दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर किसान आंदोलन को एक साल पूरा हो चुका है, पर सरकार अभी भी किसानों की मांगे पूरी नहीं करने पर अड़ी हुई है. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी (Gurnam Singh Chaduni) ने NDTV से खास बातचीत करते हुए कहा, 'सब्र की सीमा होती है. 700 से ज्यादा किसान आंदोलन में जान गवां चुके हैं पर अभी तक इस सरकार को समझ नहीं आया है.'
सरकार से नाराज किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा "किसी चीज की हद होती है, एक साल से हम लोग धरना कर रहे हैं. सड़कों पर बैठे हैं. 700 से ज्यादा किसान मर गए. लेकिन सरकार की कोई संवेदना नहीं जागी. हमने अब फैसला किया है कि अब हम संसद कूच करेंगे."
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चढूनी ने कहा कि जब तक संसद चलेगी हम संसद के बाहर धरना देंगे. अगर सरकार हमें जेलों में डालेगी तो हम उसके लिये भी तैयार हैं. हम चाहते हैं कि पंजाब विधानसभा के अगले चुनावों में किसानों को चुनाव मैदान में उतरना चाहिए ताकि सरकार को भी दिखाया जा सके कि इस आंदोलन को किसानों का कितना समर्थन मिला हुआ है. चढूनी ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे देश में आंदोलन से पहले से ही किसानों की हालत खराब रही है, पहले भी किसान कर्ज, गरीबी और अन्य कई कारणों से आत्महत्या करते रहे हैं.
उन्होंने कहा "मेरी राय है कि पंजाब के बुद्धिजीवियों को इकट्ठा कर के पार्टी बनाकर उन्हें चुनाव लड़ना चाहिये और पंजाब से मजदूर और किसान पक्ष के चेहरों को चुनाव में उतारा जाना चाहिये."
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बातचीत में उन्होंने लखीमपुर खीरी हादसे में (Lakhimpur Kheri) मारे गये किसानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि 'हम 14 नवंबर को पीलीभीत में न्यायिक किसान महापंचायत की एक महासभा भी करने जा रहे हैं. हम सरकार से मांग करेंगे कि लखीमपुर खीरी में हुए हादसे में जो किसान मारे गये हैं, उनको न्याय मिलना चाहिए. उन्होंने भाजपा सांसद अजय कुमार मिश्रा के बेटे मुख्य आरोपी आशीष मिश्रा को सजा दीए जाने की भी बात कही. उन्होंने कहा कि हम सरकार से उन चार बेगुनाह किसानों की रिहाई की भी मांग करेंगे जिन्हें लखीमपुर मामले में गिरफ्तार किया गया है.
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