नई दिल्ली:
इस साल जनवरी माह में सेना की दो टुकड़ियों के सरकार की जानकारी के बिना दिल्ली तक पहुंच जाने से जुड़ी बुधवार को दिल्ली से प्रकाशित एक अंग्रेज़ी दैनिक की रिपोर्ट को प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने कतई बेबुनियाद बताते हुए इस रिपोर्ट पर ध्यान नहीं देने के लिए कहा है।
इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने भी आज सुबह एक अंग्रेज़ी दैनिक में छपी इस रिपोर्ट को 'आधारहीन और गलत' कहते हुए खारिज कर दिया था, और कहा था कि सेना ऐसी एक्सरसाइज़ समय-समय पर करती ही रहती है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कार ने एक बयान में कहा, "अखबार की रिपोर्ट में उठाए गए सवालों पर सेना ने स्थिति साफ कर दी है... सेना ऐसी एक्सरसाइज़ समय-समय पर करती है।"
इस बीच, इस रिपोर्ट को लेकर सियासी गलियारों में भी हलचल मच गई थी, और प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने इस पर प्रधानमंत्री से तुरंत जवाब देने को कहा था। दूसरी ओर, रक्षा मामलों के जानकार उदय भाष्कर ने यहां तक कह दिया था कि इस खबर के बाद यह साफ हो गया है कि सरकार और सेना के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। उनके अलावा रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून ने सेना की यूनिटों की मूवमेंट पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि जब भी सेना की कोई मूवमेंट होती है तो पुलिस को जानकारी ज़रूर दी जाती है।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को दिल्ली से प्रकाशित एक अंग्रेज़ी दैनिक के मुताबिक इस साल जनवरी माह में जिस दिन सेनाप्रमुख जनरल वीके सिंह अपनी जन्मतिथि से जुड़े विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे, उसी दिन सेना की दो यूनिट सरकार की जानकारी के बिना दिल्ली तक पहुंच गई थीं, जिन्हें वहां से लौटाया गया था। सेना दिवस के अगले ही दिन, यानि 16 जनवरी को हिसार और आगरा से दिल्ली पहुंचीं इन यूनिटों में से हिसार की इन्फैन्ट्री यूनिट के मूवमेंट के बारे में सेंट्रल इंटेलजेंस एजेंसी ने जानकारी दी, हालांकि उन्हें इस मूवमेंट से चिंता न होकर उत्सुकता हुई थी, लेकिन इसके कुछ ही देर बाद आगरा में तैनात 50 पैरा ब्रिगेड में भी हलचल देखी गई, तब इसकी जानकारी तुरंत गृह मंत्रालय को दी गई थी।
समाचारपत्र के मुताबिक इन यूनिटों के मूवमेंट की खबर के बाद रक्षासचिव शशिकांत शर्मा को उनके मलेशिया दौरे से बीच में ही दिल्ली बुला लिया गया था और देर रात ही वह अपने ऑफिस पहुंचे थे, जहां उन्होंने मिलिट्री ऑपरेशन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके चौधरी को बुलाकर मूवमेंट के बारे में जानकारी मांगी। चौधरी ने भी इसे सेना की रूटीन एक्सरसाइज़ बताया था, जो कोहरे के दौरान सेना की ताकत को परखने के लिए की जा रही थी। 17 तारीख को सुबह-सुबह प्रधानमंत्री को भी इसके बारे में जानकारी दी गई।
समाचारपत्र के अनुसार चौधरी को इस मूवमेंट के बारे में पहले से पता था। चौधरी द्वारा जानकारी दिए जाने के बाद रक्षासचिव ने तुरंत दोनों यूनिटों को वापस बैरक में भेजने के लिए कहा था। अखबार के मुताबिक मूवमेंट में कई पहलुओं की अनदेखी की गई थी - जैसे एनसीआर की तरफ सेना की किसी यूनिट की मूवमेंट से पहले रक्षा मंत्रालय अथवा भारतीय वायुसेना को कोई जानकारी नहीं दी गई, विशेष रूप से उस स्थिति में, जबकि सेना की एक टुकड़ी वायुसेना के हिंडन एयरबेस की तरफ मूव कर रही थी।
इससे पहले रक्षा मंत्रालय ने भी आज सुबह एक अंग्रेज़ी दैनिक में छपी इस रिपोर्ट को 'आधारहीन और गलत' कहते हुए खारिज कर दिया था, और कहा था कि सेना ऐसी एक्सरसाइज़ समय-समय पर करती ही रहती है। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कार ने एक बयान में कहा, "अखबार की रिपोर्ट में उठाए गए सवालों पर सेना ने स्थिति साफ कर दी है... सेना ऐसी एक्सरसाइज़ समय-समय पर करती है।"
इस बीच, इस रिपोर्ट को लेकर सियासी गलियारों में भी हलचल मच गई थी, और प्रमुख विपक्षी दल बीजेपी ने इस पर प्रधानमंत्री से तुरंत जवाब देने को कहा था। दूसरी ओर, रक्षा मामलों के जानकार उदय भाष्कर ने यहां तक कह दिया था कि इस खबर के बाद यह साफ हो गया है कि सरकार और सेना के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। उनके अलावा रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पीएन हून ने सेना की यूनिटों की मूवमेंट पर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि जब भी सेना की कोई मूवमेंट होती है तो पुलिस को जानकारी ज़रूर दी जाती है।
उल्लेखनीय है कि बुधवार को दिल्ली से प्रकाशित एक अंग्रेज़ी दैनिक के मुताबिक इस साल जनवरी माह में जिस दिन सेनाप्रमुख जनरल वीके सिंह अपनी जन्मतिथि से जुड़े विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट गए थे, उसी दिन सेना की दो यूनिट सरकार की जानकारी के बिना दिल्ली तक पहुंच गई थीं, जिन्हें वहां से लौटाया गया था। सेना दिवस के अगले ही दिन, यानि 16 जनवरी को हिसार और आगरा से दिल्ली पहुंचीं इन यूनिटों में से हिसार की इन्फैन्ट्री यूनिट के मूवमेंट के बारे में सेंट्रल इंटेलजेंस एजेंसी ने जानकारी दी, हालांकि उन्हें इस मूवमेंट से चिंता न होकर उत्सुकता हुई थी, लेकिन इसके कुछ ही देर बाद आगरा में तैनात 50 पैरा ब्रिगेड में भी हलचल देखी गई, तब इसकी जानकारी तुरंत गृह मंत्रालय को दी गई थी।
समाचारपत्र के मुताबिक इन यूनिटों के मूवमेंट की खबर के बाद रक्षासचिव शशिकांत शर्मा को उनके मलेशिया दौरे से बीच में ही दिल्ली बुला लिया गया था और देर रात ही वह अपने ऑफिस पहुंचे थे, जहां उन्होंने मिलिट्री ऑपरेशन के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल एके चौधरी को बुलाकर मूवमेंट के बारे में जानकारी मांगी। चौधरी ने भी इसे सेना की रूटीन एक्सरसाइज़ बताया था, जो कोहरे के दौरान सेना की ताकत को परखने के लिए की जा रही थी। 17 तारीख को सुबह-सुबह प्रधानमंत्री को भी इसके बारे में जानकारी दी गई।
समाचारपत्र के अनुसार चौधरी को इस मूवमेंट के बारे में पहले से पता था। चौधरी द्वारा जानकारी दिए जाने के बाद रक्षासचिव ने तुरंत दोनों यूनिटों को वापस बैरक में भेजने के लिए कहा था। अखबार के मुताबिक मूवमेंट में कई पहलुओं की अनदेखी की गई थी - जैसे एनसीआर की तरफ सेना की किसी यूनिट की मूवमेंट से पहले रक्षा मंत्रालय अथवा भारतीय वायुसेना को कोई जानकारी नहीं दी गई, विशेष रूप से उस स्थिति में, जबकि सेना की एक टुकड़ी वायुसेना के हिंडन एयरबेस की तरफ मूव कर रही थी।
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