पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने आरोप लगाया कि उनके खिलाफ लगाए गए बेतुके आरोप के समर्थन में कार्रवाई करने को लेकर सीबीआई पर दबाव डाला गया. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के एयरसेल-मैक्सिस मामले में पूरक चार्जशीट दाखिल करने के बाद उन्होंने यह बात कही है. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति के खिलाफ सीबीआई द्वारा पूरक आरोपपत्र दाखिल करने के तुरंत बाद पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि वह अदालत में इस मामले पर 'मजबूती' के साथ लड़ेंगे. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'मेरे और अच्छी छवि रखने वाले अधिकारियों के खिलाफ बेतुके आरोप के समर्थन में चार्जशीट दाखिल करने को लेकर सीबीआई पर दबाव डाला गया.' चिदंबरम ने कहा कि मामला अब अदालत के समक्ष है और वह पूरी मजबूती के साथ इस मुकदमे को लड़ेंगे.
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उन्होंने कहा, 'मैं अब कोई सार्वजनिक बयान नहीं दूंगा.' कुल 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस सौदे तथा 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स मीडया मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की भूमिका जांच के घेरे में है. सीबीआई मामले में यह जांच कर रही है कि चिदंबरम जो कि 2006 में वित्त मंत्री थे, उन्होंने कंपनी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की तरफ से मंजूरी किस प्रकार दे दी, जबकि ऐसा करने का अधिकार केवल मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति के पास था.
सीबीआई ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी के समक्ष पूरक आरोप पत्र दायर किया जो 31 जुलाई को इस पर विचार करेंगे. चिदंबरम और कार्ति के अलावा सीबीआई ने लोक सेवकों समेत 10 व्यक्तियों और छह कंपनियों को आरोपी बनाया है. चार्जशीट भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आपराधिक साजिश से संबंधित धारा और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लोक सेवक द्वारा रिश्वत लेने, इस अपराध के लिए उकसाने और लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार से संबंधित धाराओं में दायर किया गया है. अगर इन अपराधों में दोष साबित हो जाता है तो आरोपियों को सात साल तक की सजा हो सकती है.
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सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई को लोक सेवकों के खिलाफ अभियोजन की इजाजत नहीं मिली है. उन्होंने बताया कि कथित रिश्वत देने के लिए धन को मलेशिया की कंपनी और एयरसेल टेलीवेन्चर्स से लिया गया था. सीबीआई इस बात की जांच कर रही थी कि 2006 में वित्त मंत्री रहते चिदंबरम ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी एक विदेशी कंपनी को कैसे दे दी, जबकि ऐसा करने का अधिकार सिर्फ आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) के पास था.
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जांच एजेंसियां 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस सौदे और 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की भूमिका की जांच कर रही थीं. इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन और अन्य के खिलाफ पहले दायर किए गए आरोप पत्र में जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि मार्च 2006 में चिदंबरम ने मॉरीशस की ग्लोबल कम्यूनिकेशन सर्विसेज होल्डिंस लिमटेड को एफआईपीबी की मंजूरी दी थी. यह मैक्सिस की अनुवांशिक कंपनी है.
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सीबीआई के पहले आरोप पत्र में आरोपी बनाए मारन बंधु और अन्य को विशेष अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया था और कहा था कि एजेंसी उनके खिलाफ सुनवाई शुरू करने लायक सामग्री पेश करने में विफल रही है. सीबीआई ने मारन बंधुओं के खिलाफ दायर आरोप पत्र में आरोप लगाया था कि ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विसेज होल्डिंस लिमटेड ने 80 करोड़ (800 मिलियन) अमेरिकी डॉलर की एफआईपीबी की मंजूरी मांगी थी, जिसके के लिए सीसीईए सक्षम प्राधिकार था, लेकिन चिदंबरम ने मार्च 2006 में कंपनी को मंजूरी दे दी. एजेंसी ने दावा किया था कि वित्त मंत्री के पास 600 करोड़ रुपये तक प्रस्ताव पर मंजूरी देने का अधिकार था और इस राशि से अधिक के प्रस्ताव को सीसीईए की मंजूरी जरूरी थी.
VIDEO : CBI ने पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को बनाया आरोपी
प्रवर्तन निदेशालय भी एयरसेल-मैक्सिस सौदे में अलग से धन शोधन मामले की जांच कर रहा है, जिसमें चिदंबरम और कार्ति से पूछताछ की जा चुकी है. चिदंबरम और कार्ति दोनों ने ही सीबाआई और प्रवर्तन निदेशालय के आरोपों से इनकार किया है.
(इनपुट : भाषा)
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CBI has been pressured to file a charge sheet to support a preposterous allegation against me and officers with a sterling reputation. The case is now before the Hon'ble Court and it will be contested vigorously. I shall make no more public comment.
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) July 19, 2018
उन्होंने कहा, 'मैं अब कोई सार्वजनिक बयान नहीं दूंगा.' कुल 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस सौदे तथा 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स मीडया मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की भूमिका जांच के घेरे में है. सीबीआई मामले में यह जांच कर रही है कि चिदंबरम जो कि 2006 में वित्त मंत्री थे, उन्होंने कंपनी को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की तरफ से मंजूरी किस प्रकार दे दी, जबकि ऐसा करने का अधिकार केवल मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति के पास था.
#CORRECTION: Central Bureau of Investigation (CBI) files fresh charge sheet in Aircel Maxis case Delhi's Patiala House Court against 18 accused including P Chidambaram and Karti Chidambaram. https://t.co/P2MejxUipw
— ANI (@ANI) July 19, 2018
सीबीआई ने विशेष सीबीआई न्यायाधीश ओपी सैनी के समक्ष पूरक आरोप पत्र दायर किया जो 31 जुलाई को इस पर विचार करेंगे. चिदंबरम और कार्ति के अलावा सीबीआई ने लोक सेवकों समेत 10 व्यक्तियों और छह कंपनियों को आरोपी बनाया है. चार्जशीट भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत आपराधिक साजिश से संबंधित धारा और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत लोक सेवक द्वारा रिश्वत लेने, इस अपराध के लिए उकसाने और लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार से संबंधित धाराओं में दायर किया गया है. अगर इन अपराधों में दोष साबित हो जाता है तो आरोपियों को सात साल तक की सजा हो सकती है.
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सूत्रों के मुताबिक, सीबीआई को लोक सेवकों के खिलाफ अभियोजन की इजाजत नहीं मिली है. उन्होंने बताया कि कथित रिश्वत देने के लिए धन को मलेशिया की कंपनी और एयरसेल टेलीवेन्चर्स से लिया गया था. सीबीआई इस बात की जांच कर रही थी कि 2006 में वित्त मंत्री रहते चिदंबरम ने विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी एक विदेशी कंपनी को कैसे दे दी, जबकि ऐसा करने का अधिकार सिर्फ आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) के पास था.
यह भी पढ़ें : एयरसेल-मैक्सिस मामले में चिदंबरम ईडी के समक्ष पेश
जांच एजेंसियां 3,500 करोड़ रुपये के एयरसेल-मैक्सिस सौदे और 305 करोड़ रुपये के आईएनएक्स मीडिया मामले में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता की भूमिका की जांच कर रही थीं. इस मामले में पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन, उनके भाई कलानिधि मारन और अन्य के खिलाफ पहले दायर किए गए आरोप पत्र में जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि मार्च 2006 में चिदंबरम ने मॉरीशस की ग्लोबल कम्यूनिकेशन सर्विसेज होल्डिंस लिमटेड को एफआईपीबी की मंजूरी दी थी. यह मैक्सिस की अनुवांशिक कंपनी है.
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सीबीआई के पहले आरोप पत्र में आरोपी बनाए मारन बंधु और अन्य को विशेष अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया था और कहा था कि एजेंसी उनके खिलाफ सुनवाई शुरू करने लायक सामग्री पेश करने में विफल रही है. सीबीआई ने मारन बंधुओं के खिलाफ दायर आरोप पत्र में आरोप लगाया था कि ग्लोबल कम्युनिकेशन सर्विसेज होल्डिंस लिमटेड ने 80 करोड़ (800 मिलियन) अमेरिकी डॉलर की एफआईपीबी की मंजूरी मांगी थी, जिसके के लिए सीसीईए सक्षम प्राधिकार था, लेकिन चिदंबरम ने मार्च 2006 में कंपनी को मंजूरी दे दी. एजेंसी ने दावा किया था कि वित्त मंत्री के पास 600 करोड़ रुपये तक प्रस्ताव पर मंजूरी देने का अधिकार था और इस राशि से अधिक के प्रस्ताव को सीसीईए की मंजूरी जरूरी थी.
VIDEO : CBI ने पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम को बनाया आरोपी
प्रवर्तन निदेशालय भी एयरसेल-मैक्सिस सौदे में अलग से धन शोधन मामले की जांच कर रहा है, जिसमें चिदंबरम और कार्ति से पूछताछ की जा चुकी है. चिदंबरम और कार्ति दोनों ने ही सीबाआई और प्रवर्तन निदेशालय के आरोपों से इनकार किया है.
(इनपुट : भाषा)
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