छत्तीसगढ़ विधानसभा के उपचुनाव से पहले कांग्रेस ने रमन सिंह सरकार पर आरोप लगाया है कि वह राज्य में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है। कांग्रेस नेताओं ने मंगलवार को दिल्ली में चुनाव आयोग से मुलाकात की और कहा कि राज्य में बीजेपी सरकार ने बस्तर की अंत:गढ़ सीट पर 13 सितंबर को होने वाले उपचुनाव से पहले सभी उम्मीदवारों को डरा धमकाकर और लालच देकर नाम वापस लेने पर मजबूर कर दिया है।
पिछली 29 अगस्त को कांग्रेस के उम्मीदवार मंतूराम पंवार ने अचानक नाम वापस लेकर कांग्रेस पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर दी। फिर 10 निर्दलीय उम्मीदवारों ने भी नाम वापस ले लिए। इस बीच मंतूराम पंवार की पत्नी सविता का पर्चा खारिज़ कर दिया गया, जिससे चुनाव मैदान में केवल बीजेपी के भोजराज नाग और अंबेडकराइट पार्टी ऑफ इंडिया के रूपधर पुंडो ही दो उम्मीदवार ही बचे हैं और बीजेपी की जीत तय मानी जा रही है।
चुनाव आयोग में शिकायत करने पहुंचे कांग्रेसी नेताओं ने इसे राज्य सरकार की साज़िश बताया है और उपचुनाव को रद्द करने की मांग की है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के भूपेश बघेल ने पत्रकारों से कहा, 'मंतूराम पंवार के नाम वापस लेने के बाद पार्टी सोच रही थी कि वह किसी निर्दलीय उम्मीदवार को समर्थन दे, लेकिन राज्य सरकार ने सभी निर्दलीयों को डराया धमकाया और उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया।
बघेल ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, 'हमारे एक कांग्रेसी नेता ने आयोग में एफिडेविट जमा किया है, जिसमें कहा गया है कि धमतरी में उसके घर पर इकट्ठा हुए छह निर्दलीय उम्मीदवारों को पुलिस ने जबरन उठा लिया और नाम वापस लेने की धमकी दी।
उधर बीजेपी नेताओं ने इन आरोपों का खंडन किया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष धर्मलाल कौशिक का कहना है, 'ये कांग्रेस का भीतरी झगड़ा है, जिसकी वजह से मंतूराम पंवार ने अपना नाम वापस लिया। हम किसी भी उम्मीदवार को डरा धमका नहीं रहे। राज्य में बीजेपी की लहर है, जिसकी वजह से सबको पता है कि हमारे उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ना बेकार है।
कांग्रेस के नेता इस मामले में चुनाव आयोग के आगे धरना देने की योजना बना रहे हैं।
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