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This Article is From Jun 15, 2014

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी की पहली विदेश यात्रा, दो-दिवसीय दौरे पर भूटान पहुंचे

मोदी भूटानी संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे

नई दिल्ली / थिंफू:

प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी रविवार को पहली विदेश यात्रा पर भूटान पहुंचे, जहां वह इस पड़ोसी देश के साथ ज्यादा प्रभावी सहयोगात्मक संबंध बनाने पर जोर देंगे। पारो हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने उनकी अगवानी की और उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। प्रधानमंत्री के साथ विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव सुजाता सिंह भी हैं।

प्रधानमंत्री पारो से 50 किलोमीटर दूर थिंपू गए। इस पहाड़ी रास्ते में प्रकृति के नयनाभिराम दृश्य दिखाई देते हैं। पारो और थिंपू के बीच पूरे रास्ते पर बच्चे और आम लोग मोदी के स्वागत में भारत और भूटान के ध्वज लहरा रहे थे। रास्ते में मोदी की तस्वीरों वाले बड़े-बड़े होर्डिंग भी नजर आ रहे थे। अपने आगमन के फौरन बाद मोदी ने भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक से बातचीत की।

यात्रा पर जाने से पहले मोदी ने कहा कि भूटान उनकी पहली विदेश यात्रा के लिए स्वाभाविक स्थल था, क्योंकि उसके साथ भारत के अनोखे और विशिष्ट संबंध हैं।

अपनी यात्रा की पूर्व संध्या पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार रात कहा कि उनकी पहली विदेश यात्रा के लिए भूटान 'अद्वितीय और अद्भुत संबंधों' की वजह से एक 'स्वाभाविक पसंद' है तथा उनकी यात्रा विकास सहयोग को और भी अधिक प्रभावी बनाने पर केंद्रित होगी।

यात्रा पर रवाना होने से पूर्व मोदी ने अपने बयान में कहा कि भूटान के साथ संबंध उनकी सरकार की महत्वपूर्ण विदेश नीति की प्राथमिकता होगी। मोदी ने कहा, मैं भूटान की अपनी पहली यात्रा एवं भूटान के साथ भारत के विशेष संबंधों को और भी अधिक गहरा तथा मजबूत बनाए जाने को लेकर उत्सुक हूं। उनका यह दौरा भूटान नरेश और भूटानी प्रधानमंत्री के आमंत्रण पर हो रहा है।

मोदी ने कहा, मैं पहले से ही मजबूत संबंधों को और मजबूत करने के लिए अत्यंत खुशी एवं दृढ़ इच्छा के साथ भूटान जा रहा हूं। मोदी ने बताया कि उन्होंने अपनी पहली विदेश यात्रा के रूप में भूटान को क्यों चुना। उन्होंने कहा, समान हितों और साझा समृद्धि से बंधे भारत और भूटान के बीच अद्वितीय और खास संबंध हैं, जो भूगोल, इतिहास और संस्कृति के रिश्तों से बने हैं, इसलिए प्रधानमंत्री के रूप में मेरी पहली विदेश यात्रा के गंतव्य के रूप में भूटान एक स्वाभाविक पसंद है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा के दौरान उन्हें द्विपक्षीय संबंधों के संपूर्ण पहलू पर भूटान नरेश तथा भूटानी प्रधानमंत्री के साथ विस्तृत चर्चा करने का मौका मिलेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, हमारे विकास सहयोग कार्यक्रम की भूटानी नेतृत्व के साथ मैं समीक्षा करूंगा, ताकि इसे भूटान के लोगों की बदलती आकांक्षाओं के परिप्रेक्ष्य में और अधिक प्रभावी तथा जवाबदेह बनाया जा सके।

मोदी ने कहा, भूटान और भारत के बीच बेहद खास रिश्ता है, जो वक्त पर खरा उतरा है। उन्होंने कहा कि भूटान का शांतिपूर्ण एवं सुगम तरीके से लोकतांत्रिक संवैधानिक राष्ट्र के रूप में बदलाव एक सफल कहानी रहा है। उसके गौरवों की बुद्धिमानी पूर्ण दूरदर्शिता के अनुरूप क्रमिक ढंग से इसका चुनाव आयोजन इसके लोकतंत्र के मजबूत होने का साक्ष्य है।

यात्रा के दौरान मोदी भूटान की संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। वह भारत की सहायता वाली परियोजनाओं में से एक भूटान के सुप्रीम कोर्ट की इमारत का भी उद्घाटन करेंगे। मोदी ने बयान में कहा, भारत सरकार भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास में इसकी विशेषाधिकृत और अग्रणी साझेदार रही है। हम भूटान की उल्लेखनीय आर्थिक वृद्धि और इसकी प्रगति तथा समृद्धि से अभिभूत हैं। हम भूटान को इसके विकास प्रयासों में अपना भरपूर समर्थन जारी रखने को कटिबद्ध हैं।

उन्होंने कहा कि भूटान के साथ पनबिजली सहयोग फायदे वाले सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण तथा समूचे क्षेत्र के लिए एक मॉडल है। यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी 600 मेगावाट की खोलोंगचू पनबिजली परियोजना की आधारशिला रखेंगे।

(इनपुट भाषा से भी)

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