सरकार ने फिलहाल कोयला खदानों का एलॉकेशन रोक दिया है। खनन राज्य मंत्री दिनशॉ पटेल ने एनडीटीवी को बताया कि इस सिलसिले में एटॉर्नी जनरल से राय ली जा रही है।
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नई दिल्ली:
सरकार ने फिलहाल कोयला खदानों का एलॉकेशन रोक दिया है। खनन राज्य मंत्री दिनशॉ पटेल ने एनडीटीवी को बताया कि इस सिलसिले में एटॉर्नी जनरल से राय ली जा रही है।
कोल ब्लॉक आवंटन पर आई कैग रिपोर्ट को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को चारों ओर से घेरा हुआ है। इस बीच, एनडीटीवी को पता चला है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खनन मंत्री दिनशा पटेल को कोयला आवंटन की प्रक्रिया रोकने के लिए कहा था।
पीएम ने कहा था कि जब तक संसद में बिल पास नहीं हो जाता, तब तक इस मामले में आगे न बढ़ें। पीएम ने खनन मंत्री को इस बारे में अटॉर्नी जनरल से राय लेने के लिए भी कहा था, लेकिन अटॉर्नी जनरल ने सरकार से कहा कि संसद में बिल पास हुए बिना भी मौजूदा पॉलिसी के मुताबिक काम किया जा सकता है। हालांकि यह प्रक्रिया भी स्पष्ट और पारदर्शी होनी चाहिए।
उधर, केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने शनिवार को कहा कि भारतीय संविधान में सभी को चुनाव लड़ने और लोकसभा में चुनकर आने की स्वतंत्रता है, इसमें इस्तीफा देना भी शामिल है। जो पार्टियां इस्तीफा देने की बात कर रही हैं, उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।
जायसवाल ने कहा, देश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे लोगों को बदनाम करने की साजिश हो रही है, जिसमें बड़े लोग लगे हुए हैं। इस साजिश में कुछ संवैधानिक एजेंसियां भी शामिल हैं। पत्रकारों द्वारा संवैधानिक एजेंसियों के बारे में पूछने पर जायसवाल ने कहा, आपलोग अच्छी तरह जानते हैं। श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोल रहे थे।
पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि कांग्रेस की इस विपत्ति के समय कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को बड़ी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, इस पर उन्होंने कहा, हम सब चाहते हैं कि राहुल गांधी बड़ी जिम्मेदारी निभाएं और वे शांत होकर अपना काम भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बदनाम करने की जो लोग साजिश कर रहे हैं, उनको यह सोचना चाहिए कि देश में उनके नाम की ईमानदारी की दुहाई दी जाती है, क्योंकि उनके बराबर का कोई ईमानदार व्यक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लाखों करोड़ों रुपए के कोयला घोटाले की बात कही जा रही है, वह किस आधार पर कही जा रही है, ये समझ के बाहर है। जो लोग संसद का कामकाज नहीं चलने देना चाहते, वे अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश में लगे हैं, जबकि उनको चाहिए कि वे संसद में बहस होने दें और बहस में जो निकलकर आएगा, उस आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
(इनपुट भाषा से भी)
कोल ब्लॉक आवंटन पर आई कैग रिपोर्ट को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को चारों ओर से घेरा हुआ है। इस बीच, एनडीटीवी को पता चला है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने खनन मंत्री दिनशा पटेल को कोयला आवंटन की प्रक्रिया रोकने के लिए कहा था।
पीएम ने कहा था कि जब तक संसद में बिल पास नहीं हो जाता, तब तक इस मामले में आगे न बढ़ें। पीएम ने खनन मंत्री को इस बारे में अटॉर्नी जनरल से राय लेने के लिए भी कहा था, लेकिन अटॉर्नी जनरल ने सरकार से कहा कि संसद में बिल पास हुए बिना भी मौजूदा पॉलिसी के मुताबिक काम किया जा सकता है। हालांकि यह प्रक्रिया भी स्पष्ट और पारदर्शी होनी चाहिए।
उधर, केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने शनिवार को कहा कि भारतीय संविधान में सभी को चुनाव लड़ने और लोकसभा में चुनकर आने की स्वतंत्रता है, इसमें इस्तीफा देना भी शामिल है। जो पार्टियां इस्तीफा देने की बात कर रही हैं, उन्हें तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।
जायसवाल ने कहा, देश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे लोगों को बदनाम करने की साजिश हो रही है, जिसमें बड़े लोग लगे हुए हैं। इस साजिश में कुछ संवैधानिक एजेंसियां भी शामिल हैं। पत्रकारों द्वारा संवैधानिक एजेंसियों के बारे में पूछने पर जायसवाल ने कहा, आपलोग अच्छी तरह जानते हैं। श्रीप्रकाश जायसवाल कानपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बोल रहे थे।
पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि कांग्रेस की इस विपत्ति के समय कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को बड़ी जिम्मेदारी निभानी चाहिए, इस पर उन्होंने कहा, हम सब चाहते हैं कि राहुल गांधी बड़ी जिम्मेदारी निभाएं और वे शांत होकर अपना काम भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बदनाम करने की जो लोग साजिश कर रहे हैं, उनको यह सोचना चाहिए कि देश में उनके नाम की ईमानदारी की दुहाई दी जाती है, क्योंकि उनके बराबर का कोई ईमानदार व्यक्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि जो लाखों करोड़ों रुपए के कोयला घोटाले की बात कही जा रही है, वह किस आधार पर कही जा रही है, ये समझ के बाहर है। जो लोग संसद का कामकाज नहीं चलने देना चाहते, वे अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश में लगे हैं, जबकि उनको चाहिए कि वे संसद में बहस होने दें और बहस में जो निकलकर आएगा, उस आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।
(इनपुट भाषा से भी)
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