- बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र की 5 सीटों पर जीत हासिल कर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ाई है
- असदुद्दीन ओवैसी ने बंगाल चुनाव को लेकर जल्दबाजी न करने और रणनीति पर विचार करने की बात कही है
- उत्तर प्रदेश में AIMIM पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरने और अधिक सीटें जीतने की योजना बना रही है
बिहार विधानसभा चुनाव में हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में पांच सीटों पर जीत दर्ज कर सबको हैरानी में डाल दिया. लेकिन बिहार में मिली इस सफलता के बाद ओवैसी ने एनडीटीवी से खास बातचीत में अपनी अगली रणनीति पर भी खुलकर बात की. इस दौरान उन्होंने साफ किया कि फिलहाल बंगाल चुनाव को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं होगी, जबकि उत्तर प्रदेश में AIMIM पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरेगी.
बंगाल चुनाव पर क्या बोले ओवैसी
ओवैसी एनडीटीवी संग खास बातचीत के दौरान कहा कि अभी हमें समय चाहिए. हम उन सीटों पर ध्यान देंगे जहां जीत मिली है और उन उम्मीदवारों के साथ बैठेंगे जो हार गए हैं, जिस पर मंथन की जरूरत है. खासकर आदिल हसन जैसे उम्मीदवारों की हार पर हमें दुख है. बंगाल में हमारी यूनिट है, लेकिन रणनीति पर फैसला करने के लिए हमें बैठकर चर्चा करनी होग और फिलहाल कहना जल्दबाजी होगी.
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यूपी में AIMIM का गेम प्लान
ओवैसी ने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में AIMIM पूरी तरह तैयार है. यूपी में खेल शुरू हो चुका है. हम वहां ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश करेंगे. चंद्रशेखर आजाद और स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ हमारा गठबंधन जारी रहे, यह हमारी उम्मीद है. उनका यह बयान साफ करता है कि AIMIM यूपी में दलित-मुस्लिम समीकरण को मजबूत करने की कोशिश करेगी, जो बिहार में सीमांचल की रणनीति से अलग लेकिन उतना ही अहम है.
बंगाल में AIMIM की पकड़ और चुनौतियां
ओवैसी ने स्वीकार किया कि बिहार के सीमांचल और बंगाल बॉर्डर एरिया में AIMIM की लोकप्रियता बढ़ी है. उन्होंने कहा, “हमने शेरशाहबादी और अन्य समुदायों को जोड़ा है. ये लोग ‘घुसपैठिया' कहे जाने का दर्द झेल रहे हैं. हम उनके लिए काम कर रहे हैं और भविष्य में उन्हें प्रतिनिधित्व दिलाने का वादा किया है.”
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बिहार से सबक और आगे की राह
बिहार चुनाव में AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया, लेकिन कई सीटों पर हार ने पार्टी को सोचने पर मजबूर कर दिया है. ओवैसी का बंगाल को लेकर सतर्क रुख इस बात का संकेत है कि AIMIM फिलहाल अपनी ताकत को मजबूत करने और हार-जीत का विश्लेषण करने में जुटी है. वहीं यूपी में AIMIM का फोकस दलित-मुस्लिम गठजोड़ पर होगा, जो आने वाले चुनावों में बड़ा फैक्टर साबित हो सकता है.
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