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This Article is From May 24, 2024

चुनाव आयोग को 48 घंटे में वोटिंग डेटा देने पर फिलहाल राहत, SC ने कहा- इलेक्शन में बाधा नहीं डाल सकते

हाल ही में एक एनजीओ ने अपनी 2019 की जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन दायर की, जिसमें उसने निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने की अपील की कि सभी मतदान केंद्रों के ‘फॉर्म 17 सी भाग-प्रथम (रिकॉर्ड किए गए मत) की स्कैन की गई पढ़ने योग्य प्रतियां’ मतदान के तुरंत बाद अपलोड की जाएं.

चुनाव आयोग को 48 घंटे में वोटिंग डेटा देने पर फिलहाल राहत, SC ने कहा- इलेक्शन में बाधा नहीं डाल सकते
मतदान के आंकड़े 48 घंटे के भीतर जारी करने संबंधी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
नई दिल्ली:

वोटिंग खत्म होने के बाद 48 घंटे के भीतर वोटिंग का डाटा सार्वजनिक किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई.  सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल इस याचिका पर दखल देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा इस चरण में हम अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को लंबित रखा है और कहा कि चुनाव के बाद उचित बेंच इसपर सुनवाई करेगा. जस्टिस दत्ता ने कहा  हम चुनाव में बाधा नहीं डाल सकते.  हम भी जिम्मेदार नागरिक हैं और हमें संयमित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और महुआ मोइत्रा की तरफ से दाखिल की गई इस याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की. पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से जवाब दाखिल करने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल हलफनामे मे चुनाव आयोग ने 48 घंटे के भीतर वोट प्रतिशत सार्वजनिक किए जाने की मांग का विरोध किया है. चुनाव आयोग ने फॉर्म 17C को सार्वजनिक किए की याचिकाकर्ता की मांग का विरोध किया.

चुनाव आयोग ने कहा कि नियमों के अनुसार फॉर्म 17C केवल मतदान एजेंट को ही दिया जाना चाहिए. नियम किसी भी अन्य व्यक्ति या संस्था को फॉर्म 17C देने की अनुमति नहीं देते. नियमों के मुताबिक फॉर्म 17C का सार्वजनिक रूप से खुलासा करना ठीक नहीं है. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि फॉर्म 17सी (मतदान का रिकॉर्ड) को वेबसाइट पर अपलोड करने से गड़बड़ी हो सकती है. इसमें छेड़छाड़ की संभावना है, जिससे जनता के  बीच अविश्वास पैदा हो सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर उठाए सवाल 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा 2019 और 2024 की अर्जियों में क्या नेकसस है. ⁠आपने अलग से याचिका क्यों दाखिल नहीं की. ⁠आपने अतंरिम राहत क्यों मांगी. ⁠आपके लिए हमारे पास बहुत सवाल हैं.  आप 2019 से क्या कर रहे थे. जाहिर है दो साल कोविड की बात करेंगे. ⁠आप इसे लेकर मार्च में क्यों नहीं आए.आप अप्रैल में भी इस मुद्दे को लेकर नहीं आए

आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप: चुनाव आयोग

आज सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने कहा कि महज आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल दी में दिए अपने फैसले में तमाम पहलू स्पष्ट कर दिए थे

निहित स्वार्थ वाली याचिका पर सुनवाई न हो:  मनिंदर सिंह

निर्वाचन आयोग के वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि इस तरह का रवैया हमेशा चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशान लगाकर जनहित को नुकसान पहुंचा रहा है.  जब चुनाव चल रहे हैं तो निहित स्वार्थ वाली याचिकाओं पर सुनवाई ना हो. ये लोग कहते हैं कि लोगों के मन में शंका होती है. ये दिखाने के लिए इनके पास कुछ नहीं है. सिस्टम में क्या गलत है, ये दिखाने के लिए इनके पास कुछ नहीं है.

याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए

चुनाव आयोग ने याचिका का विरोध किया करते हुए कहा कि ये कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का क्लासिक केस है. ⁠चुनाव चल रहे हैं और ये इस तरह बार- बार अर्जी दाखिल कर रहे हैं.  निर्वाचन आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने कहा ये सब झूठे आरोप हैं. सिर्फ आशंका और संदेह के आधार पर हैं.  ⁠ये सब जानबूझकर किया जा रहा है.  याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए. एक बार जब सुबह जजमेंट आ गया तो शाम को आप एक और अर्जी लगाकर ये नहीं कह सकते कि मेरे पास एक और मुद्दा है.

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