- PM मोदी, सोनिया गांधी, राहुल समेत कई नेताओं ने संसद हमले की बरसी पर शहीद सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी.
- वर्ष 2001 के संसद हमले में आतंकियों ने संसद परिसर में घुसकर अंधाधुंध फायरिंग की और देश को दहलाया था.
- सुरक्षा बलों ने आतंकियों से मुठभेड़ कर आतंकियों को मार गिराया और बड़ा हादसा टाल दिया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सोनिया गांधी, राहुल समेत कई नेता शनिवार को वर्ष 2001 के संसद हमले की बरसी पर शहीद हुए सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे. संसद हमले की बरसी पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जान गंवाने वाले सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनका बलिदान राष्ट्र द्वारा हमेशा याद रखा जाएगा.
#WATCH | Delhi: Vice President CP Radhakrishnan, PM Narendra Modi, Lok Sabha LoP Rahul Gandhi, Congress Parliamentary party chairperson Sonia Gandhi, Union Minister of Parliamentary Affairs, Kiren Rijiju and other parliamentarians pay tribute to the security personnel who lost… pic.twitter.com/GKW8DSJXqe
— ANI (@ANI) December 13, 2025
साल था 2001... तारीख थी 13 दिसंबर... राष्ट्रीय राजधानी में कड़ाके की ठंड थी और संसद में शीतकालीन सत्र जारी था. सदन के भीतर 'महिला आरक्षण बिल' को लेकर हंगामा हो रहा था. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नेता प्रतिपक्ष सोनिया गांधी संसद भवन से निकल चुके थे. इस दौरान, किसी ने यह कल्पना भी नहीं की थी कि चंद मिनटों में भारत के लोकतंत्र के केंद्र पर ऐसा आतंकी हमला होगा, जो पूरे देश को झकझोर कर रख देगा.
संसद में घुसी सफेद एंबेसडर
सुबह करीब 11.30 बजे एक सफेद एंबेसडर कार संसद भवन के गेट नंबर 12 से प्रवेश करती है. कार के प्रवेश करते ही सुरक्षाकर्मियों को शक हुआ और वे कार के पीछे दौड़े. इसी बीच, वह कार उपराष्ट्रपति की खड़ी गाड़ी से टकरा गई. टक्कर होते ही कार सवार आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. आतंकियों के पास एके-47 समेत कई अत्याधुनिक हथियार थे. देखते ही देखते पूरा संसद परिसर गोलियों की आवाजों से दहल उठा. अचानक हुए इस हमले से संसद में अफरातफरी मच गई. एजेंसियों ने तुरंत अलर्ट जारी किया और सीआरपीएफ की बटालियन ने मोर्चा संभाला.

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सील कर दी गई संसद
संसद परिसर में जब गोलियों की गूंज सुनाई दे रही थी, उस वक्त संसद भवन में गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी समेत कई बड़े नेता और पत्रकार मौजूद थे. स्थिति को देखते हुए सभी को अंदर ही रहने को कहा गया और संसद को पूरी तरह सील कर दिया गया.
आतंकियों को किया ढेर
इस बीच एक आतंकी गेट नंबर 1 से सदन में प्रवेश करने के लिए आगे बढ़ा, लेकिन सुरक्षा बलों ने उसे वहीं ढेर कर दिया. इसके बाद, अन्य चार आतंकी गेट नंबर 4 की ओर बढ़े, जहां मुठभेड़ में तीन को मार गिराया गया. आखिरी आतंकी गेट नंबर 5 की ओर भागा, पर वह भी कुछ ही मिनटों में सुरक्षा बलों की गोलियों का शिकार हो गया. यह मुठभेड़ सुबह 11:30 बजे शुरू हुई और शाम करीब 4 बजे तक चली. देश के जांबाज सुरक्षाकर्मियों की बहादुरी और त्वरित कार्रवाई से उस दिन एक बड़ा हादसा टल गया.
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संसद पर हमले के दो दिन बाद, यानी 15 दिसंबर 2001 को, अफजल गुरु, एसएआर गिलानी, अफशान गुरु और शौकत हुसैन को गिरफ्तार किया गया. बाद में मामले की सुनवाई हुई और सर्वोच्च न्यायालय ने गिलानी और अफशान को बरी कर दिया, लेकिन अफजल गुरु के खिलाफ आरोप सिद्ध होने पर उसे मौत की सजा दी गई. वहीं, शौकत हुसैन की सजा मौत से घटाकर 10 साल कर दी गई. 9 फरवरी 2013 को अफजल गुरु को दिल्ली की तिहाड़ जेल में सुबह 8 बजे फांसी दे दी गई.
कई सुरक्षाकर्मियों की गई जान
इस हमले में दिल्ली पुलिस के 5 बहादुर जवान, सीआरपीएफ की एक महिला सुरक्षाकर्मी, राज्यसभा सचिवालय के 2 कर्मचारी और एक माली ने अपनी जान गंवाई. संसद पर हुआ यह हमला भारत के इतिहास की गंभीर आतंकी घटनाओं में से एक माना जाता है.
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