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This Article is From Jan 19, 2023

पीएम मोदी ने घुमंतू लंबानी जनजातियों के लिए ‘हक्कू पत्र’ वितरण अभियान की शुरुआत की

कर्नाटक : प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, यह बंजारा समुदाय के लोगों के लिए एक बड़ा दिन है, हक्कू पत्र के माध्यम से 50,000 से अधिक लोगों को उनके घर का हक मिला है

पीएम मोदी ने घुमंतू लंबानी जनजातियों के लिए ‘हक्कू पत्र’ वितरण अभियान की शुरुआत की
पीएम नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के मालखेड में एक जनसभा को संबोधित किया.
कलबुर्गी (कर्नाटक):

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुरुवार को उत्तरी कर्नाटक के पांच जिलों में घुमंतू लंबानी (बंजारा) जनजाति के 52,000 से अधिक सदस्यों के लिए जमीन का मालिकाना हक देने वाले ‘हक्कू पत्र' वितरण अभियान की शुरुआत की. जिले के मालखेड में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘यह बंजारा (लंबानी घुमंतू) समुदाय के लोगों के लिए एक बड़ा दिन है क्योंकि हक्कू पत्र के माध्यम से 50,000 से अधिक लोगों को उनके घर का हक मिला है.''

पीएम मोदी ने इस मौके पर पांच घुमंतू जोड़ों को पांच ‘हक्कू पत्र' वितरित किए. उन्होंने कहा कि यह ‘हक्कू पत्र' कलबुर्गी, बीदर, यादगिर, रायचूर और विजयपुरा जिलों में टांडा (लंबानी समदुाय के रिहायशी स्थल) में रहने वाले हजारों लोगों के भविष्य को सुरक्षित करेगा.

उन्होंने दावा किया कि 1993 में ‘टांडा' को राजस्व गांव का दर्जा देने की सिफारिश की गई थी लेकिन सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले राजनीतिक दल ने लंबानी को वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया और कभी भी इन पिछड़े परिवारों के जीवन स्तर में सुधार करने की कोशिश नहीं की.

पीएम मोदी ने कहा, ‘‘टांडा में रहने वालों को अपने अधिकारों के लिए एक लंबा संघर्ष करना पड़ा और कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा.'' उन्होंने कहा कि ‘‘लेकिन अब निराशाजनक माहौल बदल रहा है. मैं बंजारा माताओं को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उनका बेटा (मोदी) दिल्ली में बैठा है.''

कलबुर्गी, यादगिर, रायचूर, बीदर और विजयपुरा जिलों में लगभग 1,475 गैर-पंजीकृत बस्तियों को नए राजस्व गांवों के रूप में घोषित किया गया है.

जिन लाभार्थियों को मालिकाना अधिकार पत्र जारी किए गए हैं उनमें से बड़ी संख्या में लोग अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग और कमजोर समुदायों के हैं. इन लाभार्थियों को मालिकाना अधिकार पत्र देना उनकी भूमि को सरकार से औपचारिक मान्यता प्रदान करने की दिशा में एक कदम है, जो उन्हें पेयजल, बिजली, सड़क आदि जैसी सरकारी सेवाएं प्राप्त करने के लिए पात्र बना देगा.

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