विज्ञापन

Exclusive : PM मोदी ने दिखाई भविष्य के भारत की झलक, 100 साल की सोच... 1000 साल का ख्वाब; पढ़ें पूरा इंटरव्यू

NDTV को दिए Exclusive Interview में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अब कुछ घटनाक्रम हो रहे हैं, जो हमें 1000 साल के लिए उज्जवल भविष्य की तरफ ले जा रहे हैं.

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने NDTV को दिए Exclusive Interview में तमाम सवालों का विस्तार से जवाब दिया. एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया से बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने भारत के भविष्य की झलक दिखाई. उन्होंने 125 दिन का एजेंडा, 2047 की योजना, 100 साल की सोच और 1000 साल के ख्वाब का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि बड़ा पाना है तो बड़ा सोचना होगा. क्योंकि कुछ घटनाओं ने भारत को 1000 साल तक मजबूर रखा. यहां पढ़ें पूरा इंटरव्यू...

एनडीटीवी के दर्शकों का खास स्‍वागत है. हम आपके लिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बेहद खास मुलाकात लेकर आए हैं.

सर, अब हम छह चैनल और 7 डिजिटल प्‍लेफॉर्म के एक बड़े नेटवर्क हो गए हैं. अभी-अभी हमने एनडीटीवी मराठी भी लॉन्‍च किया है और एक बिजनेस चैनल भी है, बाकि तो पता ही है आपको. एक नए नेटवर्क के रूप में हम मर्ज हो रहे हैं. हमको लगता है कि आपने जितनी भी बातें कहीं हैं, उसका आज एक निचोड़ निकालने का इस चर्चा में हम प्रयास करें, तो मेरा पहला सवाल आपसे ये होगा...

एनडीटीवी : आपने दो वाक्यों का प्रयोग किया, एक अयोध्या में कि अब एक हजार साल की बुनियाद रखी जा रही है और 100 साल का अजेंडा बन रहा है, जो मोदी युग के तीसरे अध्याय में जिसकी झलक मिलेगी. 2047 की बात तो आप करते  ही हैं. गवर्नेंस में आपका इस बार सबसे बड़ा फोकस क्या रहेगा?

पीएम नरेंद्र मोदी : : आपने देखा होगा कि मैं टुकड़ों में नहीं सोचता हूं और मेरा बड़ा कॉप्रिहेन्सिव और इंटिग्रेटिड अप्रोच होता है. दूसरा सिर्फ मीडिया अटेंशन के लिए काम करना, यह मेरी आदत में नहीं है और मुझे लगा कि किसी भी देश के जीवन में कुछ टर्निंग पॉइंट्स आते हैं. अगर उसको हम पकड़ लें तो बहुत बड़ा फायदा होता है. व्यक्ति के जीवन में भी... जैसे जन्मदिन आता है, तो हम मनाते हैं, क्योंकि उत्साह बढ़ जाता है. नई चीज बन जाती है. वैसे ही जब आजादी के 75 साल हम मना रहे थे, तब मेरे मन में वह 75वें साल तक सीमित नहीं था. मेरे मन में आजादी के 100 साल थे. मैं जिस भी इंस्टिट्यूट में गया, उसमें मैंने कहा कि बाकी सब ठीक है, देश जब 100 साल का होगा, तब आप क्या करेंगे? अपनी संसद को कहां ले जाएंगे. जैसे अभी 90 साल का कार्यक्रम था... RBI में गया था... मैंने कहा ठीक है RBI 100 साल का होगा, तब क्या करेंगे? और देश जब 100 साल का होगा, तब आप क्या करेंगे? देश मतलब आजादी के 100 साल. हमने 2047 को ध्यान में रखते हुए काफी मंथन किया. लाखों लोगों से इनपुट लिए और करीब 15-20 लाख तो यूथ की तरफ से सुझाव आए. एक महामंथन हुआ. बहुत बड़ी एक्साइज हुई है. इस मंथन का हिस्सा रहे कुछ अफसर तो रिटायर भी हो गए हैं, इतने लंबे समय से मैं इस काम को कर रहा हूं. मंत्रियों, सचिवों, एक्सपर्ट्स सभी के सुझाव हमने लिए हैं और इसको भी मैंने बांटा है. 25 साल, फिर पांच साल, फिर एक साल, 100 दिन.. स्टेजवाइज मैंने उसका पूरा खाका तैयार किया है. चीजें जुड़ेंगी इसमें. हो सकता है एक आधी चीज छोड़नी भी पड़े, लेकिन मोटा-मोटा हमें पता है कैसे करना है. हमने इसमें अभी 25 दिन और जोड़े हैं. मैंने देखा कि यूथ बहुत उत्साहित है, उमंग है, अगर उसको चैनलाइज्ड कर देते हैं, तो एक्स्ट्रा बेनिफिट मिल जाता है और इसलिए मैं 100 दिन प्लस 25 दिन यानी 125 दिन काम करना चाहता हूं. हमने माई भारत लॉन्च किया है. आने वाले दिनों में मैं 'माई भारत' के जरिए कैसे देश के युवा को जोड़ूं, देश की युवा शक्ति को बड़े सपने देखने की आदत डालूं, बड़े सपने साकार करने की उनकी हैबिट में चेंज कैसे लाऊं पर मैं फोकस करना चाहता हूं और मैं मानता हूं कि इन सारे प्रयासों का परिणाम होगा. मैंने लालकिले से भी कहा था और आज मैं दोबारा कह रहा हूं कि देश में कुछ ऐसी घटनाएं घटीं, जिसने हमको बड़ी विचलित अवस्था में जीने को मजबूर कर दिया. अब वे घटनाएं घट रही हैं, जो हमें हजार साल के लिए उज्ज्वल भविष्य की तरफ ले जा रही हैं. तो मेरे मन में साफ है कि यह समय हमारा है. यह भारत का समय है और अब हमको मौका छोड़ना नहीं चाहिए.

ये भी पढ़ें : तब नेहरू ने ड्रामा किया था, शहजादे ने भी कैबिनेट नोट फाड़ा... संविधान को लेकर PM मोदी का पूरे गांधी परिवार को जवाब

Latest and Breaking News on NDTV

एनडीटीवी : आपने बिल्कुल ठीक कहा. इसके लिए आपके जो बिल्डिंग ब्लॉक्स हैं, उसमें एक चीज जो उभरकर सामने आई, वो थी इंफ्रास्ट्रक्टर पर काम. सड़क पुल हाइवे 60 पर्सेंट से ज्यादा बन गए हैं, एयरपोर्ट डबल हो गए, लोग बहुत ट्रैवल कर रहे हैं. दरअसल इतनी तेजी से सब बना, उसके बाद भी आप छोटे पड़ रहे हैं. तो आप इसे इंक्रिमेंटल ग्रोथ देखते हैं, या फिर एक नया फोकस आपके मन में है?

पीएम नरेंद्र मोदी : आजादी के बाद लोग तुलना करते हैं कि भई हमारे साथ जो आजाद हुए देश, वे इतने आगे निकल गए, हम क्यों नहीं देखते हैं. दूसरा हमने गरीबी को वर्चू बना लिया है.. ठीक है यार चलता है.. क्या है.. एक बड़ा सोचना, दूर का सोचना, यह शायद गुलामी के दबाव में कहो या फिर... इसी मिजाज में हम चलते रहे और मैं मानता हूं कि इंफ्रास्ट्रक्चर का दुरुपयोग हमारे देश में बहुत हुआ. इंफ्रास्ट्रक्चर का मतलब ही यह हो गया था कि जितना बड़ा प्रोजेक्ट, उतनी बड़ी मलाई, तो यह मलाई फैक्टर से देश जुड़ गया था, उससे देश तबाह हो गया. मैंने देखा कि सालों तक इन्फ्रास्ट्रकर या तो कागज पर है, या तो भाई पत्थर लगा है, शिलान्यास हुआ है. जब मैं यहां आया तो प्रगति नाम का मेरा एक रेग्युलर प्रोजक्ट है. मैं रिव्यू करने लगा और रिव्यू कर करके मैंने उसको गति दी. कुछ हमारा माइंडसेट है. हमारी ब्यूरोक्रेसी है. सरदार साहब ने कुछ कोशिश की थी, अगर वह लंबे समय रहते तो हमारी सरकार व्यवस्थाओं की जो मूलभूत खाका होता है, उसमें बदलाव आता. वह नहीं आया. सरकार अफसर को पता होना चाहिए, आखिर उसकी लाइफ का पर्पज क्या है. यह तो नहीं है कि मेरा प्रमोशन कब होगा और अच्छा डिपार्टमेंट मुझे कब मिलेगा, वह यहां सीमित नहीं हो सकता है, तो ह्यूमन रिसोर्स के लिए सरकार टेक्नॉलजी कैसे लाई, इस पर हमारा काम है. तो इंफ्रास्ट्रकचर में भी, फिजिकल इंफ्रास्ट्रक्टर, सोशल इंफ्रास्ट्रकर, टेक्नॉलजिकर इंफ्रास्ट्रक्चर... इंफ्रास्ट्रक्चर से भी एक बात है मेरे मन में, एक तो स्कोप बहुत बड़ा होना चाहिए, टुकड़ों में नहीं होना चाहिए, दूसरा स्केल बहुत बड़ा होना चाहिए और स्पीड भी उसके मुताबिक होनी चाहिए. यानी स्कोप, स्केल, स्पीड और उसके साथ स्किल होनी चाहिए. ये चारों चीजें अगर हम मिला लेते हैं, मैं समझता हूं हम बहुत कुछ अचीव कर लेत हैं और मेरी कोशिश यही होती है कि स्किल भी, स्केल भी हो और स्पीड भी हो, और कोई स्कोप जाने नहीं देना चाहिए. यह मेरी कोशिश रहती है. पहले भी कैबिनेट के नोट बनते बनते तीन महीने लगते थे. मैंने कहा मुझे बताइए, कहां रुकता है धीरे-धीरे करके मैं करीब मैं 30 दिन ले आया, हो सकता है कि मैं आने वाले दिनों में और कम कर दूंगा. स्पीड का मतलब यह नहीं है कि कंस्ट्रक्शन की स्पीड बढ़े निर्णय प्रक्रियाओं में भी गति आनी चाहिए. इसलिए हर चीज की तरफ मैं ध्यान केंद्रित करता हूं. एक आपको ध्यान होगा... बहुत कम लोगों का है.. कभी आप एक प्रोग्राम कर सकते हैं टीवी पर गति शक्ति, जैसे दुनिया में हमारे डिजिटल इंफ्रास्ट्रकर की चर्चा होती है, लेकिन गति शक्ति की उतनी चर्चा नहीं है. टेक्नॉलजी का एक अदभुत उपयोग... स्पेस टेक्नॉलजी का अद्भुत उपयोग और पूरे भारत में कहीं पर भी कोई इंफ्रास्ट्रक्चर का प्रोजेक्ट करना है, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट बढ़ाना है, गति शक्ति ऐसा प्लेटफॉर्म है... मैंने देखा जब मैंने पहली बार इसे लॉन्च किया तो राज्यों के चीफ सेक्रटरी इतने खुश हो गए... आप हमारे गतिशक्ति प्लैटफॉर्म पर डेटा है, उसकी 1600 लेयर्स हैं, आप कोई भी चीज डालोगे, उसे 1600 लेयर्स में से वेरिफाई होकर आता है कि यहां कर सकते हैं, नहीं कर सकते हैं. यह अपने आप में एक बड़ी यूनिक चीज है. अब यूपीआई, फिनटेक की दुनिया में आज दुनिया में यह बहुत बड़ा काम हुआ है.. मैं तो प्रगति में यह करता हूं कि इन्फ्रास्ट्रक्चर की मजबूत के लिए करीब 11 या 12 लाख करोड़ रुपया, जो कई डेढ़ या दो लाख करोड़ रुपया रहता था, इतना बड़ा जंप है. अब रेलवे में भी... आधुनिक रेलवे बनाने की दिशा में काम हो रहा है. हमने अनमैन क्रॉसिंग, उस समस्या को पूरी तरह से जीरो कर दिया है. अब रेलवे स्टेशन की सफाई देखिए, हर चीज पर बारीकी से ध्यान दिया गया है. हमने इलेक्ट्रिफिकेशन पर बल दिया. करीब-करीब 100 पर्सेंट इलेक्ट्रिफिकेशन पर हम चले गए हैं. हम रेलवे ट्रैक का उपयोग... आपको खुशी होगी... पहले हमारे यहां गुड्स ट्रेन थी या पैसेंजर ट्रेन थी, मैंने उसमें यात्री ट्रेन की परंपरा शुरू की. जैसे रामायण सर्किट की ट्रेन चलती है, एक बार पैसेंजर अंदर गया, पूरी 18-20 दिन की यात्रा पूरी करके, सारी सुविधाएं लेकर वह यात्रा पूरी करता है. सीनियर सीटिजन्स के लिए बहुत बड़ा काम हुआ है. जैन तीर्थ क्षेत्रों की यात्रा चल रही है. द्वादश ज्योर्तिर्लिंग की चल रही है. बुद्ध सर्किट की चल रही है. यानी सिर्फ इंफ्रास्ट्रकर को बनाकर छोड़ देने से बात नहीं बनती है. हमने उसके अधिकतम इस्तेमाल का प्लान साथ-साथ करना चाहिए. उस दिशा में हम काम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें : नोबेल विजेता प्रोफेसर को मैंने फोन दिखाया तो वे हैरान रह गए... PM मोदी ने सुनाया भारत की डिजिटल क्रांति का किस्सा

Latest and Breaking News on NDTV

एनडीटीवी : आपने जो जिक्र किया, उससे जो मुझे समझ आया कि जो हेडलाइन है वह यह है कि ब्यूरोक्रेसी में आपने बहुत परिवर्तन किए हैं, आपने सरदार पटेल का भी हवाला दिया तो मुझे लगता है कि इन सब कामों को अंजाम देने में गवर्नेंस स्ट्रक्टर में ब्यूरोक्रेटिक चेंजेज बड़े पैमाने पर आप करने जा रहे हैं.

पीएम नरेंद्र मोदी :
पहली बात यह है कि एक ट्रेनिंग सबसे बड़ी जीत है. रिक्रूटमेंट प्रोसेस बहुत बड़ी चीज है. मैंने इस पर बहुत बल दिया है. ट्रेनिंग इंस्टिट्यूशन्स को हमने पूरी तरह से बदल दिया है. टेक्नॉलजी का भरपूर इस्तेमाल की दिशा में हम बदल दे रहे हैं. रिक्रूटमेंट में मैंने लोअर लेवल के इंटरव्यू सब खत्म कर दिए हैं. वह भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया था. गरीब आदमी को लूटा जा रहा था, मेरिट के आधार पर कम्प्यूटर तय करता है, कि उसको नौकरी दे दो. समय भी बच जाता है हो सकता है उसमें दो तीन पर्सेंट ऐसे लोग भी आ जाएंगे, जो न होते तो अच्छा होता, लेकिन बेईमानी से तो 15 पर्सेंट लोग आ जाते. दूसरी बात, आजकल मेरी कैबिनेट में बड़ी महत्वपूर्ण परंपरा चली है. संसद में कोई बिल आता है, तो उसके साथ में ग्लोबल स्टैंडर्ड का एक नोट भी आता है. दुनिया में उस फील्ड में कौन सा देश सबसे अच्छा कर रहा है, उस देश के कानून नियम क्या हैं, हमें वह अचीव करना है तो हमें यह कैसा करना चाहिए. यानी हर कैबिनेट नोट ग्लोबल स्टैंडर्ड से मैच करने लाना होता है. उसके कारण मेरी ब्यूरोक्रेसी की आदत हो गई है... कि बातें करने से नहीं कि दुनिया में बढ़िया है. दुनिया में क्या बढ़िया है यह बताना होगा. वहां जाने का हमारा रास्ता क्या है. जैसे हमारे यहां 1300 आइलैंड्स हैं. आप हैरान हो जाएंगे जब मैंने आकर पूछा, हमारे पास कोई रेकॉर्ड नहीं था. सर्वे नहीं था. मैंने स्पेस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल करते हुए पूरे आइलैंड्स का सर्वे करवाया. कुछ आइलैंड तो करीब-करीब सिंगापुर से साइज के हैं. इसका मतलब भारत के लिए नए सिंगापुर बनाने मुश्किल काम नहीं हैं, अगर हम लग जाएं तो, हम उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

एनडीटीवी : यह आपने इंस्ट्रेस्टिंग जिक्र किया, सिंगापुर का उदाहरण देकर, तो फिर यह अनुमान लगाना गलत नहीं होगा कि जब हम इंफ्रास्ट्रक्चल डिवेलपमेंट की बात कर रहे हैं, तो कुछ ऐसी चीजें हो जाएंगी बहुत जल्दी, जो हमारी सामूहिक सोच अभी सोच भी नहीं पा रही है?

पीएम नरेंद्र मोदी : बहुत कुछ होगा. अब जैसे डिजिटल ऐंबैसी की कल्पना है. हम काफी मात्रा में उसको प्रमोट कर रहे हैं. आपने जो डिजिटल क्रांति भारत में देखी है, शायद मैं समझता हूं कि गरीब के एम्पावरमेंट का सबसे बड़ा साधन एक डिजिटल रेवोल्यूशन है. असामनता कम करने में डिजिटल रेवोल्यूशन बहुत बड़ा काम करेगा. मैं समझता हूं कि एआई, आज दुनिया यह मानती थी कि एआई में भारत में पूरी दुनिया को लीड करेगा. हमारे पास यूथ है, विविधता है, डेटा की ताकत है. दूसरा आपने देखा होगा कि मैं कंटेंट क्रिएटर्स से मिला था. गेमिंग वालों से मिला था. उन्होंने मुझे एक चीज बड़ी आश्चर्यजनक बताई. मैंने उनसे पूछा कि क्या कारण है कि यह इतना फैल रहा है, उन्होंने बताया कि डेटा बहुत सस्ता है. दुनिया में डेटा इतना महंगा है, मैं दुनिया की गेमिंग कॉम्पिटिशन में जाता हूं डेटा इतना महंगा पड़ता है... भारत में जब बाहर के लोग आते हैं तो हैरान हो जाते हैं.. कि अरे इतने में मैं..इसके कारण भारत में एक नया क्षेत्र खुल गया है. आज ऑनलाइन सब चीज एक्ससे है. कॉमन सर्विस सेंटर करीब 5 लाख से ज्यादा हैं. हर गांव में एक और बड़े गांव में 2-2, 3-3 हैं... किसी को रेलवे रिजर्वेशन करवाना है तो वह अपने गांव में ही कॉमन सर्विस सेंटर से करा लेता है. गर्वनेंस में मेरी अपने एक फिलॉसफी है. मैं कहता हूं 'P2G2'. प्रो पीपल गुड गवर्नेंस. न्यूयॉर्क में मैं प्रफेसर पॉल रॉमर्स से मिला था. नोबेल प्राइज विनर हैं. तो काफी बातें हुईं उनके साथ डिजिटल पर. वह मुझे सुझाव दे रहे थे कि डॉक्युमेंट रखने वाले सॉफ्टवेयर की जरूरत है. जब मैंने उनसे कहा कि मेरे फोन में डिजी लॉकर है. और जब मैंने मोबाइल फोन पर सारी चीजें दिखाईं, तो इतने वे उत्साहित हो गए.. दुनिया जो सोचती है, उससे कई कदम हम इस क्षेत्र में आगे बढ़ गए हैं. आपने जी 20 में भी देखा होगा भारत के डिजिटल रेवोल्यूशन की चर्चा पूरी दुनिया में है.

Latest and Breaking News on NDTV

एनडीटीवी : यह बात आपने सही कही कि भारत ने जो पब्लिक डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया है, वह दुनिया भर के देश आपसे कॉपी कर लेना चाहते हैं. एक खुद का अनुभव आपको बताऊं कि जो छोटा रोजगार करने वाले लोग हैं, उनको आप कैश देना चाहें तो 10 में से 9 लोग मना करते हैं कि कैश नहीं लेंगे, यह बड़ा परिवर्तन है.

पीएम नरेंद्र मोदीः ये रेहड़ी पटरी वाले लोग हैं, उनको बैंक वाले पैसा नहीं देना चाहते हैं. ये मेरा डिजिटल इन्फ्रास्ट्रकर का फायदा हुआ कि रेहड़ी पटरी वालों को बैंक से लोन मिला. उनका पैसा शाम को ही जमा हो जाता है. हर रेहड़ी पटरी वाले के यहां आपको QR कोड मिलेगा. उसको व्यवस्था पर विश्वास भी बढ़ा है.

एनडीटीवी : आपके जो ग्रोथ के जो टारगेट उसमें एग्रीकल्चर से लोगों को शिफ्ट करना और मैम्युफैक्टरिंग को बढ़ाना, पीएलआई की सफलता बहुत सारे सेक्टर्स में बहुत अच्छी रही है, लेकिन यहां पर हमको लगता है कि बहुत सारा काम करने की जरूरत है, ताकि लोग भारत में प्रॉड्यूस करें, आईफोन एक उदाहरण है और उसको एक्स्ट्रापोलेट करने की जरूरत है.

पीएम नरेंद्र मोदीः जिन लोगों ने बाबा साहेब आंबेडकर का अध्ययन किया है.. वह एक बहुत अच्छी बात बताते थे. हमारे देश के राजनेताओं ने उनकी अनदेखी की है. बाबा साहेब कहते थे देश में इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन बहुत जरूरी है. क्योंकि देश का जो गरीब, आदिवासी है वह जमीन का मालिक है ही नहीं, वह एग्रीकल्चर में कुछ कर नहीं सकता. उसके लिए इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन का हिस्सा बनना बहुत जरूरी है और इसीलिए मैं मानता हूं कि भारत में एग्रीकल्चर पर जितना बोझ हम कम करेंगे, आज उस पर बोझ बहुत है. बोझ कम करने के लिए कानून काम नहीं करता है. डायवर्सिफिकेशन काम करता है. यह तब होता है जब आप डिसेंट्रिलाइज्ड वे में इंडस्ट्रियल नेटवर्क हो. तो दो बेटे हैं तो एक बेटा इंडस्ट्री के काम में चला जाएगा. तो एग्रीकल्चर को वायबल बनाना, मजबूत बनाने के लिए भी इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट जरूरी है. हम एग्रीकल्चर का वैल्यू एडिशन करने वाले इंडस्ट्री जितनी ज्यादा बढ़ाते हैं, तो सीधा-सीधा फायदा है. नहीं तो हम डायवर्सिफिकेशन की तरफ ले जाएं, तो उसका फायदा है. मेरा गुजरात का अनुभव रहा है. गुजरात को एक ऐसा राज्य है, जिसके अपने पास कोई मिनिरल्स नहीं हैं. ज्यादा से ज्यादा नमक के सिवा कुछ है नहीं गुजरात के पास. ऐसे समय में गुजरात एक ट्रेडस स्टेट बन गया था. एक तो 10 साल में से 7 साल अकाल, तो एग्रिकल्चर में भी हम पुअर थे. उसके बाद रेवोल्यूशन आया. एग्रिकल्चर में रेवोल्यूशन आया. इंडस्ट्री में रेवोल्यूशन आया. वह अनुभव मुझे यहां बहुत काम आ रहा है. हमें कलस्टर डिवेलप करने चाहिए. जैसे एक छोटी सी स्कीम है, वह डिस्ट्रिक्ट, वन प्रोडक्ट. यह उस जिले की पहचान बन रही है. उसमें वैल्यू एडिशन हो रहा है. टेक्नॉलजी आ रही है, क्वालिटी आ रही है.

आज देखिए भारत में आॉटोमोबाइल इंडस्ट्री बहुत तेजी से बढ़ रही है. इलेक्ट्रिक वीकइल का बाजार बढ़ रहा है.. हमने स्पेस को ओपन कर दिया है. स्पेस में इतने स्टार्टअप आए हैं कि सारे स्टार्टअप टेक्नॉ़लजी को लीड कर रहे हैं. हम मोबाइल फोन इंपोर्टर थे. आज हमें दुनिया में मोबाइल फोन के दूसरे सबसे बड़े निर्माता हैं. हम दुनिया के अंदर आईफोन एक्सपोर्ट कर रहे हैं. दुनिया में से 7 में से 1 आईफोन हमारे यहां बनता है. गुजरात में जो मेरा जो डायमंड का अनुभव रहा है, आज दुनिया में 10 में से 8 डायमंड वो होते हैं, जिसमें किसी न किसी हिंदुस्तानी का हाथ लगा होता है. अब उसका नेक्स्ट स्चेज मैं देख रहा हूं. ग्रीन डायमंड का. लैब ग्रोन डायमंड का. दुनिया मे उसका बहुत बड़ा मार्केट हो रहा है. मैं जब गुजरात में था तो शुरुआत थी, लेकिन अब काफी बढ़ रहा है. आने वाले दिनों में लैब ग्रोन डायमंड में भी हम काफी प्रगति करेंगे. सेमी कंडक्टर...हम कुछ ही दिनों में चिप लेकर आएंगे. मैं मानता हूं कि ट्रांसपोर्ट से जुड़ी चीजों का जो कारोबार है उसमें हो सकता है हम हब बन जाएं. हम डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में बहुत तेजी से काम कर रहे हैं. करीब एक लाख करोड़ रुपये का डिफेंस प्रॉडक्शन आज मेरे देश में शुरू हुआ है. करीब 21 हजार करोड़ का डिफेंस एक्सपोर्ट हुआ है. हमारे आंत्रपनोर्स हैं, उनको भी लगा है कि हम बना सकते हैं. और दुनिया हमसे खरीद रही है. भारत पूरी तरह इंडस्ट्रियल रेवोल्यूशन में टेकऑफ स्टेज पर है.

ये भी पढ़ें : Exclusive Interview: PM मोदी बोले- 4 जून के बाद ऐसा झूमेगा सेंसेक्स, शेयर मार्केट के प्रोग्रामर भी थक जाएंगे

Latest and Breaking News on NDTV

   

एनडीटीवी : आपने ठीक कहा कि टेकऑफ स्टेज पर है और आपने जो इनोवेशन किए हैं, उसके कारण अब ग्लोबल इन्वेस्टर्स को भारत में इन्वेस्ट करने में जिज्ञासा और दिलचस्पी बहुत है. लेकिन वो सोचते हैं कि कुछ बोल्ड डिसिजन आपकी तरफ से, नई सरकार की तरफ से बहुत जरूरी हैं, ताकि वो बड़ा इन्वेस्टमेंट आए और इस स्केल को जिसकी कल्पना आप करते हैं, उसे बहुत बढ़ा सकें.

पीएम नरेंद्र मोदीः पहली बात यह है कि भारत से जब लोग आते हैं, तो वह भारत सरकार को देख कर आएं, इतने से बात बनती नहीं है. स्टेट गवर्नमेंट और लोकल सेल्फ गवर्नमेंट, तीनों की नीतियों में एकसूत्रता चाहिए. अब मान लीजिए भारत सरकार एक पॉलिसी लेकर आती है... दुनिया की कोई इंडस्ट्री आती है. भारत सरकार तो किसी स्टेट को कहेगा, देखो कोई आया है. इस स्टेट की पॉलिसी उसके साथ मैच होनी चाहिए. फिर जिस गांव में या फिर शहर में जा रहा है, उस शहर के जो कानून हैं, वो उसके अनुकूल होने चाहिए. मैंन इज ऑफ डूइंज बिजनस का जो मूवमेंट चलाया था, उसके पीछे मेरा इरादा यही था कि केंद्र सरकार, राज्य और स्थानीय निकाय, तीनों के निर्णय ऐसे हों कि इन चीजों के लिए अनुकूलता करे. अभी भी कुछ रुकावट है, लेकिन अब एक कंपीटिशन मैं देख रहा हूं. मैं हमेशा मानता हूं कि राज्यों के बीच में तंदुरुस्त स्पर्धा हो, अब धीरे-धीरे राज्यों में वह स्पर्धा आ रही है. वे अपने नियमों को ठीकठाक कर रहे हैं, ब्यूरोक्रेसी को मूवलाइज कर रहे हैं. अगर मुझे राज्यों का सहयोग मिल गया, तब तो मैं मानता हूं कि कोई व्यक्ति भारत के सिवा कहीं नहीं जाएगा.

Latest and Breaking News on NDTV

एनडीटीवी : आपकी छवि यही है कि आप फिसिकल डिसिप्लिन (वित्तीय अनुशासन) के मामले में बहुत सख्त हैं. लेकिन आजकल गारंटियों का मुकाबला चल रहा है, लेकिन आप डबल डाउन करते हैं कि इज ऑफ लिविंग के लिए लोगों की जिंदगी को खुशहाल बनाना है, को कुछ इन्वेस्टर्स को यह आशंका होता है कि फिसिकल डिसिप्लिन का क्या होगा?

पीएम नरेंद्र मोदीः मेरे केस में किसी को आशंका नहीं है. जिन लोगों ने मेरे गुजरात के कार्यकाल को देखा है, मैं फाइनैंशिल डिसिप्लिन का बहुत आग्रही रहा हूं. अन्यथा कोई देश चल नहीं सकता है. फिसिकल डेफिसिट उसका एक क्राइटेरिया होता है. अभी आपने देखा होगा कि चुनाव से पहले मेरा बजट आया. सारे पुराने मीडिया का आर्टिकल देखिए.. यह तो चुनाव का बजट है, मोदी रेवड़ियां बांटेगा, चुनाव जीतेगा. और जब बजट आ गया तो लोगों को आश्चर्य हुआ कि यह चुनावी बजट है ही नहीं. मैंने डिवेलपमेंट पर खर्च किया. मुझे मालूम है कि मुझे इस देश को गरीबी से मुक्त करना है. तो मुझे गरीब के अवसर देना होगा. गरीब गरीबी में रहना नहीं चाहता है, वह बाहर निकलना चाहता है. उसको हाथ पकड़ने वाला कोई चाहिए. यूपीए सरकार जब थी, फिसिकल डेफिसिट को उन्होंने स्वीकार नहीं किया, उसका साइड इफेक्ट इतना हुआ है कि... फिसिकल डेफिसिट को मैं मानता हूं कि रिलिजेइसली फॉलो करना चाहिए. दुनिया में क्या हाल हुआ देखिए... लोगों को लगा कि कोरोना में नोट छापो और बांटो, दुनिया अभी भी महंगाई से बाहर नहीं आ पा रही है. एक और बात जो मैंने देखी है कि जैसे जैसे आप टैक्सेशन कम करोगे, आपका रेवेन्यू बढ़ता चला जाएगा. इनकम टैक्स भरने वालों की संख्या डबल हो गई है. जीएसटी रजिस्ट्रेशन की संख्या बढ़ रही है. लोगों को भरोसा है कि सरकार की तरफ से कोई दिक्कत नहीं है. दूसरा है वेलफेयर का विषय, मैं वेलफेयर को एक प्रकार से भारत के सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर का एक बहुत बड़े महत्व का हिस्सा मानता हूं. अगर हम वेलफेयर स्कीम को टारगेट करें और क्वालिटी ऑफ लाइफ के साथ जोड़कर करें, तो वह ऐसेट बन जाती है. और आपने देखा होगा कि मेरे वेलफेयर स्कीम में क्वालिटी ऑफ लाइफ की गारंटी मिलती है. एक बार अच्छी जिंदगी जीने का आदत लग जाए तो फिर वो अच्छी जिंदगी जीने के लिए प्रयास भी करता है. मैं अनाज तो मुफ्त दे देता हूं, लेकिन साथ-साथ मैं पोषक आहार पर बल देता हूं. पोषक आहार से मेरे देश को हेल्दी चाइल्डहुड मिलेगा, वही मेरे देश को हेल्दी भविष्य देगा. तो ऐसी हर चीज पर मैं बल देकर काम करता हूं. कैपेक्स में भी पहले करीब 2 लाख करोड़ था, हम करीब 11-12 लाख करोड़ पर पहुंच गए, कितने लोगों को रोजगार का अवसर मिला.

Latest and Breaking News on NDTV

एनडीटीवी : एक सवाल मैं बाजार के सटोरिए की तरफ से बिल्कुल नहीं पूछना चाहता हूं सर आपसे, लेकिन आजकल नए युवा भी इन्वेस्टमेंट में बहुत आ रहे हैं. मेरी अपनी राय यह है कि बाजार ने इलेक्शन का आउटकम पहले ही समझकर बहुत तेजी से ऊपर का रुख कर लिया था, अभी बाजार में नर्वसनेस है कि मेंडेट कैसा आएगा. तो उस पर आप कुछ कॉमेंट करना चाहेंगे?

पीएम नरेंद्र मोदीः देखिए मैं वह कहूंगा तो इनफ्लूएंस करने की कोशिश कर रहा हूं, यह कोई अर्थ मानेगा. देखिए हमारी सरकार ने मैक्सिमम इकॉनमिक रिफॉर्मस किए हैं और प्रो-आंत्रप्रनोरशिफ पॉलिसीज हमारी इकॉनमी को बहुत बल देती हैं. हमने 25 हजार से यात्रा शुरू की थी. 75 हजार पर पहुंचे हैं. जितने ज्यादा सामान्य नागरिक इस फील्ड में आते हैं, उतना इकॉनमी को बहुत बड़ा बल मिलता है. और मैं चाहता हूं कि हर नागरिक में रिस्क लेने की क्षमता थोड़ी बढ़नी चाहिए. यह बहुत जरूरी है. सोच-सोचकर क्या करूंगा, इससे बात बनती नहीं है और चार जून जैसा आपने कहा, जिस दिन चुनाव का नतीजा आएगा, आप हफ्ते भर में देखना कि यानी भारत का स्टॉक मार्केट.. उनकी प्रोग्रामिंग वाले सारे थक जाएंगे. अब देखिए पीएसयूज की कंपनियों का शेयर कहां पहुचा है. इस शेयर का मतलब ही होता था गिरना. स्टॉक मार्केट में उसका वैल्यू बढ़ रहा है. HALको देखिए, जिसको लेकर इन्होंने जुलूस निकाला था. मजदूरों को भड़काने की कोशिश की गई थी. आज HAL चौथी तिमाही में रेकॉर्ड प्रॉफिट किया है. 4 हजार करोड़ का प्रॉफिट. यह कभी HAL के इतिहास में नहीं है.  

Latest and Breaking News on NDTV

   

एनडीटीवी : इकोनॉमिक गवर्नेंस से थोड़ा-सा पॉलिटिक्‍स की तरफ चलें और रोजगार का मुद्दा उठाएं, तो उसमें विपक्ष का एक आरोप है कि रोजगार क्रिएट नहीं हुए हैं... तो रोजगार क्रिएट नहीं हुए हैं या उसका स्‍वरूप बदल गया है?

पीएम नरेंद्र मोदी : पहली बात है कि इतना सारा काम मानव बल के बिना संभव ही नहीं होता है. सिर्फ रुपये हैं, लेकिन रोड नहीं बन जाता है... रुपये हैं इससे रेलवे का डेवलेपमेंट नहीं हो जाता है. मैन पॉवर लगता है, मतलब की रोजगार के अवसर बनते हैं. और विपक्ष की बेरोजगारी की जो बातें हैं, उनमें कोई मुद्दा, कोई सच्‍चाई नजर नहीं आती है. मैं मानता हूं कि परिवारवादी पार्टियों का इस देश की युवाओं में क्‍या बदलाव आया है उनको कोई समझ नहीं है. अब जैसे स्‍टार्टअप... 2014 से पहले तक कुछ सैकड़ों स्‍टार्टअप थे. आज सवा लाख स्‍टार्टअप हैं. एक स्‍टार्टअप यानि 5-7, 5-7 ब्राइट नौजवानों को रोजगार देता है. आज 100 यूनिकॉर्न हैं. 100 यूनिकॉर्न मतलब 8 लाख करोड़ रुपये का कारोबार. ये लोग सिर्फ 20, 22, 25 साल के हैं... बेटे-बेटियां हैं हमारे. ऐसे ही गेमिंग फील्‍ड है. आप देख लीजिएगा कि गेमिंग की फील्‍ड में भारत बहुत बड़ा लीडर बनेगा... और ये सब 20-22 साल के बच्‍चे करने वाले हैं, ये 2 टीयर्स हैं. आप ये मान कर चलिए. एंटरटेनमेंट इकोनॉमी से अब हम क्रिएटिव इकोनॉमी की तरह चलते हैं. मैं पक्‍का मानता हूं कि ग्‍लोबल मार्केट को हमारे क्रिएटर्स जो हैं, वो मार्केट पर राज करेंगे. ग्रीन जॉब बड़ा अवसर बन रहा है. हम ग्रीन हाइड्रोजन पर काम कर रहे हैं. एविएशन सेक्‍टर... हमारे देश में कुछ 70 एयरपोर्ट थे आज करीब 150 एयरपोर्ट हो गए हैं. हमारे देश में कुल हवाई जवाज प्राइवेट और सरकारी 600-700 होंगे. 1000 नए हवाई जहाज का ऑर्डर है. इससे कितने प्रकार के लोगों को रोजगार मिलेगा, कोई कल्‍पना कर सकता है. इसलिए ये जो नैरेटिव है, पॉलिटिकल फील्‍ड में जो लोग हैं, वो आज से 30 साल पहले चलते थे, उन्‍होंने कुछ चेंज नहीं किया है, वो वही गाड़ी बजाते रहते हैं. अब आपको मालूम है कि जो रिकॉर्डेड चीज है पीएलएफएस... पीएलएफएस  का जो डाटा है उसका कहना है कि बेरोजगारी आधी हो गई है. ये अधिकारिक डाटा है. 6-7 साल में 6 करोड़ नए जॉब जेनरेट हुए हैं, ये पीएलएफएस का डाटा कह रहा है. ईपीएफओ ये भी रिकॉडेड होता है, इसमें कुछ हवाबाजी में नहीं होता है. 7 साल में 6 करोड़ से ज्‍यादा नए अवसर रजिस्‍टर हुए हैं. सरकारी नौकरी को लेकर मैंने बहुत बड़ा अभियान चलाया था... लाखों लोगों को नौकरियां इस दौरान दीं. ये लोग कहते थे मुझे चिल्‍लाते थे कि ये नौकरी देने में इतना हो-हल्‍ला करते हैं. अभी स्‍कॉच ग्रुप का एक रिपोर्ट आया है, वो बड़ा इंट्रेस्टिंग है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 10 साल में हर वर्ष पांच करोड़ पर्सन ईयर रोजगार जेनरेट हुआ है. उन्‍होंने पेरामीटर के रूप में 22 चीजों को लिया है. ये करना है, तो कितने कितने पर्सन पर ईयर चाहिए. उसके आधार पर उन्‍होंने निकाला हुआ है. एकेडेमिक रिसर्च करके निकाला गया है. अब ये सारी चीजें धरती पर दिखती भी हैं. ऐसा नहीं है कि कागजों में दिखती हैं. मैं जो नॉन गवर्नमेंट अलग-अलग व्‍यवस्‍थाएं हैं, उससे जो बातें सामने आई, उसकी बात कर रहा हूं.

Latest and Breaking News on NDTV

एनडीटीवी : सर, से पहला चुनाव है, जो दरअसल बोरिंग चुनाव है... ऐतिहासिक चुनाव है जिसमें जनादेश क्‍या आएगा ये पहले से मालूम है. तो भी हम डिबेट चलाते हैं कि किसको कितनी सीटें मिलेंगी. साउथ इंडिया और ईस्‍ट इंडिया को लेकर आपने काफी भरोसा जाहिर किया है कि वहां बीजेपी को बड़ी सफलता मिलेगी. साउथ इंडिया और ईस्‍ट इंडिया पर आप ओवर कॉन्फिडेंट तो नहीं हैं?                

पीएम नरेंद्र मोदी : पहली बात है कि मैं कॉन्फिडेंस होता है, तब भी जताता नहीं हूं. ओवर कॉन्फिडेंस में जीता नहीं हूं. मैं जमीन पर नित जीवन का हिसाब-किताब करके कदम रखने वाला इंसान रहा हूं. सोचता बड़ा हूं... सोचता दूर की हूं, लेकिन जमीन पर जुड़ा रहता हूं. देखिए,दक्षिण भारत का हो या पूर्वी भारत का हो, पश्चिमी भारत का हो या उत्‍तर भारत का हो या मध्‍य भारत का... देश के जनमन में स्थिर है कि ये काम करने वाली सरकार है. देश को आगे ले जाने वाली सरकार है. हमारा भला करने वाली सरकार है. हमारी समस्‍या की उसको समझ है, ये ऐसी सरकार है. जब नागरिकों को पता होता है कि मेरा दुख उनको पता है... डॉक्‍टर अच्‍छा कौन लगता है? आपको अच्‍छा डॉक्‍टर वो लगता है, जो ये पूछे कि अच्‍छा आपके पेट में दर्द है, लेकिन आंख में क्‍या हुआ है, कुछ ऐसा तो नहीं हुआ? वो जिसको पता रहता है ना वो डॉक्‍टर लोगों को अच्‍छा लगता है. आज देश को लग रहा है कि आज एक ऐसी सरकार है जिसको हमारे दुखों की चिंता है. हमारे सपनों का उसको अंदाजा है. जो हमारे सामर्थ को हमेशा आगे बढ़ाने का प्रयास करता है. और इस कारण मैं मानता हूं कि सामान्‍य मानवी के मन में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को फिर से लाने की बात है. अब एक जमाना था जब कहते थे कि पशुपति से तिरुपति तक रेड कॉरिडोर था. पूरा ये नक्‍सल बेल्‍ट बना हुआ था. अब ये सिकुड़ता-सिकुड़ता हट गया है. लोग शांति से जीने लगे हैं. वो मां को कितना संतोष होता है कि मेरा बच्‍चा सही दिशा में जाएगा. वो भले जंगल में रही है, लेकिन उसको लगता है कि ये मेरे बच्‍चे का भविष्‍य देखता है, चिंता करता है. आज देखिए, हिंदुस्‍तान के हर कोने में, नॉर्थ ईस्‍ट, बंगाल, ओडिशा, तेलुगु भाषी राज्‍य, कर्नाटक देख लीजिए, भारतीय जनता पार्टी बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है. आप जम्‍मू कश्‍मीर में देखिए, वहां के 40 प्रतिशत मतदाता वोट करने जा रहे हैं. 40 साल के बाद वहां इतना प्रतिशत वोटिंग हुआ है. उन्‍हें सरकार के प्रति भरोसा है. इसलिए मैं कहता हूं कि इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को हिस्‍टोरिकली एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड सेट होने वाला है. हिस्‍टोरिकली एक बहुत बड़ा रिकॉर्ड.

Latest and Breaking News on NDTV

       

एनडीटीवी : चूंकि आपकी ऐसी मान्‍यता है, ऐसे में विपक्ष के गठबंधन की जो मान्‍यता है, उसमें विरोधाभास भी सामने आते हैं. ममता बनर्जी ने कहा कि मैं अलायंस में नहीं रहूंगी, फिर कहा कि अगर सरकार बनेगी, तो बाहर से समर्थन दूंगी. अखिलेश यादव किधर हैं, पता नहीं, ऐसे में स्थिर सरकार और अस्थिर सरकार, ये भी एक वोटर सोचता है कि मैं किस विषय पर निर्णायक तौर पर तय करूं कि वोट देना है. विपक्ष की ये जो परिस्थिति है, जो लोकतंत्र को बचाने की गारंटी देता है, उसकी हालत पर आप क्‍या कहेंगे?  

पीएम नरेंद्र मोदी : पहली बात है कि हमारा देश हो या दुनिया में कही भी... इतना बड़ा देश आप जिसको देने जा रहे हो, उसको जानते हो क्‍या? उसका नाम पता है क्‍या? उसके अनुभव का पता है, उसकी क्षमताओं का पता है क्‍या, तो यह देश की जनता देखती है. कोई पार्टी अपना नाम बताए या ना बताए, वो तोलती है और हमारा पलड़ा बहुत भारी है... और उसमें मुझे कहने की कोई जरूरत नहीं है, हमारा पलड़ा भारी है... ये बात हर कोई कहेगा. दूसरा विषय है कि इंडी अलायंस का मुझे बता दीजिए फोटो ओप के सिवाए कोई गतिविधि दिखती है क्‍या? फोटो ओप में इंडी एलायंस की पहली मीटिंग में जितने चेहरे थे, जाते-जाते संख्‍या भी कम हो गई और क्‍वालिटी भी कम हो गई. यानि उसकी थर्ड कैटेगिरी और फोर्थ कैटेगिरी का नेता वहां जाता है और फोटो खिंचवाकर वापस आ जाता है. इनका कोई कॉमन एजेंडा है क्‍या? कैंपेन की कोई स्‍ट्रेटजी है क्‍या, कुछ नहीं है? हर कोई अपनी ढपली बजा रहा है. तो देश को इनपर विश्‍वास नहीं हो सकता है.
कांग्रेस के सबसे विश्‍वसनीय साथी कौन हैं... लेफ्ट, जिसके मन में कमिटमेंट है कि भाजपा वाले जाने चाहिए. उससे बड़ा कमिटमेंट तो कोई हो नहीं सकता है. इन्‍होंने जाकर केरल में उन्‍हीं को पराजित करने के लिए उनके सामने खुद खड़े हो गए. जो भाषा का प्रयोग हुआ है, केरल के चुनाव में, पूरे देश में ऐसी भद्दी भाषा कहीं उपयोग में नहीं आई है. मुख्‍यमंत्री तक के लोगों ने जिस तरह से कांग्रेस के बारे में बोला है... ये अलायंस के लोगों की मैं बात कर रहा हूं. ये बात फिक्‍स हो गई है कि ये सारे नेता है, ज्‍यादातर जमानत पर हैं. इंडी अलायंस के सारे नेता जमानत पर हैं. और वो सभी उनके जमाने के केस हैं... हमारे जमाने के केस नहीं हैं. मामले उनके जमाने के हैं. तीसरी बात है कि इन सभी को आप बिठाओगे, तो लगेगा कि ये उसका बेटा है, ये उसका बेटा है, ये उसका बेटा है या ये इसका बाप, ये इसका बाप यानि ऐसा साफ लगता है कि वो अपने बच्‍चों को सेट करने के लिए इंडी अलायंस को आगे ले जाने कीी कोशिश कर रहे हैं. देश के बच्‍चों का भविष्‍य नजर ही नहीं आता उनको. जब ऐसा होता है, तो मैं नहीं मानता हूं कि वो देश के लोगों का विश्‍वास जीत सकते हैं.  दूसरी और हमारा 10 साल का मजबूत सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड है. चाहे आतंकवाद के खिलाफ हमारा काम हो, चाहे देश की सुरक्षा के विषय में हमारा काम हो, चाहे विकास के मुद्दे पर काम हो, चाहे विदेश नीति के विषय पर काम हो, चाहे संकट के समय हमारे प्रयास हों, मैं समझता हूं कि देश की जनता इन सारी चीजों को देखती है और उसको तोलती है. इसलिए देश की सामान्‍य मानवी ने मन बना लिया है कि भारत को बहुत आगे ले जाना है, तो भारतीय जनता पार्टी और एनडीए एक विश्‍वस्‍त संगठन है... विश्‍वस्‍त लीडरशिप है और जिसको हम जानते हैं, जिसका हम ट्रायल ले चुके हैं, जिसको हम नाप चुके हैं, इसलिए उनको सहज समर्थन लगता है.

Latest and Breaking News on NDTV

एनडीटीवी : चूंकि ऐसा बढि़या पॉजिटिव माहौल बना हुआ है और मूमेंटम आपकी तरफ है, ऐसे में विपक्ष आप पर सवाल उठाता है कि कम्‍युनल कलर आपने दे दिया है.            

पीएम नरेंद्र मोदी : यही कह-कहकर उन्‍होंने अपनी राजनीति चलाई है और कभी-कभी हम भी सोचते थे कि हां चलो भई संभल कर चलो. लेकिन मैं जब यहां बैठकर हर चीज को देखता हूं, तो पाता हूं कि इन्‍होंने संविधान का अपमान करने के सिवाए कुछ किया ही नहीं है. संविधान सर्वधर्म संभाव की बात कर रहा है. ये घोर सांप्रदायिक लोग हैं. इनकी हर चीज का आधार सांप्रदायिक है. संप्रदाय में भी वोट बैंक की राजनीति है. और संप्रदाय से भी बाहर जाना, तो फिर जाति. यानि एक तरफ संप्रदाय की वोट बैंक और एक तरफ जाति का उठाना... उन्‍होंने खेल यही किये हैं. अब मुझे लगता है कि कम्‍युनल का लेबल लगे तो लगे, मुझे कम्‍युनल जिसको कहना है कहे, इन लोगों के पापों को मैं उजाकर करके रहूंगा... एक्‍सपोज करके रहूंगा. मैं घटनाओं के साथ बताता हूं कि इन्‍होंने ये नियम ऐसे बनाया था. मेरा मंत्र है- 'सबका साथ, सबका विकास', गांव के अंदर सौ घर हैं, जिनको बेनिफिट दिला दिया, फिर ये मत पूछा कि ये किस जाति का है, किस बिरादरी का है, किसका रिश्‍तेदार है... 100 घर मतलब मिलना चाहिए, तो मिलना चाहिए. इसलिए मेरी योजना है सैचुरेशन. हर स्‍कीम को लाभार्थियों को 100 परसेंट. जब मैं 100 पसेंट देता हूं ना तो सामाजिक न्‍याय है, जब मैं 100 परसेंट कहता हूं, तो वो सच्‍चा सेक्युलरिज्म है और किसी को फिर शिकायत का मौका नहीं रहता है. फिर उसको विश्‍वास रहता है कि इसको जून में मिल गया ना, दिसंबर आते-आते मुझे भी मिल जाएगा. मुझे किसी को भी एक रुपये देने की जरूरत नहीं है. इसके कारण गवर्नेंस पर भी भरोसा हो जाता है. वहीं, विपक्ष का तरीका यह है कि किसी के लिए कुछ करना ही नहीं है. मैं भी कह सकता था कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज देता हूं, ये इसको दूंगा और उसको नहीं दूंगा. लेकिन मैं यह नहीं करूंगा, क्‍योंकि मुझे 'सबका साथ, सबको विकास' इसी मंत्र पर चलना है. उन्‍होंने वोट बैंक की राजनीति के लिए एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण पर भी डाका डाला हुआ है. इनकी नजर इसी पर ही है ये वोटबैंक को कैसे देना है. वोट जिहाद को समर्थन कर रहे हैं. ये सारी चीजें सांप्रदायिक प्रवृत्तियां सेक्युलरिज्म का नकाब पहन कर रहे हैं. मुझे उनका ये ढोंगी सेक्‍युलरिज्‍म का नकाब देश के सामने उतारकर दिखाना है कि ये घोर सांप्रदायिक लोग हैं. और ये वो लोग हैं, जो अपनी सत्‍ता सुख के लिए देश को तोड़ सकते हैं और आपके हर सपने को तोड़ सकते हैं. अब आप इनके मेनिफेस्‍टो में इनकी हिम्‍मत देखिए, ठेके... कॉन्‍ट्रैक्‍ट, ये कहते हैं कि घर्म के आधार पर दिये जाएंगे. अरे, अगर कोई ब्रिज बनाना है, तो इसकी एक्सपर्टाइज किसके पास है, एक्‍सपीरियंस किसके पास है, रिसोर्स किसके पास हैं, टेक्‍नीकल मैनपावर किसके पास है, ये देखना चाहिए. अब आप धर्म के आधार पर ठेके देंगे, तो वो ब्रिज क्‍या बनेगा... क्‍या होगा मेरे देश का?

Latest and Breaking News on NDTV

   

एनडीटीवी : विपक्ष एक और आशंका जाहिर करता है कि 400 सीटें इसलिए मांग रहे हैं क्‍योंकि इनको संविधान बदलना है.

पीएम नरेंद्र मोदी : भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्‍व में ऑलरेडी 2019 से 2024 तक 400 सीटें हैं. हम जीतकर एनडीए करीब 360 सीटें आए थे और एनडीए प्‍लस हमारा 400 सीटें हमारी 2019 से 2024 तक लगातार रही हैं. इसलिए 400 सीटों को संविधान बदलने की बात से जोड़ना मूर्खतापूर्वक है. सवाल यह है कि ये लोग हाउस को चलने ही नहीं देना चाहते हैं. दुनिया जब 400 सीटों को देखती है, तो उन्‍हें लगता है कि हां कुछ बात है. कांग्रेस ने संविधान का क्‍या किया? ये संविधान की बातें करते हैं. कांग्रेस के संविधान का क्‍या हुआ मैं पूछता हूं? क्‍या ये परिवार कांग्रेस पार्टी के संविधान को स्‍वीकार करता है? आपको याद होगा कि टंडन जी (पुरुषोत्तम दास टंडन) को कांग्रेस पार्टी का अध्‍यक्ष बनाया गया था. संविधान के तहत बने थे. नेहरू जी को टंडन जी मंजूर नहीं थे. फिर नेहरू जी ने ड्रामा किया और बोले कि मैं कार्यसमिति में नहीं रहूंगा. पूछा क्‍यों, क्‍योंकि इनको... आखिरकार, कांग्रेस पार्टी को इलेक्‍टेड राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष को हटाना पड़ा, इस परिवार को खुश करने के लिए. सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्‍यक्ष थे... व्‍यवस्‍था के तहत बने हुए थे. कोई मुझे बताए उनको बाथरूम में बंद कर दिया गया. रातोंरात उठाकर बाहर फेंक दिया और मेडम सोनिया गांधी जी कांग्रेस की अध्‍यक्ष बन गईं. मेरे पास जानकारी नहीं है, लेकिन मेरे मन में सवाल उठता है कि जो इस प्रकार से कांग्रेस पार्टी पर कब्‍जा करते हैं, मैं जानना चाहूंगा कि आज कांग्रेस के जितने पदाधिकारी हैं, वे कब कांग्रेस के मेंबर बने थे? देश को वो डिक्‍लेयर करें, अपने संविधान के हिसाब से.

अब बताइए ये संविधान की बात बोलने का उनको हक है क्‍या. दूसरा इन्‍होंने संविधान के साथ क्‍या किया, मैं तो कहता हूं कि जो पहला संविधान बना उसकी एक आत्‍मा भी है और शब्‍द भी. आत्‍माा क्‍या थी- संविधान निर्माताओं ने बड़ी बुद्धिमानी की थी कि जो लिखित में चीज रखी जाएगी, वो वर्तमान और भविष्‍य के लिए होगी. लेकिन हमारा एक भव्‍य भूतकाल भी है, हमारी भव्‍य विरासत है, उसका क्‍या करेंगे. तब तो संविधान बहुत बड़ा हो जाएगा, तो उन्‍होंने बड़ी बुद्धिपूर्वक संविधान को चित्रों के मढ़ा. ये सारे चित्र भारत की हजारों साल की विरासत है. रामायण हो, महाभारत हो सारी चीजें उसमें हैं. पंडित नेहरू ने पहला काम क्‍या किया, संविधान की इस पहली प्रति को डिब्‍बे में डाल दिया और बाद में जो संविधान छपा वो इन चित्रों के बिना था. यानि इन्‍होंने उन चित्रों को काट दिया और 15 अगस्‍त के बाद का हिंदुस्‍तान शुरू कर दिया, अपने परिवार की जय-जयकार करने के लिए. दूसरा इन्‍होंने संविधान की आत्‍मा पर प्रहार किया... पहला संशोधन पंडित नेहरू ने अभिव्‍यक्ति की आजादी पर कैंची चलाने का किया. ये संविधान की आत्‍मा पर पहला प्रहार था. फिर संविधान की भावना पर उन्‍होंने प्रहार किया. इन्‍होंने अनुच्‍छेद-356 का दुरुपयोग करके 100 बारे उन्‍होंने देश की सरकारों को तोड़ा. फिर इमरजेंसी लेकर आए. एक तरीके से तो उन्‍होंने संविधान को डस्‍टबीन में डाल दिया. इस हद तक उन्‍होंने संविधान का अपमान किया. फिर उनके बेटे आए... पहले नेहरू जी ने पाप किया, फिर इंदिर गांधी ने किया, फिर राजीव गांधी आए. राजीव गांधी तो मीडिया को कंट्रोल करने के लिए एक कानून ला रहे थे. शाहबानो का सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट उखाड़कर फेंक दिया और संविधान को बदल दिया, क्‍योंकि वोटबैंक की राजनीति करनी थी. वो चुनाव के दिन थे, इसलिए वो रुक गए. फिर उनके सुपुत्र आए, शहजादे जी... वो तो कुछ हैं ही नहीं एक एमपी के सिवा. कैबिनेट के निर्णय को उन्‍होंने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस के अंदर फाड़ दिया. ये संविधान की बातें करते हैं. जो चारा चोरी में जेल में बैठे हुए हैं, जिन्‍हें बीमारी के कारण जेल से बाहर आने की इजाजत मिली है, वो संविधान-संविधान की बातें करते हैं. जिन्‍होंने संविधान की सारी भावनाओं को तोड़ते हुए जब 'वुमेन आरक्षण बिल' आया था, तो पार्लियमेंट के अंदर उन्‍होंने बिल की प्रति को छीना और फाड़ दिया और संसद को वो आखिरी दिन था. संविधान के साथ घोर अपमान करने वाले लोग आज संविधान सिर पर रखकर नाच रहे हैं. ये झूठ बोल रहे हैं.

Latest and Breaking News on NDTV


एनडीटीवी : भारत ने आपके नेतृत्‍व में गजब का काम किया है, दुनिया बिल्‍कुल बदल गई है, जो सोचते थे कि हम दुनिया चलाते हैं अब वो डिफेंसिव हो गए हैं. भारत इंडिपेंडेंट और एग्रेसिव पॉलिसी लेकर आया है. जाहिर है, इसको लेकर भी आपकी बड़ी योजनाएं हैं, लेकिन एक विषय है, वो है पड़ोसी देशों का. उस मामले में रिश्‍तों को मैनेज करने में हमारे सामने चुनौतियां हैं

पीएम नरेंद्र मोदी : दुनिया में कोई काम ऐसा नहीं होता, जिसमें चुनौतियां नहीं होती.  हमारी विदेश नीति का आधार यही रहा है- नेबरहुड फर्स्‍ट. हमारी विदेश नीति का आधार रहा है एक्‍ट ईस्‍ट पॉलिसी. हमारी विदेश नीति का आधार पहले रहता था कि कौन कितनी दूरी पर रखते हैं. हम कहते हैं कि कौन कितना निकट है. हमने विश्‍व के साथ एक स्‍थान बनाया हुआ है और पड़ोस में कंपटीशन भी बहुत है. हमारी कोशिश है, सबको साथ लेकर चलने की.

ये भी पढ़ें : "मैं टुकड़ों में नहीं सोचता... बड़ा पाना है तो बड़ा सोचो" : NDTV के साथ Exclusive इंटरव्यू में बोले PM मोदी

एनडीटीवी : बहुत सारे नीति निर्माता आपको लेकर विस्मित रहते हैं कि ये जो आप पॉलिसी बनाते हैं, डिजाइन बनाते हैं, कैसे इन चीजों को तैयार करते हैं? मुझे ऐसा लगता है कि आप 'रेयर टॉट लीडर' हैं और उसमें जो सबसे बड़ी भूमिका रही है, वो 50 से 55 साल तक की आपकी यात्रा... इस दौरान आपने फिजिकल यात्राएं बहुत की हैं, आप बहुत ज्‍यादा घूमें हैं, आपको ट्रैवल ने इतना शेप किया है.

पीएम नरेंद्र मोदी : आपने सही आकलन किया है, ये मेरा सौभाग्‍य रहा है कि मैं परिव्राजक रहा हूं और इसलिए शायद हिंदुस्‍तान के 90 प्रतिशत से ज्‍यादा डिस्ट्रिक ऐसे होंगे, जहां मैंने रात्रि मुकाम किया है. ये मेरे राजनीतिक जीवन से पहले की बात है. दूसरा, बिना रिजर्वेशन के ट्रेन में घूमा हूं. जनरल बोगी में खड़े-खड़े यात्राएं की हैं. बसों में सफर किया है, पैदल घूमा हूं, तो जमीनी दुनिया है, उसी से मैं जुड़ा भी हूं और उसी से बनकर निकला भी हूं. वो अनुभव बहुत बड़ा होता है, बहुत काम आता है. दूसरा, हमारे देश में जितने प्रधानमंत्री आए, वो दिल्‍ली के गलियारों से ही ज्‍यादा निकले हैं. बहुत कम प्रधानमंत्री हैं, जिन्‍होंने राज्‍य के अंदर सरकारों में काम किया हो. जिन्‍होंने किया भी वो बहुत कम समय के लिए किया. लेकिन मैं ऐसा व्‍यक्ति हूं, जो लंबे समय तक एक प्रगतिशील राज्‍य का मुख्‍यमंत्री रहकर आया हूं. इसलिए जनआकांक्षाओं से मैं परिचित था. जनआकांक्षओं और राज्‍यों के बीच परेशानियां क्‍या आती हैं, उसका मुझे अनुभव था. तो मेरे पास अनुभव का बहुत बड़ा खजाना है. इसके साथ ही जीवन भर मैं अपने आपको विद्यार्थी मानता हूं. इसलिए मैं एकेडमिक वर्ल्‍ड से सीखने का प्रयास करता हूं कि वो क्‍या सोचते हैं. मैं जो ब्‍यूरोक्रेट्स की जो दुनिया है, उनको समझने का प्रयास करता हूं. मैं कंसर्न लोग, जैसे आजकल बजट बनाता हूं, तो इसके बाद इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर से जुड़े लोगों के साथ वर्कशॉप करता हूं. किसानों के साथ वर्कशॉप करता हूं, उससे नए आइडिया आते हैं. बजट से पहले भी करता हूं और बजट के बाद भी करता हूं. इस बजट में कुछ बातों का उपयोग नहीं कर पाता हूं, तो अलग बजट में उसका उपयोग करता हूं. मैं बहुत खुले मन का इंसान हूं. दुनिया भर की चीजें, विदेशों से भी सिखता हूं. आपको छोटा-सा उदाहरण बताता हूं. मैं एक बार जापान गया, बहुत साल पहले की बात है. तब मैं सीएम तो था. जापान में मेरे पास कुछ समय था, तो मैंने सोचा की बाहर जाते हैं. हम पैदल ही जा रहे थे, तो फुटपाथ पर मैंने देखा कि गोल-गोल कुछ थे. मैंने ऐसा कभी देखा नहीं था, तो मेरे मन में प्रश्‍न उठा और मैंने किसी से पूछा कि यह क्‍या है? तो उन्‍होंने बताया कि जो प्रज्ञाचक्षु लोग होते हैं, इनके चलने के लिए नीचे ये रखा जाता है. तब मैंने उसको स्‍टडी किया, बस स्‍टैंड आया, तो उसके लिए मोड़ था. मैंने उसकी मोबाइल फोन पर वहां फोटो ली. उस समय भी मैं मोबाइल फोन कैमरे वाला रखता था, क्‍योंकि मेरा शौक टेक्‍नोलॉजी में रहा है. इसके बाद जैसे ही मैं अहदाबाद रात में लगभग 10 बजे पहुंचा, मैंने अपने सिटी कमिश्‍नर को फोन किया. मैंने फोन पर पूछा कि जो हमारे फुटपाथ बनाने का काम चल रहा है, वो पूरा हो गया क्‍या? तो वह बोले कि थोड़ी-बहुत बन गई है. मैंने उनसे कहा कि ऐसा करो कि सुबह आ जाना, मुझे तुम्‍हें कुछ बताना है. मैंने उसके प्रिंट आउट निकाल कर रखे थे, वो सुबह आए तो मैंने उन्‍हें बताया कि फुटपाथ पर हम ये काम करेंगे, ताकि प्रज्ञाचक्षु लोगों को सहूलियत हो. इस तरह से कोई भी चीज सीखने का मन मेरा हमेशा रहता है.
देखिए, पॉलिसी जब मैं बनाता हूं, तब इन सारी चीजों की प्रोसेसिंग मेरे दिमाग में शुरू हो जाती है. मुझे याद है, जब कोरोना आया, तब ये बड़े-बड़े नोबेल प्राइज विनर  मुझ पर आकर दबाव डालते थे कि नोटिस छापो, नोट बांटो. ये जो आज अमीर लोगों को गालियां देते हैं, वो उस समय मुझे कहते थे कि अमीरों को पैसे दो वर्ना इकोनॉमी खत्‍म हो जाएगी, रोजगार खत्‍म हो जाएगा. मैंने बिल्‍कुल वो नहीं किया. मैंने गरीब भूखा नहीं रहना चाहिए, गरीब के घर का चूल्‍हा जलता रहना चाहिए, मेरी पहली प्राथमिकता रही. दूसरे जो छोटे-छोटे लोग हैं, उनको मैं ताकत दूं... वो चलने चाहिए. इसलिए मैंने छोटे लोगों को क्रैडिट गारंटी की दिशा में बल दिया, उसका परिणाम सामने आया. हमारी जो स्‍मॉल मीडियम स्‍केल की इंडस्‍ट्री थी, वो चलती रही. मुझे पता था कि अगर मैं तीन महीने इसमें निकाल दूंगा, तो मैं मुश्किल दौर से बाहर आ जाऊंगा. हुआ भी यही कि हम बहुत तेजी से बाहर निकल आए और आज दुनिया लड़खड़ा रही है और हम बहुत तेजी और स्थिरता से चले हैं. इसलिए जब नीतियां बनती हैं, तो आप एकेडमिक तराजू से उसे नहीं तोल सकते हैं. सिर्फ एक्‍सपीरियंस के दायरे में भी नहीं देख सकते हैं. साथ ही मेरी नीतियों में एक विषय मुझे बहुत मदद करता है, मैं जो भी करूंगा अपने देश के लिए करूंगा. कंफ्यूज नहीं होना है. मेरा मानना है कि वो इंसान नीतियां सही बना सकता है, जिसका कोई नीति स्‍वार्थ नहीं होता है. क्‍या लेना है, मेरी पार्टी का भला होगा या नहीं, मोदी का भला होगा कि नहीं होगा, मोदी के किसी रिश्‍तेदार का भला होगा कि नहीं होगा, वो सब मेरे जीवन में है ही नहीं. स्‍ट्रेट वे मेरी पॉलिसी बनती है और उसका मुझे बहुत फायदा होता है.

Latest and Breaking News on NDTV

                 

एनडीटीवी : भारत के बहुत सारे नौजवान लड़के-लड़कियों के मन में एक ख्‍वाब है कि उनको भी मोदी जैसा लीडर बनना है. ये जो आपकी रेयर क्‍वालिटी है- पहली सेल्‍फ टॉट लीडरशिप, दूसरी- जिन्‍होंने आपसे डील की वो बताते हैं कि आप एक्‍स्‍ट्रा ऑर्डिनली गुड लिस्‍नर हैं. आप सुनते बहुत हैं लोगों को... आप इस यूथ को क्‍या कहेंगे कि उनको आपके जैसा बनना हो तो क्‍या करे?

पीएम नरेंद्र मोदी : मैंने एक काम किया था कोविड-19 के समय, मैं वीडियो कॉन्‍फ्रेंस करता था, तो नौजवानों से भी बात होती थी. तब मैं लोगों से कहता था कि सबके पास कैमरेवाला फोन है, घर में दादा-दादी भी हैं, तो उनका वीडियो रिकॉर्डिंग कीजिए. उनके इंटरव्‍यू कीजिए कि वो स्‍कूल में पढ़ते थे, तो कैसा होता था? उनके समय पर शादियां कैसे होती थी? पहले घर छोटे होते थे, तो मेहमान आते थे, तब कैसे रहते थे? पहले बारात 5-7 दिन तक कैसे रहती थी? मैं उनको कहता था कि पूछो, इससे क्‍या होगा कि उन्‍हें पता चलेगा कि परिवार के लोग कैसी जिंदगी जीते हुए यहां तक पहुंचे हैं. तब आप उससे कनेक्‍ट करोगे. मैं मानता हूं कि हमारे देश के नौजवानों को आजादी के बाद भारत की विकास यात्रा कैसे चली है, इसको खोजना चाहिए. खोजी मन से कि पहले कैसा होता था? कोयले वाली ट्रेनें चलती थीं, तो कोयला कहां से आता था? कोयले वाली ट्रेन को चलाने वाले कैसे ट्रेन के अंदर रहते थे? जरा देखो तो, एक-एक चीज को समझो. जो नौजवान इस 75 साल की यात्रा को जानने समझने का प्रयास करेगा, तो वो आगे की यात्रा का हिस्‍सेदार बनेगा. इससे उसमें लीडरशिप की क्‍वालिटी पैदा होगी. उसको लगेगा कि मैं इसमें वैल्‍यू एडिशन कर सकता हूं. मेरे आगे के लोगों ने इतना किया है, अब मैं कुछ करूंगा. ये उसका इंस्‍प्रेशन बनेगा. दूसरा, बनने का ख्‍वाब लेकर चलेगा, तो निराशा जल्‍द आ जाएगी. कुछ करने का इरादा लेकर निकलेगा, तो करते-करते धीरे-धीरे संतोष का विस्‍तार होता जाएगा. और जो संतोष का विस्‍तार है ना वो सामर्थ्य का विस्‍तार बन जाता है और वो उसको लीडर बना सकता है. मैं तो चाहता हूं कि देश में वैसी लीडरशिप जितनी ज्‍यादा से ज्‍यादा निकले, उतना देश का लाभ होगा.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com