संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में चीन द्वारा कश्मीर मुद्दे को उठाने को लेकर पाकिस्तान की नाकामी के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने गुरुवार को पाकिस्तान को क्षेत्रीय पड़ोसियों के माध्यम से 'घड़ियाली' आंसू बहाने की बजाय बातचीत का रास्ता खोलने की सलाह दी है. अकबरुद्दीन ने NDTV से कहा, 'कूटनीति घड़ियाली आंसू बहाना नहीं है. यह कठिन, लेकिन यथार्थवादी कदम उठाने के बारे में है. ऐसे कदम जो छोटे भी हो सकते हैं. हमने वह छोटा कदम 5 अगस्त को उठाया था. अब पाकिस्तान को भी वैसा ही छोटा कदम उठाकर बातचीत के रास्ते पर चलना चाहिए.' बता दें, 5 अगस्त 2019 को भारत द्वारा कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के जवाब में पाकिस्तान ने अपने यहां से भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था. इसके साथ ही उसने द्विपक्षीय व्यापार को भी पूरी तरह बंद कर दिया था.
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सैयद अकबरुद्दीन ने दावा किया कि कूटनीति में स्पष्ट बातचीत की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा, 'वह सब जिसे पाकिस्तान ने 5 महीने पहले बंद कर दिया था. तो शायद उनके लिए पहला कदम उस रास्ते पर दोबारा आगे बढ़ना है और कूटनीति पर गंभीर इरादे दिखाना है.' बता दें, अपने सदाबहार दोस्त चीन के माध्यम से जम्मू-कश्मीर के मुद्दे संयुक्त राष्ट्र में उठाने को लेकर पाकिस्तान को एक बार फिर नाकामी हाथ लगी है. पाकिस्तान का समर्थन करते हुए चीन ने कश्मीर मसले पर UNSC में अन्य देशों का समर्थन पाने की कोशिश की थी, लेकिन बात नहीं बनी. चीन की इस नाकाम कोशिश पर अन्य देशों ने कहा कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है.
दरअसल चीन ने बीते बुधवार (15 जनवरी) न्यूयॉर्क में बंद कमरे में हुई UNSC की बैठक में एक बार फिर कश्मीर का मामला उठाने की कोशिश की, लेकिन उसकी यह कोशिश नाकाम हो गई. परिषद के अन्य सभी सदस्य देशों ने इसका विरोध किया. UNSC के सदस्य देशों ने कहा कि इस मुद्दे पर बहस के लिए यह सही जगह नहीं है. यह भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है. फ्रांस की ओर से भी इसका विरोध किया गया.
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फ्रांस ने जम्मू-कश्मीर को भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा बताते हुए इस पर चर्चा का विरोध किया. पिछले महीने हुई बैठक में भी फ्रांस, अमेरिका, रूस और ब्रिटेन ने चीन द्वारा कश्मीर मुद्दे को उठाने के मंसूबों पर पानी फेर दिया था. फ्रांस ने कहा था कि इस मामले में उनका रुख नहीं बदला है. वह हर मौके पर यही कहते आए हैं कि यह दो देशों के बीच का मामला है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन ने कहा, 'हमने एक बार फिर देखा कि पाकिस्तान ने ये मुद्दा उठाने की कोशिश की, जिसे किसी का भी समर्थन नहीं मिला. हमें खुशी है कि इस मामले में पाकिस्तान के किसी बेबुनियाद आरोप को UN ने चर्चा के लायक नहीं समझा.'