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This Article is From Oct 29, 2023

दिल्‍ली में प्रदूषण ने फिर बढ़ाई चिंता, कई इलाकों में AQI लेवल 400 के पार

Delhi Air Pollution: केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, शहर का 24 घंटे का औसत गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 321 (बहुत खराब) रहा जबकि शनिवार को यह 304 में था.

आने वाले दिनों में स्थिति और खराब होने की आशंका- निगरानी करने वाली एजेंसियों का अनुमान

नई दिल्‍ली:

दिल्‍ली में वायु प्रदूषण (Delhi Air Pollution) का स्‍तर 'गंभीर' स्‍तर पर पहुंच गया है. रविवार को कई इलाकों में वायु औसत गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 400 के पार पहुंच गया. जहांगीरी पुरी में एक्‍यूआई 404, तो वहीं दक्षिणी दिल्‍ली के नेहरू नगर में एक्‍यूआई 393 दर्ज किया गया. इससे पहले शनिवार को दिल्‍ली में प्रदूषण का स्‍तर 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गया था. प्रदूषण की निगरानी करने वाली एजेंसियों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में प्रतिकूल मौसमी परिस्थितियों के चलते इसके और भी खराब होने की आशंका है. हालांकि, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय का कहा है कि पड़ोसी राज्यों में इस साल पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल के मुकाबले कम हुई हैं और इसके मद्देनजर दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की घटनाओं का योगदान कम होने की उम्मीद है.

दिल्‍ली में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण का स्‍तर
हालांकि, अभी तो दिल्‍ली में प्रदूषण का स्‍तर बढ़ता हुआ ही नजर आ रहा है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, शहर का 24 घंटे का औसत गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 321 (बहुत खराब) रहा जबकि शनिवार को यह 304 में था. वहीं, शुक्रवार 261(खराब) को बृहस्पतिवार को यह 256, बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 था. आने वाले दिनों में ये स्‍तर और बढ़ने की आंशका जताई जा रही है. शनिवार को पड़ोसी शहरों गाजियाबाद में एक्यूआई 291, फरीदाबाद में 272, गुरुग्राम में 252, नोएडा में 284 और ग्रेटर नोएडा में 346 दर्ज किया गया.

आने वाले दिनों के लिए चेतावनी...
दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली के अनुसार, हवा की धीमी गति और रात के समय तापमान में गिरावट के कारण शहर की वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई है. उसने कहा कि महीने के अंत तक हवा की गुणवत्ता बहुत खराब रहने की आशंका है. दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने दिन में कहा था कि पड़ोसी राज्यों में अब तक दर्ज की गई पराली जलाने की घटनाएं पिछले साल की तुलना में कम हैं और शहर के वायु प्रदूषण में इन घटनाओं से उठे धुएं का समग्र योगदान कम होने की उम्मीद है. हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियों के चलते प्रदूषण बढ़ सकता है.

इस साल पराली जलाने की घटनाएं हुई कम 
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के अनुसार, हर वर्ष पराली जलाने के सबसे अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार पंजाब में 2022 में पराली जलाने की 49,922 घटनाएं, 2021 में 71,304 घटनाएं एवं 2020 में 83,002 घटनाएं हुईं थीं. हरियाणा में 2022 में पराली जलाने की 3,661 घटनाएं दर्ज की गईं, जो 2021 में 6,987 और 2020 में 4,202 ऐसी घटनाएं हुई थीं. वहीं, इस साल अभी तक केवल लगभग 2,500 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान ऐसे 5,000 मामले दर्ज किए गए थे.

दिल्‍ली में क्‍यों बढ़ता है प्रदूषण का स्‍तर?
दिल्‍ली में लगभग हर साल इस मौसम में प्रदूषण का स्‍तर बेहद बढ़ जाता है. दरअसल, प्रतिकूल मौसम संबंधी स्थितियां और प्रदूषण के स्थानीय स्रोतों के अलावा, पटाखों और धान की पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन के चलते, सर्दियों के दौरान दिल्ली-एनसीआर की वायु गुणवत्ता खतरनाक स्तर में पहुंच जाती है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी के विश्लेषण के अनुसार, एक नवंबर से 15 नवंबर तक राजधानी में प्रदूषण शीर्ष पर पहुंच जाता है, जब पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने की घटनाएं चरम पर पहुंच जाती हैं.

दिल्ली में वायु गुणवत्ता में आने वाले दिनों में भारी गिरावट होने जा रही है, लेकिन सरकार को वायु प्रदूषण समस्या को कम करने की रणनीति तैयार करने में मदद करने वाला अहम आंकड़ा नदारद है. बता दें कि एक्यूआई शून्य से 50 के बीच 'अच्छा', 51 से 100 के बीच 'संतोषजनक', 101 से 200 के बीच 'मध्यम', 201 से 300 के बीच 'खराब', 301 से 400 के बीच 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच 'गंभीर' माना जाता है.

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