वित्त मामलों पर संसद की स्थायी समिति ने मंगलवार को देश में बढ़ते साइबर हमलों और साइबर अपराधों के मसले पर पेटीएम, फ्लिपकार्ट, ऐप्पल, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यस बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साइबर सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की विस्तार से समीक्षा की. सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया है कि लगभग तीन घंटे चली बैठक में संसदीय समिति को अधिकारियों ने बताया कि हाल के दिनों में देश में साइबर हमले की कोशिशें कई गुना बढ़ी हैं, लेकिन साइबर अपराधों की संख्या काफी हद तक नियंत्रण में है क्योंकि इन साइबर हमलों को रोकने के लिए कंपनियां बहुत सख्त सुरक्षा के उपाय अपना रही हैं.
बैठक में ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ग्राहकों से जुटाए गए डेटा की सुरक्षा का सवाल भी उठाया गया. सूत्रों के मुताबिक एक वरिष्ठ सांसद ने अधिकारियों से पूछा कि क्या ई-कॉमर्स कंपनियों ने अपने डेटा बेस में Data Breach से जो ग्राहक प्रभावित होते हैं उनकी पहचान कर उन्हें मुआवजा देने के लिए कोई कारगर व्यवस्था बहाल की है?
संसदीय समिति की बैठक की शुरुआत में यस बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (CERT) के वरिष्ठ अधिकारियों को साइबर हमलों और साइबर अपराधों को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर प्रेजेंटेशन देने के लिए बुलाया गया. बाद में, ऐप्पल, फ्लिपकार्ट और पेटीएम के वरिष्ठ अधिकारियों ने साइबर सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने के लिए उठाये जा रहे क़दमों की जानकारी समिति के सामने रखा.
संसदीय समिति का मानना है कि देश में तेजी से विकसित हो रहे technological landscape की वजह से, विशेषकर AI जैसी नई 'Disruptive' टेक्नोलॉजीज़ के सामने आने से, ये बेहद जरूरी हो गया है कि भविष्य में नए तरह के साइबर हमलों और साइबर अपराधों से निपटने के लिए एक 3 से 5 साल की दीर्घकालिक रणनीति तैयार की जाए.
पिछले करीब दो महीनों में साइबर सुरक्षा और साइबर अपराधों के मसले पर वित्त मंत्रालय, गृह मंत्रालय, आरबीआई, National Payments Corporation of India (NPCI) के साथ-साथ कई सरकारी और निजी बैंकों और ई-कॉमर्स कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ कई दौर की समीक्षा बैठक के बाद वित्त मामलों पर संसदीय समिति इस मुद्दे पर एक विस्तृत रिपोर्ट संसद में पेश करेगी.
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