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डील में जल्दबाजी नहीं, देशहित सर्वोपरि... ट्रेड टॉक पर बोले पीयूष गोयल और एस जयशंकर

डोनाल्ड ट्रम्प की रेसिप्रोकल टैरिफ घोषणा के बाद भारत की तैयारियों के बारे में बात करते हुए, डॉ जयशंकर ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते महत्वपूर्ण हैं और भारत इस पर बहुत तेजी से काम कर रहा है.

डील में जल्दबाजी नहीं, देशहित सर्वोपरि... ट्रेड टॉक पर बोले पीयूष गोयल और एस जयशंकर
नई दिल्ली:

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को 90 दिनों के लिए रोके जाने के फैसले के बाद केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि भारत कभी भी बंदूक की नोक पर बातचीत नहीं करता और न ही अपने लोगों के हित में किसी मुद्दे पर जल्दबाजी में कोई समझौता करता है.

ट्रंप के इस कदम को भारत और अमेरिका के लिए द्विपक्षीय व्यापार समझौते को तेजी से पूरा करने के लिए एक सीमित अवसर के रूप में देखा जा रहा है, जिस पर वर्तमान में दोनों पक्ष बातचीत कर रहे हैं.

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम हमेशा देश को पहले रखेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि इस भावना को ध्यान में रखते हुए ही किसी भी समझौते को अंतिम रूप दिया जाए. उन्होंने कहा कि समय की कमी को एक मोटिवेटिंग फैक्टर माना जा सकता है. हम कभी भी बंदूक की नोक पर बातचीत नहीं करते हैं. जब तक हम अपने देश और अपने लोगों के हितों को सुरक्षित नहीं कर लेते, हम किसी भी सौदे में जल्दबाजी नहीं करते हैं.

इटली-भारत व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी फोरम में पीयूष गोयल ने इस बारे में जानकारी दी कि अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ और वैश्विक स्तर पर कई अन्य देशों के साथ भारत का ट्रेड टॉक किस तरह आगे बढ़ रहा है. उन्होंने किसी भी डील के बारे में विस्तृत जानकारी दिए बिना कहा, "हमारी सभी ट्रेड टॉक, इंडिया फर्स्ट की भावना के साथ और 2047 तक अमृत काल में विकसित भारत के लिए हमारे रास्ते को सुनिश्चित करने के लिए अच्छी तरह से आगे बढ़ रही हैं."

हालांकि उन्होंने कहा कि "ट्रेड टॉक तब आगे बढ़ता है जब दोनों पक्ष एक-दूसरे की चिंताओं और जरूरतों के प्रति संवेदनशील होते हैं."

इस बीच, एक अन्य फोरम - कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में - विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों और ब्लॉकों के साथ भारत की ट्रेड टॉक के बारे में बात की. 

डोनाल्ड ट्रम्प की रेसिप्रोकल टैरिफ घोषणा के बाद भारत की तैयारियों के बारे में बात करते हुए, डॉ जयशंकर ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौते महत्वपूर्ण हैं और भारत इस पर बहुत तत्परता से काम कर रहा है. उन्होंने कहा कि भारत के साथ संभावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर रखे गए प्रस्ताव पर ट्रंप प्रशासन ने तेजी से प्रतिक्रिया दी है.

जयशंकर ने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिका ने दुनिया के साथ जुड़ने के अपने दृष्टिकोण को मौलिक रूप से बदल दिया है और इसका प्रत्येक प्रमुख क्षेत्रों, खासकर प्रौद्योगिकी क्षेत्र में असर है. उन्होंने अमेरिका के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौते पर बातचीत का कोई ब्योरा न देते हुए संकेत दिया कि भारत इसे जल्द-से-जल्द तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचाने को उत्सुक है.

मंत्री ने कहा, "अमेरिका में सरकार बदलने के एक महीने के भीतर ही हमने द्विपक्षीय व्यापार समझौता करने को लेकर वैचारिक रूप से एक समझौता कर लिया है. हम एक ऐसा समाधान खोजेंगे जो हम दोनों देशों के लिए कारगर होगा क्योंकि हमारी भी अपनी चिंताएं हैं. यह कोई हमेशा चलने वाली प्रक्रिया नहीं है."

उन्होंने कहा, "हमने ट्रंप प्रशासन के पहले कार्यकाल में भी चार साल तक बातचीत की. उनके पास हमारे बारे में अपना दृष्टिकोण है और स्पष्ट रूप से हमारे पास उनके बारे में अपना नजरिया है. हालांकि उस समय समझौता नहीं हो पाया." जयशंकर ने मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में यूरोपीय संघ के साथ भारत की बातचीत का भी जिक्र किया.

जयशंकर ने कहा, "यदि आप यूरोपीय संघ को देखें, तो अक्सर लोग कहते हैं कि हम 23 साल से इस समझौते पर बात कर रहे हैं. यह पूरी तरह सच नहीं है, क्योंकि लंबे समय तक इस बारे में कोई किसी से बात भी नहीं कर रहा था. लेकिन वे बहुत लंबी प्रक्रियाएं रही हैं."

विदेश मंत्री ने कहा, "इस बार, हम निश्चित रूप से काफी तत्पर हैं. मेरा मतलब है, हमें यहां अवसर दिख रहा है. हमारी व्यापार वार्ता से जुड़ी टीम वास्तव में उत्साहित है, वे जो हासिल करना चाहते हैं, उसको लेकर काफी महत्वकांक्षी हैं. हम प्रत्येक मामले में इसे गति देने का प्रयास कर रहे हैं. पहले हमारे बारे में यह शिकायत की जाती थी कि हम ही इसे धीमा कर रहे हैं."

उन्होंने कहा, "वास्तव में, आज स्थिति अलग है. हम तीनों पक्षों (अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन) को इन समझौतों की तात्कालिकता से अवगत कराने की कोशिश कर रहे हैं. मेरी समझ में शायद अन्य पक्षों की प्रतिक्रिया भी यही है. कम-से-कम अमेरिका ने अब तक जो भी कदम उठाए हैं, उससे लगता है कि उसने उस पर प्रतिक्रिया देने में काफी तेजी दिखाई है."

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