए बिहार में अफरा-तफरी का माहौल है.कमाने के लिए दूर-दराज गए लोग कागज दुरुस्त करवाने के लिए लौट रहे हैं. प्रशांत किशोर का कहना है कि जमीन सर्वे गांवों में झगड़े और संघर्ष का कारण बन रहा है.इसे देखते हुए ही प्रशांत सर्वे को मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

स्मार्ट मीटर पर प्रशांत किशोर का कहना है कि जिन उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर लगवाया है, वे अब इसके खिलाफ हो गए हैं, क्योंकि इससे बिजली का बिल बढ़ गया है. उनका कहना है कि लोगों की शिकायत है कि स्मार्ट मीटर के जरिए उनके बिजली बिलों में छेड़छाड़ हो रही है.नीतीश कुमार का स्मार्ट मीटर लगवाने का फैसला शुरू से ही विवादों के साये में रहा है.इन मीटरों से बिजली का बिल बकाया रहने की समस्या खत्म तो हो जाएगी, लेकिन एक नई समस्या खड़ी होगी वह है इस मीटर से अधिक बिल का आना. इससे लोग परेशान हो रहे हैं.इस मीटर की डील को जिस आईएएस अधिकारी संजीव हंस ने पूरा करवाया है, उससे मीटर की आपूर्ति करने वाली कंपनी से रिश्वत लेने की बात सामने आई है.इससे लगता है कि खराब स्मार्ट मीटर ही खरीदे गए हों. आने वाले समय में स्मार्ट मीटर का विरोध और बढ़ सकता है.इसे देखते हुए प्रशांत किशोर बिजली के स्मार्ट मीटर को भी मुद्दा बना रहे हैं.इसमें स्मार्ट मीटर से परेशान लोग और भ्रष्टाचार दो मुद्दे हैं.प्रशांत इसे भुनाने की कोशिश कर रहे हैं.

प्रशांत किशोर की राजनीति

प्रशांत के लिए राजनीति की राह इतनी आसान भी नहीं है. वो दो अक्तूबर को अपनी पार्टी का ऐलान करेंगे, इससे पहले एक अक्तूबर से बिहार की मुख्य राजनीतिक पार्टी राष्ट्रीय जनता दल बिजली के स्मार्ट मीटर को लेकर आंदोलन शुरू करने जा रही है. ऐसे में नीतीश कुमार सरकार का सड़क पर उतरकर विरोध करने का श्रेय राजद ही लेना चाहेगी.  

जन सुराज के राजनीतिक दल के स्थापना कार्यक्रम दो अक्तूबर को पटना के वेटनरी कॉलेज मैदान में आयोजित किया जाएगा. उस दिन जन सुराज के अध्यक्ष, नेतृत्व परिषद की घोषणा की जाएगी और पार्टी के संविधान घोषणा की जाएगी.लेकिन प्रशांत किशोर का कहना है कि वो न तो इस दल के नेता होंगे और नहीं नेतृत्व परिषद में शामिल होंगे.उनका कहना है कि वो पहले की तरह बिहार की पदयात्रा करते रहेंगे. हालांकि उन्होंने अभी यह नहीं बताया है कि सरकार बनाने की स्थिति में मुख्यमंत्री कौन होगा.  

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