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This Article is From Sep 02, 2022

विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है, भारत के बुलंद हौसलों की हुंकार है : PM नरेंद्र मोदी

INS Vikrant: विक्रांत 25 वर्ष बाद नए रूप में नौसेना की शान बना है. विक्रांत के कमान अधिकारी के कमीशन वारंट पढ़ने के साथ विमानवाहक पोत देश को समर्पित हो गया.

विक्रांत 25 वर्ष बाद नए रूप में नौसेना की शान बना है.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत देश को समर्पित कर दिया. विक्रांत 25 वर्ष बाद नए रूप में नौसेना की शान बना है. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि 'विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है, विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है. भारत के बुलंद हौसलों की हुंकार है. विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है. ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है. यदि लक्ष्य दुरन्त हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियाँ अनंत हैं- तो भारत का उत्तर है विक्रांत. आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत. आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत.'

पीएम मोदी ने कहा, 'आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है. आज INS विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है. INS विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है. ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है. इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है.'

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साथ ही पीएम मोदी ने कहा, 'इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए. छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी. जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे.'

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नौसेना के नए ध्वज का अनावरण करते हुए पीएम मोदी ने कहा, 'अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी. लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा. आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है. आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है. आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है.'
 

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