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This Article is From Jan 04, 2024

PM मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से झटका, पढ़ें पूरा मामला

अक्तूबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की एफआईआर रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्‍तर प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खेड़ा की याचिका खारिज कर दी थी.

PM मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में पवन खेड़ा को सुप्रीम कोर्ट से झटका, पढ़ें पूरा मामला
सुप्रीम कोर्ट ने दिया था खेड़ा को गिरफ्तारी से संरक्षण
नई दिल्‍ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर रद्द करने की मांग ठुकरा दी है. इसलिए पवन खेड़ा पर आपराधिक ट्रायल चलता रहेगा. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी  याचिका खारिज कर दी थी. अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट  ने सुनवाई की. सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर गवई ने कहा कि आप बार-बार माफी मांगते रहिए, हम इस मामले में दखल देने को इच्छुक नहीं हैं. पवन खेड़ा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. मुंबई में 17 फरवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवन खेड़ा ने आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. 

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था खेड़ा को गिरफ्तारी से संरक्षण 

अक्तूबर 2023 में 'मोदी सरनेम' पर टिप्‍पणी करने के मामले में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की एफआईआर रद्द करने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्‍तर प्रदेश पुलिस  को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खेड़ा की याचिका खारिज कर दी थी. खेड़ा के खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी पर आपत्तिजनक और विवादास्पद टिप्पणी करने के आरोप में यूपी और असम में एफआईआर दर्ज की गई थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने खेड़ा को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था. साथ ही मामले को लखनऊ ट्रांसफर किया था. 

सुप्रीम कोर्ट ने पवन खेड़ा को भेजा था हाईकोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पवन खेड़ा एफआईआर रद्द करने को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट जा सकते हैं. गत साल 17 अगस्त को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने खेड़ा की याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि मामले के जांच अधिकारी द्वारा एकत्र किए गए सबूतों का मूल्यांकन मामले को रद्द करने के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 482 के तहत दायर याचिका में नहीं किया जा सकता है. उच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी भी की थी कि शीर्ष अदालत ने खेड़ा को सभी विवाद लखनऊ की न्यायिक अदालत के समक्ष उठाने के लिए कहा था, इसलिए यह उचित होगा कि वह अपनी सभी शिकायतें उक्त अदालत के समक्ष उठाएं

असम और उत्तर प्रदेश में खेड़ा के खिलाफ 3 FIR

पिछले साल 20 मार्च को उच्चतम न्यायालय ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी करने के लिए असम और उत्तर प्रदेश में खेड़ा के खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर को एक साथ मिला दिया और उनकी अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाते हुए मामले को लखनऊ के हजरतगंज थाने में स्थानांतरित कर दिया था. इस मामले में लखनऊ की अदालत ने उन्हें जमानत दे दी थी. कथित टिप्पणी के लिए खेड़ा ने अदालत में बिना शर्त माफी मांगी है.

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