दरअसल, गुजरात में पटेल समुदाय के लिए ओबीसी कोटा की मांग को लेकर आज दिनभर के बंद के दौरान कर्फ्यू लगाए जाने के बावजूद अहमदाबाद, सूरत और मेहसाणा जिलों के कई इलाकों में ताजा हिंसा भड़क गई और राज्य में स्थिति पर नियंत्रण के लिए दंगा विरोधी बलों को तैनात किया गया है।
हार्दिक पटेल को हिरासत में लिए जाने के बाद भड़की हिंसा के एक दिन बाद अहमदाबाद, सूरत, राजकोट और उत्तर गुजरात क्षेत्र के कई शहरों में तनाव बरकरार है। पटेल समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल करने और आरक्षण दिए जाने की मांग को लेकर हार्दिक आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं।
बिना किसी पूर्व सूचना के कोटा की मांग को लेकर जीएमडीसी ग्राउंड में प्रदर्शन कर रहे हार्दिक को कल हिरासत में लिए जाने के बाद पटेल समुदाय ने बंद के आह्वान किया। इसके मद्देनजर आज कई जगहों पर बैंक और सार्वजनिक परिवहन सहित स्कूल, कॉलेज और व्यावसायिक प्रतिष्ठान्न बंद रहे, जिससे आम जनजीवन पर असर पड़ा।
सूरत शहर में आज कई जगहों पर आगजनी और पथराव की घटनाएं होने की सूचना मिली और बंद को ‘लागू’करने के लिए बड़ी तादाद में पटेल समुदाय के सदस्य बाहर निकलकर आए।
सूरत नियंत्रण कक्ष के पुलिस अधिकारियों ने बताया कि करीब 1,000 लोगों की एक भीड़ ने शहर के उधना इलाके में सूरत नगर निगम के दो गोदामों में आग लगा दी। सूरत में हीरा और कपड़ा उद्योग भी बंद रहे।
कानून व्यवस्था कायम करने में राज्य के स्थानीय प्रशासन की मदद के लिए केंद्र ने त्वरित कार्यबल (आरएएफ), सीआरपीएफ और बीएसएफ के करीब 5,000 कर्मियों को भेजा है। सूरत पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना ने बताया, स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए रिजर्व पुलिस बल (एसआरपी) की अतिरिक्त कंपनियों को शहर में तैनात किया गया है जबकि हमने केंद्रीय बलों की तैनाती की भी मांग की है, जिन्हें यहां आने के बाद तैनात किया जाएगा। बीती रात को शहर में हिंसा के दौरान लालगेट इलाके में भीड़ के पथराव के कारण मितेश सालुंके नामक एक पुलिस सब इंस्पेक्टर गंभीर रूप से जख्मी हो गए।
पुलिस ने बताया कि सौराष्ट्र क्षेत्र में महत्वपूर्ण शहरों, राजकोट के शहरों, जामनगर, भावनगर और पोरबंदर में पूर्ण बंद रहा। बंद के दौरान आज सभी चारों जिलों में छिटपुट हिंसा के मामले दर्ज किए गए।
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि राजकोट के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) गगनदीप गंभीर उपलेटा मार्ग इलाका के पास हुए पथराव में घायल हो गए।
अहमदाबाद में पूर्ण बंद रहा, क्योंकि वहां आज बैंक सहित स्कूल, कॉलेज, सिटी बस सेवा और व्यावसायिक प्रतिष्ठान्न बंद रहे। बीती रात की हिंसा के बाद शहर की अधिकतर सड़कों पर सन्नाटा पसरा था।
अहमदाबाद के सिटी पुलिस आयुक्त शिवानंद झा ने बताया, पुलिस कानून व्यवस्था और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए काम कर रही है। शहर के नौ पुलिस थाना इलाकों में कर्फ्यू लगाए जाने के बाद सुबह में वहां हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई।
हार्दिक ने की थी गुजरात बंद की अपील
हार्दिक पटेल ने आज गुजरात बंद की अपील की। इससे पहले रात में व्हाट्सऐप पर उन्होंने लोगों से अपील की थी कि कृपया अफवाह न फैलाएं और शांति बनाए रखें।
(आंदोलनकारियों द्वारा आग के हवाले की गई बस)
(आंदोलनकारियों ने सड़क पर गाड़ी पलटी)पुलिस पर हार्दिक पटेल का हमला
रिहाई के बाद हार्दिक ने मीडिया से कहा, ‘‘हम पर और मीडिया पर पुलिस का हमला राजनीतिक है। पुलिस ने जिस तरह से महिलाओं, बच्चों सहित हमें पीटा है वह उचित नहीं था।’’ पटेल ने चेतावनी दी, ‘‘उन्होंने पहले पूछा कि वे किस समुदाय के हैं और इसके बाद उन्होंने हमारे लोगों के साथ बर्बरता की। हम गुजरात में शांति चाहते हैं, लेकिन यह सरकार नहीं चाहती है। हम निश्चित तौर पर कुछ कड़े कदम उठाएंगे।’’
इससे पहले अहमदाबाद में आरक्षण की मांग को लेकर पटेल समुदाय के लोगों की महारैली ने राज्य सरकार को मुश्किल में डाल दिया था। इस रैली में हजारों लोगों की भीड़ जुटी थी।
गुजरात सरकार ने खारिज की हार्दिक पटेल की मांग
गुजरात सरकार ने हार्दिक पटेल और तीन अन्य की यह मांग व्स्तुत: खारिज कर दी कि वे अपनी भूख हड़ताल तभी खत्म करेंगे जब मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल व्यक्तिगत तौर पर प्रदर्शन स्थल पर उनसे मिलने आएं । सरकार ने कहा कि उसे इस बाबत कुछ नहीं करना है ।
पटेल समाज को उसका हक और न्याय मिलना चाहिए : हार्दिक
रैली को संबोधित करते हुए हार्दिक पटेल ने कहा, अगर एक पटेल (सरदार पटेल) देश को जोड़ सकता है, तो हम राज्य में 80 लाख हैं, पूरे देश में 27 करोड़ हैं, हम ये नहीं कर सकते? उन्होंने कहा, पटेल समाज को उसका हक और न्याय मिलना चाहिए। हमारी मांगें सही हैं। हमारी लड़ाई सिस्टम के खिलाफ है। हम किसी दल के नहीं हैं, लेकिन जो हमारे आंदोलन को सफल बनाएगा हम उसी का साथ देंगे।
पटेल समुदाय के नेताओं के बीच दरार खुलकर सामने आई
इससे पहले ओबीसी आरक्षण की मांग कर रहे पटेल समुदाय के दो प्रमुख समूहों में मंगलवार को उस वक्त दरार खुलकर सामने आ गई जब लालजी पटेल की अगुवाई वाले सरदार पटेल समूह (एसपीजी) ने आंदोलन की अगुवाई कर रहे हार्दिक पटेल की ओर से किए गए भूख हड़ताल के फैसले से खुद को अलग कर लिया।
एसपीजी राज्य में पटेल समुदाय का सबसे बड़ा सामाजिक समूह है जिसने पहले 22 वर्षीय हार्दिक की ‘पाटीदार अनामत आंदोलन समिति’ की ओर से मंगलवार को आयोजित की गई रैली का समर्थन किया था। पटेल समुदाय की मांग है कि उसे राज्य में ओबीसी कोटे में आरक्षण दिया जाए।
सरदार पटेल समूह के नेता लालजी पटेल ने संवाददाताओं से कहा, 'मुख्यमंत्री के आने और उससे ज्ञापन लेने तक भूख हड़ताल पर बैठने का हार्दिक का फैसला उसका व्यक्तिगत फैसला है जिसका समर्थन अन्य लोग नहीं करते।' यह पूछे जाने पर कि क्या उनका समूह सरकार से बातचीत के लिए तैयार है, इस पर पटेल ने कहा, 'हम इसके लिए हमेशा तैयार हैं और यदि सरकार ने हमें आमंत्रित किया तो हम जाएंगे।'
हार्दिक ने मंगलवार दिन में कहा था कि पटेल समुदाय सरकार से कोई बातचीत नहीं करेगा। रैली में हार्दिक ने भाषण दिया, जबकि लालजी ने बड़ी तादाद में आए लोगों को संबोधित नहीं किया।
(इनपुट्स भाषा से भी)