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This Article is From Apr 04, 2024

क्या है PM मोदी की 'आर्थिक गारंटी' का प्लान? भारत को कैसे बनाएंगे तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी

पीएम मोदी चुनावी रैलियों में आर्थिक विकास को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक के तौर पर जनता के सामने रख रहे है.

क्या है PM मोदी की 'आर्थिक गारंटी' का प्लान? भारत को कैसे बनाएंगे तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी
नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 (Lok sabha election 2024) की तैयारी जारी है. अब तक सामने आए तमाम सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली एनडीए को जीत का मजबूत दावेदार बताया जा रहा है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर के अनुसार न्यूज एजेंसी के हाथ कुछ कागजात लगे हैं जिनमें पीएम मोदी (PM Modi) के लक्ष्य का खुलासा हुआ है. जीत की संभावनाओं के बीच पीएम मोदी ने इस दशक में अर्थव्यवस्था और निर्यात को लगभग दोगुना करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है. 

2030 तक अर्थव्यवस्था को 6.69 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य 
पीएम मोदी चुनावी रैलियों में आर्थिक विकास को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक के तौर पर जनता के सामने रख रहे हैं. पीएम मोदी ने जनता से वादा किया है कि तीसरी बार अगर उनकी वापसी होती है तो भारत की इकोनॉमी पांचवें स्थान से तीसरे स्थान पर पहुंच जाएगी.  रॉयटर्स की खबर के अनुसार पीएम मोदी ने अधिकारियों से 2030 तक अर्थव्यवस्था को 6.69 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य दिया है. हालांकि सामने आए दास्तावेज में इसके लिए क्या कदम उठाए जाएंगे इसे लेकर कुछ भी नहीं कहा गया है. 

कोरोना संकट के कारण पूरा नहीं हुआ लक्ष्य
पांच साल पहले  जब पीएम मोदी ने दूसरे कार्यकाल के लिए पदभार संभाला था, तो उन्होंने इसे 5 ट्रिलियन डॉलर तक ले जाने का वादा किया था. हालांकि कोरोना संकट और बाद में कई देशों में जारी युद्ध के हालात के बीच भारत उस लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया.  अगले छह वर्षों में पीएम मोदी ने जो लक्ष्य रखा है उसके तहत देश में प्रति व्यक्ति आय लगभग 2,500 डॉलर से बढ़ाकर 4,418 डॉलर करना है. हालांकि समाचार एजेंसी को जो दास्तावेज हाथ लगे हैं उसमें इस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए किसी रोडमेप का जिक्र नहीं है. इस मुद्दे पर पीएम मोदी के कार्यालय और वित्त मंत्रालय की तरफ से इस मुद्दे पर सवाल पूछे जाने पर अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है. 

अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य ने क्या कहा? 
स्वतंत्र अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्यने कहा कि दशक के अंत तक इकॉनॉमी को दोगुना करना एक "बहुत कठिन उपलब्धि" होगी, जिसके लिए अगले सात वर्षों में 4.5 प्रतिशत की मुद्रास्फीति के साथ 6 प्रतिशत-6.5 प्रतिशत की वृद्धि की आवश्यकता होगी.  हालांकि, सरकारी खर्च से प्रेरित मजबूत विनिर्माण और निर्माण गतिविधि के कारण, 31 मार्च को समाप्त हुए पिछले वित्तीय वर्ष में अर्थव्यवस्था में लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है, जो दुनिया के प्रमुख देशों में सबसे अधिक है. 

क्या यह लक्ष्य पूरा होगा? 
वित्त मंत्रालय के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी, सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा कि दस्तावेज़ में विकास के अनुमान को लेकर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा है कि इसमें योजना का अभाव दिखता है.   2019 तक मोदी सरकार के वित्त सचिव रहे गर्ग ने कहा, "आमतौर पर अंकगणितीय गणनाओं और मान्यताओं पर आधारित ऐसी योजना तब तक निरर्थक होती है जब तक कि वास्तविक तौर पर अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए गंभीर आर्थिक सुधार की योजना न हो"

बीजेपी ने सरकार पर साधा निशाना
विपक्षी कांग्रेस का का कहना है कि पीएम मोदी के नेतृत्व में पिछले कुछ वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि ने रोजगार पैदा करने और ग्रामीण संकट को कम करने के लिए बहुत कम काम किया है, जबकि अमीर और गरीब के बीच असमानता बढ़ी है. दस्तावेज़ में कहा गया है कि पीएम मोदी की सरकार चाहती है कि वस्तुओं और सेवाओं का निर्यात 2030 तक लगभग 700 बिलियन डॉलर से बढ़कर 1.58 ट्रिलियन डॉलर हो जाए, जिससे वैश्विक व्यापार में भारतीय निर्यात की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 4 प्रतिशत से अधिक हो सकती है.

पीएम मोदी ने रैलियों में कहा है कि उन्हें आजादी के 100वें साल यानी 2047 तक भारत को मध्य-आय स्तर से विकसित अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के उपायों को लागू करने के लिए सत्ता में बने रहने की जरूरत है. हालांकि पीएम ने अभी तक उपायों के बारे में नहीं बताया है.

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