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This Article is From May 30, 2020

PM Modi सरकार 2.0 के 1 साल: ताकतवर नेता बने अमित शाह (Amit Shah), लेकिन दो जगहों पर चूके, कमरे में लगी हैं इनकी तस्वीरें

प्रधानमंत्री मोदी के दूसरे कार्यकाल अमित शाह देश के दूसरे सबसे बड़े ताकतवर नेता बनकर उभरे हैं. दूसरे कार्यकाल में उनको बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह की जगह गृह मंत्री बनाया गया

PM Modi सरकार 2.0 के 1 साल:  ताकतवर नेता बने अमित शाह (Amit Shah), लेकिन दो जगहों पर चूके, कमरे में लगी हैं इनकी तस्वीरें
मोदी सरकार-2 में अमित शाह सबसे ताकतवर मंत्री हैं
नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) के दूसरे कार्यकाल अमित शाह (Amit Shah) देश के दूसरे सबसे बड़े ताकतवर नेता बनकर उभरे हैं. दूसरे कार्यकाल में उनको बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह की जगह गृह मंत्री बनाया गया. ऐसी खबरें थीं कि राजनाथ सिंह इस फैसले से खुश नहीं थे हालांकि उनको रक्षामंत्री बनाया गया था. अमित शाह के गृहमंत्री बनते ही इस बात का अंदाजा लगना शुरू हो गया था कि इस बार मोदी सरकार कुछ अपने मूल एजेंडे पर काम करने की तैयारी कर रही है. बाद में हुआ भी यही अमित शाह ने बीते साल अगस्त के महीने में संसद में बिल लाकर जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का ऐलान कर दिया. बीजेपी और आरएसएस के नेता जिस बात का बीते 60 सालों से इंतजार कर रहे थे उसका ऐलान खुद पीएम मोदी खुद भी कर सकते थे. लेकिन माना जाता है कि यह पीएम मोदी की रणनीति थी ताकि अमित शाह को एक नेता के तौर पर देश में स्थापित किया जा सके.  

इसके बाद अमित शाह की अगुवाई में नागरिकता संशोधन बिल पास किया गया तो इस दिन भी पीएम मोदी की संसद में नहीं थे. वो उस दिन झारखंड की रैली में व्यस्त थे. यह भी शाह को स्थापित करने की रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है. तीन तलाक और एनआरसी के मुद्दे पर भी अमित शाह ने ही सरकार की ओर से मोर्चा संभाला. बीते एक साल में पीएम मोदी की छवि एक विकासवादी नेता तो अमित शाह की छवि एक कड़क और हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर पेश की जा रही है. हालांकि अमित शाह दो मौकों पर चूके हैं जिससे सरकार और बीजेपी को आलोचना भी झेलना पड़ा. 

जब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को एनआरसी से जोड़ा
नागरिकता संशोधन कानून का पहले से देश में विरोध हो रहा था. क्योंकि इसमें पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए गैर-मुस्लिमों को ही नागरिकता देने का प्रावधान था. लेकिन बाद में गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बयान दिया कि नागरिकता संशोधन कानून के बाद अब एनआरसी आकर रहेगा. जिससे आम मुसलमानों में यह कथित संदेश गया कि अगर वह नागरिक होने का प्रमाण नहीं दे पाए तो मोदी सरकार उनको देश से निकाल देगी. इसके बाद देश के कई हिस्सों में हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गए. हालांकि बाद में पीएम मोदी को सफाई देनी पड़ी कि सीएए नागरिकता छीनने का नहीं, नागरिकता देने का कानून है. पीएम मोदी ने यह भी कहा कि अभी तक एनआरसी को लेकर सरकार में कोई चर्चा ही नहीं हुई है. कुल मिलाकर अमित शाह का एक बयान सरकार को बैकफुट पर ले आया था. 

लॉकडाउन की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय पर
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए लगाए लॉकडाउन के पालन, दिशा-निर्देश की जिम्मेदारी गृह मंत्रालय की है. खबर है किगृहमंत्री के तौर पर अमित शाह ने इस दौरान काफी मेहनत की है. वह सुबह 8 बजे तक ऑफिस आ जाते हैं और देर रात तक काम करते रहते हैं. लेकिन अचानक लिए गए लॉकडाउन के फैसले के बाद से जो हालात उपजे और खासकर प्रवासी मजदूरों को लेकर, ऐसा लगता है कि गृह मंत्रालय उसका ठीक से आकलन नहीं कर पाया था. प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर सरकार की काफी किरकिरी हुई. वहीं लॉकडाउन के दिशा-निर्देशों पर भी उहापोह की स्थिति रही है. 

अमित शाह ने कमरे में लगी हैं दो लोगों की तस्वीर

For 'Transparency In Public Life', Amit Shah Donates 1000 To PM's App
अमित शाह को राजनीति का चाणक्य कहा जाता है. वह अपने लक्ष्य को पाने के लिए कड़े फैसले लेने वाले नेता हैं. उनकी छवि एक कट्टर हिंदुत्ववादी नेता के तौर पर है. अमित शाह की अक्सर एक तस्वीर आती रहती है जिसमें दो ऐसे लोगों की तस्वीर दीवार पर टंगी है जो आरएसएस नहीं है. एक हैं विनायक दामोदर सावरकर और दूसरे हैं चाणक्य.

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