
- 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं
- कांग्रेस नेता ने पाकिस्तान की भारत विरोधी मानसिकता को दोनों देशों के संबंधों में सबसे बड़ी बाधा बताया है
- बंसल के अनुसार पाकिस्तान की आम जनता भारत के साथ अच्छे संबंध चाहती है, लेकिन सरकार इसका विरोध करती है
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण बने हुए हैं लेकिन कांग्रेस नेता पवन बंसल ने इसके लिए पाकिस्तान की भारत विरोधी मानसिकता को जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि यही सामान्य संबंधों में सबसे बड़ी बाधा है. हालांकि, बंसल ने यह भी कहा कि पाकिस्तानी सरकार के विपरीत, वहां के लोग और आम जनता भारत के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं और उन्होंने पड़ोसी देश की अपनी पिछली यात्राओं के दौरान इस भावना को महसूस किया था.
कांग्रेस नेता पवन बंसल ने कहा, "मैं वहां गया हूं और कह सकता हूं कि बातचीय हुई है और दोनों तरफ के लोग शांति ही चाहते हैं लेकिन पाकिस्तान सरकार और व्यवस्था इसके लिए तैयार नजर नहीं आती है. उनका रवैया पूरी तरह से भारत विरोधी भावनाओं से प्रेरित है. इस वजह से अच्छे संबंध शायद कभी पूरी तरह से स्थापित नहीं हो पाएंगे."
पवन बंसल की पाकिस्तानी नागरिकों की शांति के प्रति 'रुझान' पर टिप्पणी इंडियन ओवरसीज़ कांग्रेस (आईओसी) के प्रमुख सैम पित्रोदा के विवादास्पद बयान पर उठे विवाद के बीच आई है. इस बयान में उन्होंने भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के लोगों के बीच समानताएं बताते हुए कहा था कि जब भी वे वहां जाते हैं, उन्हें 'घर जैसा महसूस होता है'.
पवन बंसल ने आईएएनएस को आगे बताया कि भारत हमेशा अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे और प्रगतिशील संबंध चाहता है, लेकिन ख़ासकर पाकिस्तान ने कभी भी भारत की भावनाओं का सम्मान नहीं किया है.
उन्होंने जोर देकर कहा, "पाकिस्तान ने भारत में आतंकवादी भेजकर और आतंक को हवा देकर लगातार हमारे देश में आतंकवाद और अशांति को बढ़ावा दिया है. जब तक यह जारी रहेगा, अच्छे संबंध नहीं बन सकते। पाकिस्तानी सत्ता प्रतिष्ठान का एकमात्र एजेंडा भारत विरोधी बयानबाज़ी फैलाना है, और यही उनके अस्तित्व का आधार भी प्रतीत होता है."
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अमेरिका द्वारा संशोधित एच-1बी वीज़ा शुल्क पर भी तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि इस कदम का उस पर ख़ुद ही नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
उन्होंने कहा, "पहले अमेरिका ख़ुद युवाओं को अपनी अर्थव्यवस्था मज़बूत करने के लिए आमंत्रित करता रहा है, लेकिन अब वह इसके उलट कर रहा है. ट्रंप के फ़ैसले के बाद, कम लोग वहां जाएंगे. अमेरिका में ज़्यादा कुशल लोग नहीं हैं, और इससे अमेरिका को नुक़सान ही होगा. दर बढ़ाने से युवाओं के लिए मुश्किलें बढ़ेंगी. इस फ़ैसले से सबसे ज़्यादा नुक़सान अमेरिका को होगा, क्योंकि 70 प्रतिशत से ज़्यादा एच-1बी वीज़ा भारत से आते हैं."
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