नई दिल्ली:
सुरक्षा सम्बंधी मसले पर बुलाए गए मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में गैरकांग्रेसी मुख्यमंत्रियों ने राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) सहित प्रमुख सुरक्षा मुद्दों पर राज्यों को विश्वास में न लेने के लिए केंद्र सरकार को जमकर आड़े हाथों लिया।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हालांकि कहा कि इस मुद्दे पर अलग से चर्चा की जाएगी।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "एनसीटीसी पर हम पांच मई को अलग से चर्चा करेंगे, जैसा कि कुछ मुख्यमंत्रियों ने सलाह दी है।"
प्रधानमंत्री के यह कहने के बाद भी तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल एनएसीटी के मुद्दे पर एकजुट दिखे और प्रमुख सुरक्षा मुद्दों पर राज्यों से मशविरा न करने के लिए केंद्र को खरी-खोटी सुनाई।
ऐसा करने वालों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार भी शामिल थे।
केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की सहयोगी व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी एनसीटीसी का विरोध कर रही हैं। वह हालांकि आज सम्मेलन में नहीं आईं।
नरेंद्र मोदी ने संप्रग सरकार पर आरोप लगाया कि वह केंद्र, पुलिस की शक्तियों को केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों और जांच एजेंसियों को देने जैसे अपने कदमों के जरिए राज्यों के साथ अविश्वास का वातावरण पैदा कर रही है।
मोदी ने बाद में संवाददाताओं से कहा, "चाहे एनसीटीसी हो, रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) हो या सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्र की एकतरफा गतिविधि केंद्र और राज्य के बीच अविश्वास का वातावरण पैदा कर रही है.. मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि वे इस अविश्वास को दूर करें।"
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) के गठन का प्रस्ताव किया है, जिसके पास देशभर में संदिग्ध आतंवादियों को गिरफ्तार करने के अलावा जांच करने और छापा मारने के अधिकार होंगे।
मोदी सहित गैर संप्रग मुख्यमंत्रियों ने इस एजेंसी के गठन का विरोध किया है। इन मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री को विरोधस्वरूप पत्र लिखे हैं, जिसके कारण एनसीटीसी का कामकाज पूर्व निर्धारित समय, पहली मार्च से शुरू नहीं हो पाया।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा की किसी भी स्थिति से निपटने का सर्वप्रथम दायित्व राज्य सरकारों का है। अत: राज्यों को मजबूत किए बिना आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ नहीं किया जा सकता।
चौहान ने कहा कि नीति निर्धारण एवं नए कानूनों को बनाने के पूर्व राज्य सरकारों से भी विचार-विमर्श किया जाए, न कि स्वयंसेवी संस्थाओं एवं अन्य लोगों से ड्राफ्ट प्रस्ताव के आधार पर ड्राफ्ट तैयार कर राज्य सरकारों को टिप्पणी के लिए भेजा जाए।
चौहान ने कहा कि विगत समय में यह देखने में आया है कि केन्द्र सरकार आंतरिक सुरक्षा के बहुत से विषयों पर एकतरफा निर्णय ले रही है। चाहे वह राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) का गठन हो या फिर देश के अन्य भागों में लागू करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) कानून या रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ ) कानून के प्रस्तावित संशोधन हों।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि राज्यों के कार्य के दायरे को सीमित कर, उनकी वित्तीय हालत पतली कर तथा राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण कर, उन्हें महिमामंडित नगर निगमों के स्तर पर लाया जा रहा है।
जयललिता ने कहा, "राज्यों की वित्तीय दशा पतली कर उनकी शक्ति और कार्य क्षमता को नियंत्रित किया जा रहा है।"
पुलिसिंग सम्बंधी संवैधानिक प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए केंद्र सरकार पर बरसते हुए जयललिता ने कहा कि केंद्र सरकार, अपनी निगरानी में समानांतर प्राधिकरणों का गठन कर राज्य के अधिकारों पर अतिक्रमण करती है, या फिर राज्यों के अंदर ही केंद्र की निगरानी में कोई संस्था गठित कर राज्य पुलिस के प्रतिनिधिक कार्यों पर अतिक्रमण करती है, जैसा कि रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) और नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) में प्रावधान किया गया है।
जयललिता ने कहा, "मुझे इस बात की आशंका है कि इस तरह का ढांचा उभर रहा है, जिसमें राज्यों को दी गई शक्तियां या तो विधेयक पारित कर या फिर अधिसूचनाएं जारी कर समाप्त की जा रही हैं। राज्यों के साथ परामर्श न करना और राज्यों को भरोसे में न लेना केंद्र की शासन व्यवस्था पर एक अहम सवाल है।"
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरवाद जातीय हिंसा और आतंकवाद को देश के सामने बड़ी चुनौती बताया। प्रधानमंत्री ने राज्यों से आग्रह किया कि उन्हें केंद्र सरकार के साथ मिलकर इन चुनौतियों से लड़ना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, "वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरवाद, जातीय हिंसा और आतंकवाद देश के सामने आंतरिक सुरक्षा की बड़ी चुनौतियां हैं.. मैं राज्यों से आग्रह करता हूं कि केंद्र के साथ मिलकर इन चुनौतियों से लड़ें।"
सिंह ने कहा, "फरवरी 2011 से देश में आंतरिक सुरक्षा के हालात कुल मिलाकर संतोषजनक रहे हैं।"
मनमोहन सिंह ने कहा कि 2011 में वामपंथी उग्रवाद से सम्बंधित हालात 2010 से बेहतर थे, लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत कार्य योजना के तहत नक्सल प्रभावित सात राज्यों में जिलों की संख्या 60 से बढ़ाकर 78 कर दी गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ देश के रक्षा उपाय को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश भर में बढ़ रही अस्थिरता के मद्देनजर यह आवश्यक है।
केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने अपने सम्बोधन में वामपंथी उग्रवाद को देश के सामने सबसे दुर्जेय सुरक्षा चुनौती बताया।
चिदम्बरम ने कहा कि पश्चिमी सेक्टर में देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा घुसपैठ के लिहाज से कमजोर है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हालांकि कहा कि इस मुद्दे पर अलग से चर्चा की जाएगी।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "एनसीटीसी पर हम पांच मई को अलग से चर्चा करेंगे, जैसा कि कुछ मुख्यमंत्रियों ने सलाह दी है।"
प्रधानमंत्री के यह कहने के बाद भी तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे. जयललिता, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पंजाब के उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल एनएसीटी के मुद्दे पर एकजुट दिखे और प्रमुख सुरक्षा मुद्दों पर राज्यों से मशविरा न करने के लिए केंद्र को खरी-खोटी सुनाई।
ऐसा करने वालों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक सरकार भी शामिल थे।
केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की सहयोगी व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी एनसीटीसी का विरोध कर रही हैं। वह हालांकि आज सम्मेलन में नहीं आईं।
नरेंद्र मोदी ने संप्रग सरकार पर आरोप लगाया कि वह केंद्र, पुलिस की शक्तियों को केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों और जांच एजेंसियों को देने जैसे अपने कदमों के जरिए राज्यों के साथ अविश्वास का वातावरण पैदा कर रही है।
मोदी ने बाद में संवाददाताओं से कहा, "चाहे एनसीटीसी हो, रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) हो या सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्र की एकतरफा गतिविधि केंद्र और राज्य के बीच अविश्वास का वातावरण पैदा कर रही है.. मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करता हूं कि वे इस अविश्वास को दूर करें।"
ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) के गठन का प्रस्ताव किया है, जिसके पास देशभर में संदिग्ध आतंवादियों को गिरफ्तार करने के अलावा जांच करने और छापा मारने के अधिकार होंगे।
मोदी सहित गैर संप्रग मुख्यमंत्रियों ने इस एजेंसी के गठन का विरोध किया है। इन मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री को विरोधस्वरूप पत्र लिखे हैं, जिसके कारण एनसीटीसी का कामकाज पूर्व निर्धारित समय, पहली मार्च से शुरू नहीं हो पाया।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा की किसी भी स्थिति से निपटने का सर्वप्रथम दायित्व राज्य सरकारों का है। अत: राज्यों को मजबूत किए बिना आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ नहीं किया जा सकता।
चौहान ने कहा कि नीति निर्धारण एवं नए कानूनों को बनाने के पूर्व राज्य सरकारों से भी विचार-विमर्श किया जाए, न कि स्वयंसेवी संस्थाओं एवं अन्य लोगों से ड्राफ्ट प्रस्ताव के आधार पर ड्राफ्ट तैयार कर राज्य सरकारों को टिप्पणी के लिए भेजा जाए।
चौहान ने कहा कि विगत समय में यह देखने में आया है कि केन्द्र सरकार आंतरिक सुरक्षा के बहुत से विषयों पर एकतरफा निर्णय ले रही है। चाहे वह राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केंद्र (एनसीटीसी) का गठन हो या फिर देश के अन्य भागों में लागू करने के लिए सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) कानून या रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स (आरपीएफ ) कानून के प्रस्तावित संशोधन हों।
तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि राज्यों के कार्य के दायरे को सीमित कर, उनकी वित्तीय हालत पतली कर तथा राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण कर, उन्हें महिमामंडित नगर निगमों के स्तर पर लाया जा रहा है।
जयललिता ने कहा, "राज्यों की वित्तीय दशा पतली कर उनकी शक्ति और कार्य क्षमता को नियंत्रित किया जा रहा है।"
पुलिसिंग सम्बंधी संवैधानिक प्रावधानों के साथ छेड़छाड़ करने के लिए केंद्र सरकार पर बरसते हुए जयललिता ने कहा कि केंद्र सरकार, अपनी निगरानी में समानांतर प्राधिकरणों का गठन कर राज्य के अधिकारों पर अतिक्रमण करती है, या फिर राज्यों के अंदर ही केंद्र की निगरानी में कोई संस्था गठित कर राज्य पुलिस के प्रतिनिधिक कार्यों पर अतिक्रमण करती है, जैसा कि रेल सुरक्षा बल (आरपीएफ) और नेशनल काउंटर टेररिज्म सेंटर (एनसीटीसी) में प्रावधान किया गया है।
जयललिता ने कहा, "मुझे इस बात की आशंका है कि इस तरह का ढांचा उभर रहा है, जिसमें राज्यों को दी गई शक्तियां या तो विधेयक पारित कर या फिर अधिसूचनाएं जारी कर समाप्त की जा रही हैं। राज्यों के साथ परामर्श न करना और राज्यों को भरोसे में न लेना केंद्र की शासन व्यवस्था पर एक अहम सवाल है।"
इससे पहले, प्रधानमंत्री ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरवाद जातीय हिंसा और आतंकवाद को देश के सामने बड़ी चुनौती बताया। प्रधानमंत्री ने राज्यों से आग्रह किया कि उन्हें केंद्र सरकार के साथ मिलकर इन चुनौतियों से लड़ना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, "वामपंथी उग्रवाद, धार्मिक कट्टरवाद, जातीय हिंसा और आतंकवाद देश के सामने आंतरिक सुरक्षा की बड़ी चुनौतियां हैं.. मैं राज्यों से आग्रह करता हूं कि केंद्र के साथ मिलकर इन चुनौतियों से लड़ें।"
सिंह ने कहा, "फरवरी 2011 से देश में आंतरिक सुरक्षा के हालात कुल मिलाकर संतोषजनक रहे हैं।"
मनमोहन सिंह ने कहा कि 2011 में वामपंथी उग्रवाद से सम्बंधित हालात 2010 से बेहतर थे, लेकिन इस दिशा में अभी बहुत कुछ करना बाकी है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विकास को बढ़ावा देने के लिए एकीकृत कार्य योजना के तहत नक्सल प्रभावित सात राज्यों में जिलों की संख्या 60 से बढ़ाकर 78 कर दी गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ देश के रक्षा उपाय को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश भर में बढ़ रही अस्थिरता के मद्देनजर यह आवश्यक है।
केंद्रीय गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने अपने सम्बोधन में वामपंथी उग्रवाद को देश के सामने सबसे दुर्जेय सुरक्षा चुनौती बताया।
चिदम्बरम ने कहा कि पश्चिमी सेक्टर में देश की अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा घुसपैठ के लिहाज से कमजोर है।
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