शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने शनिवार को उद्धव ठाकरे से मुलाकात करने के बाद मीडिया से बात की. उन्होंने कहा कि, ''चुनाव आयोग के फैसले को अदालत में चुनौती दी जाएगी. उन्होंने कहा कि हम लोगों को बताएंगे कि हमारी पार्टी को 'महाशक्ति' की मदद से चुराया गया है.''
संजय राउत ने कहा कि, ''एक समय था जब मंदिर से मूर्तियां चोरी हो जाती थीं, अब लोग बाप को चुरा रहे हैं. आज जब उद्धव ने अपना भाषण दिया तो लोग बालासाहेब को याद कर रहे थे. उन्होंने कहा कि, शिवसेना पलटवार करेगी और फिर से सत्ता में आकर दिखाएगी.''
गौरतलब है कि शुक्रवार को चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे के प्रतिद्वंद्वी एकनाथ शिंदे को शिवसेना पार्टी का नाम और तीर-धनुष का चुनाव चिन्ह दे दिया. इसको लेकर उद्धव ठाकरे गुट में भारी नाराजगी है. शनिवार को पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग पर तेज हमला किया. उद्धव ठाकरे ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि, "चुनाव आयोग, पीएम (नरेंद्र) मोदी का गुलाम है. उसने कुछ ऐसा किया है जो पहले कभी नहीं हुआ." उद्धव ठाकरे ने अपने समर्थकों से धैर्य रखने और अगले चुनावों की तैयारी करने का आग्रह किया.
गौरतलब है कि मुंबई के नगरीय निकाय बीएमसी (BMC) के चुनाव जल्द ही होने वाले हैं. उद्धव ठाकरे ने एक बड़ी भीड़ को संबोधित किया. ठाकरे परिवार के घर मातोश्री के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं ने शक्ति प्रदर्शन किया. उद्धव ठाकरे अपनी कार का सनरूफ खोलकर बाहर खड़े हो गए. इस तरीके से लोगों को संबोधित करके उन्होंने अपने पिता बाल ठाकरे की परंपरा निभाई. बाल ठाकरे पार्टी के शुरुआती दिनों में अपनी कार की छत से अनुयायियों को संबोधित करते थे.
उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी का चुनाव चिन्ह "चोरी" हो गया है और "चोर" को सबक सिखाने की जरूरत है.
उद्धव ठाकरे को एक बड़ा झटका देते हुए चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिदे को उस पार्टी की पहचान सौंप दी जिसे उनके पिता ने 1966 में स्थापित किया था. शिंदे ने करीब आठ माह पहले उद्धव ठाकरे की सरकार का तख्तापलट कर दिया था.
उद्धव ठाकरे की टीम ने चुनाव आयोग से मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने का आग्रह किया था. उन्होंने कहा है कि वे शीर्ष अदालत में फैसले को चुनौती देंगे. शिवसेना के दोनों गुटों के बीच पार्टी पर अधिकार को लेकर खींचतान के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है.
एकनाथ शिंदे ने जून 2022 में पार्टी में बगावत कर दी थी. वे बीजेपी की मदद से 40 से अधिक शिवसेना विधायकों को साथ लेकर चले गए थे. बीजेपी ने एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर अंततः उद्धव ठाकरे की सरकार को गिरा दिया था. ठाकरे की सरकार में दो वैचारिक रूप से भिन्न सहयोगी दल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी शामिल थी.
शिवसेना पर नियंत्रण के लिए लंबी लड़ाई चली. चुनाव आयोग ने 78 पन्नों के आदेश में कहा कि शिंदे को 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पार्टी के 76 प्रतिशत विजयी वोटों के साथ विधायकों का समर्थन प्राप्त था. चुनाव आयोग ने कहा कि उद्धव ठाकरे गुट पार्टी का 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' नाम और पिछले साल दिया गया चुनाव चिह्न 'धधकती मशाल' रख सकता है.
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