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पीएम मोदी के संगम स्नान से निकला राजनीतिक संदेश, क्या बिखरे हिंदू वोटों को एक कर पाएगी BJP

PM Narendra Modi in Mahakumbh: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज माघ महाष्टमी के पावन अवसर पर प्रयागराज स्थित संगम में स्नान किया. पीएम मोदी ने उस दिन संगम में स्नान किया, जिस दिन दिल्ली विधानसभा चुनाव और अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव की वोटिंग हो रही थी.

पीएम मोदी के संगम स्नान से निकला राजनीतिक संदेश, क्या बिखरे हिंदू वोटों को एक कर पाएगी BJP
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को प्रयागराज संगम में डुबकी लगाई. माघ की अष्टमी के शुभ अवसर पर पीएम मोदी के संगम में स्नान करने को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. पीएम मोदी ने जिस 'मुहुर्त'में संगम में डुबकी लगाई, उसी दिन दिल्ली विधानसभा चुनाव के मतदान और उत्तर प्रदेश की मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव के मतदान का भी 'मुहुर्त' था.ऐसे में माना जा रहा है कि मोदी के इस डुबकी से राजनीतिक संदेश भी निकलेगा. बीजेपी को उम्मीद है कि इससे वो हिंदू वोट फिर उसके पास वापस आएगा, जो पिछले दिनों उससे छिटक गया था.

पीएम मोदी के स्नान के मायने

पीएम नरेंद्र मोदी ने गंगा में डुबकी लगाकर उन आलोचनाओं पर भी विराम लगाने की कोशिश की है, जो वहां 29 जनवरी को मची भगदड़ के बाद की जा रही है. यह एक तरह से उत्तर प्रदेश सरकार की तैयारियों पर भी मुहर है, जो भगदड़ के बाद से विपक्ष के निशाने पर है.पीएम मोदी 2019 के कुंभ मेले में भी गंगा स्नान किया था. उन्होंने गंगा पंडाल में स्वच्छता ग्राहियों के पैर भी धोकर सामाजिक समरसता का संदेश दिया था. पीएम मोदी का समरसता का यह संदेश जनता तक पहुंचा भी था.

इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 2019 के कुंभ में डुबकी लगाई थी और सफाई कर्मियों के पैर धोकर समरसता का संदेश दिया था.

PM Modi Visit Mahakumbh: इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने 2019 के कुंभ में डुबकी लगाई थी और सफाई कर्मियों के पैर धोकर समरसता का संदेश दिया था.

देश में इन दिनों जातिगत सर्वेक्षण और जाति जनगणना की राजनीति का जोर है. विपक्ष की अधिकांश पार्टियां इसके समर्थन में हैं. कभी यह सामाजिक बदलाव और न्याय की राजनीति करने वाले दलों का प्रमुख एजेंडा हुआ करता था. लेकिन पिछले एक-दो साल से इसको लेकर कांग्रेस मुखर हुई है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने हर राजनीतिक कार्यक्रम में इसकी बात करते हैं. उनका दावा है कि उनकी सरकार जाति जनगणना कराएगी. यहां तक कि उनकी राज्य सरकारों ने अपने राज्यों में जाति सर्वेक्षण कराए भी हैं. इन सरकारों का दावा है कि वो इसके आंकड़ों के आधार पर नीतियां बना रहे हैं. 

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क्या जाति जनगणना से बीजेपी को नुकसान होगा

जाति जनगणना को लेकर जारी लड़ाई को बीजेपी अपने वोटों के बिखराव के रूप में देख रही है. हालांकि वो इसका न तो खुल कर विरोध कर पा रही है और ना ही खुलकर समर्थन. वह ऊहापोह की स्थिति में है. दरअसल जाति जनगणना की स्थिति में यह पता चल जाएगा कि देश में किस जाति की कितनी आबादी है और देश के संसाधनों में उनकी कितनी हिस्सेदारी है. बीजेपी को डर है कि इससे उसके हिंदुत्व वाले वोटों में बिखराव होगा और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में उसकी पैठ कमजोर हो जाएगी. माना जाता है कि ओबीसी ही देश का सबसे बड़ा जातीय समूह है. इसलिए बीजेपी नेताओं का जोर अब हिंदुत्व की बजाय सनातन की राजनीति पर है. वो सनातन के डोर में सबको बांधना चाहते हैं.उनको लगता है कि सनातन की डोर हिंदुत्व से भी मजबूत है. इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार सनातन धर्म की बात करते हैं. प्रधानमंत्री मोदी भी महाकुंभ को 'एकता का महाकुंभ' बता चुके हैं.

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बीजेपी नेताओं ने पकड़ी संगम की राह

बीजेपी और उसके नेता महाकुंभ में स्नान पर लगातार जोर दे रहे हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने संगम में डुबकी लगाई थी और संगम के तट से कई विकास योजनाओं का ऐलान किया था. उत्तर प्रदेश सरकार ने इसलिए ही बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य गणमान्य लोगों को प्रयागराज महाकुंभ के लिए आमंत्रित किया है. वो लोग प्रयागराज पहुंच भी रहे हैं.पीएम मोदी से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह संगम में स्नान कर चुके हैं.

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