PM मोदी मंगलुरु में करेंगे 3800 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण

वहीं, कोच्चि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को देश को समर्पित करेगें जिसके साथ ही यह विधिवत रूप से नौसेना के बेड़े में शामिल हो जायेगा.

PM मोदी मंगलुरु में करेंगे 3800 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का लोकार्पण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी.

मंगलुरु :

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कर्नाटक के मंगलुरु में करीब 3800 करोड़ रुपये की मशीनीकरण और औद्योगीकरण परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे. पीएम मोदी ने गुरुवार को ट्वीट कर कहा, 'कल 2 सितंबर को मैं मंगलुरु की अपनी बहनों और भाइयों के बीच होने की उम्मीद करता हूं. वहां पर 3,800 करोड़ रुपये की प्रमुख परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाएगा या उनकी आधारशिला रखी जाएगी. ये महत्वपूर्ण कार्य मशीनीकरण और औद्योगीकरण से संबंधित हैं."

पीएम मोदी न्यू मैंगलोर पोर्ट अथॉरिटी द्वारा शुरू किए गए कंटेनरों और अन्य कार्गो को संभालने हेतु बर्थ नंबर 14 के मशीनीकरण के लिए 280 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजना का उद्घाटन करेंगे.

मैकेनाइज्ड टर्मिनल से कार्यकुशलता बढ़ेगी और टर्नअराउंड समय, बर्थिंग से पहले की देरी और बंदरगाह में रहने के समय में लगभग 35 प्रतिशत की कमी आएगी, जिससे कारोबारी माहौल को बढ़ावा मिलेगा. परियोजना के पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है. इससे संचालन क्षमता में 4.2 एमटीपीए की वृद्धि हुयी है और 2025 तक बढ़कर यह 6 एमटीपीए से अधिक हो जाएगा.

वहीं, कोच्चि में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को देश को समर्पित करेगें जिसके साथ ही यह विधिवत रूप से नौसेना के बेड़े में शामिल हो जायेगा. विक्रांत भारत में बनाया गया अब तक का सबसे बड़ा युद्धपोत है और इस के निर्माण पर 20 हजार करोड़ रूपए से अधिक की लागत आई है. यह भारतीय नौसेना के लिए देश में डिजाइन और निर्मित पहला विमानवाहक पोत भी है. इससे नौसेना के पास दो विमानवाहक पोत हो गए हैं और उसकी मारक क्षमता कई गुना बढ गई है. इस विमानवाहक पोत के निर्माण के साथ ही भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो विमानवाहक पोत बनाने में सक्षम है. इस पोत में इस्तेमाल 76 प्रतिशत साजो सामान घरेलू कम्पनियों द्वारा बनाया गया है.

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प्रधानमंत्री नये नौसेना ध्वज (निशान) का अनावरण भी करेंगे, जो औपनिवेशिक अतीत को पीछे छोड़ते हुए भारत की सामुद्रिक विरासत का प्रतीक बनेगा.



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