जहरीली हवा के कारण दिल्ली-एनसीआर के स्कूल कर रहे क्लासेज ऑनलाइन करने पर विचार

वायु प्रदूषण से दिल्ली धुंधला गई. शहर की सबसे ऊंची 28 मंज़िला इमारत MCD दफ्तर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर की छत से भी बस कुछ ही दूर तक दिखाई दे रहा है. दिल्ली का आज वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 426 है.

बुधवार को मामूली सुधार के बाद वायु प्रदूषण का स्तर फिर से गंभीर श्रेणी में खिसकने के कारण आज सुबह दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में धुंध की एक मोटी परत बनी रही. आलम यह है कि प्रदूषण से दिल्ली धुंधला गई. शहर की सबसे ऊंची 28 मंज़िला इमारत MCD दफ्तर श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविक सेंटर की छत से भी बस कुछ ही दूर तक दिखाई दे रहा है. दिल्ली का आज वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 426 है.

पड़ोसी राज्यों में पराली में आग और धुंआ निकालने वाले वाहनों के उत्सर्जन के कारण दिल्ली का वायु प्रदूषण बढ़ रहा है. रही-सही कसर प्रतिकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों ने कर दी है. दिल्ली की जहरीली हवा के कारण कई निवासियों ने सांस लेने में कठिनाइयों और स्वास्थ्य समस्याओं की सूचना दी है. इनमें बुजुर्ग और स्कूल जाने वाले बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं.
चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि जहरीली हवा के लंबे समय तक संपर्क में रहने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. खासकर सुबह के समय स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए यह बेहद हानिकारक है.

बिगड़ती वायु गुणवत्ता को देखते हुए दिल्ली और हरियाणा में श्री राम स्कूल ने अपने स्कूल को अस्थायी रूप से बंद करने का फैसला किया है. स्कूल कल (शुक्रवार) से ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करेगा. सूत्रों का कहना है कि अन्य स्कूल भी इस तरह का फैसला ले सकते हैं. श्री राम स्कूल का यह फैसला राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से वायु गुणवत्ता में सुधार होने तक स्कूलों को बंद करने का आग्रह करने के एक दिन बाद आया है.
हालांकि, माता-पिता का कहना है कि अधिकारियों को स्कूलों को बंद करने की बजाय शहर के बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए दीर्घकालिक उपाय अपनाने चाहिए.

एक महिला ने एनडीटीवी से कहा, "स्कूल बंद करना कोई समाधान नहीं है. सरकार को प्रदूषण से निपटने के लिए कुछ करना चाहिए." एक अन्य माता-पिता ने कहा, "हमारे बच्चे सांस लेने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार को स्कूलों को बंद नहीं करना चाहिए. उन्हें हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए. महामारी के दौरान स्कूल बंद रहने के कारण बच्चों की पढ़ाई पर पहले ही बहुत असर पड़ा है."

डीपीएस, डीएवी, बाल भारती, मॉडर्न स्कूल, स्प्रींगडेल आदि जैसे दिल्ली-एनसीआर के 140 नामी स्कूलों और पूरे देश में 229 स्कूलों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था नेशनल प्रोग्रेसिव स्कूल कांफ्रेंस की चेयरमैन डॉक्टर सुधा आचार्य ने बताया कि वायु प्रदुषण के कारण हमने स्कूलों में आउटडोर एक्टिविटी बंद कर दी है. एन 95 मास्क को पहनना जरूरी कर दिया है. नवंबर में होने वाले एनुअल डे कार्यक्रम को भी बाद में करने का निर्णय लिया है. अगर प्रदूषण इसी तरह रहा तो स्कूल को ऑनलाइन मोड में ले जाएंगे. सोमवार को तय करेंगे कि क्लासेज को लेकर आगे क्या फैसला लेना है. 

शहर का 24 घंटे का एक्यूआई कल 376 रहा, जो मंगलवार को 424 से सुधरा है. 401 और 500 के बीच एक्यूआई को गंभीर के रूप में वर्गीकृत किया गया है. शून्य और 50 के बीच एक्यूआई को "अच्छा", 51 और 100 को "संतोषजनक", 101 और 200 को "मध्यम", 201 और 300 "खराब" व 301 और 400 "बहुत खराब" माना जाता है.

विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में 1 नवंबर से 15 नवंबर के बीच हवा की गुणवत्ता सबसे खराब रहेगी, क्योंकि इस दौरान पराली जलाने का समय चरम पर होता है. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पराली की आग से निकलने वाले धुएं ने शहर की हवा में छोटे पीएम 2.5 फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले प्रदूषकों का 32 प्रतिशत तक योगदान दिया है. यह पिछले दो वर्षों में मध्य अक्टूबर से नवंबर की शुरुआत में सबसे अधिक है. पीएम 2.5 महीन कण हैं, जो 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास के होते हैं और श्वसन पथ में गहराई तक यात्रा कर सकते हैं. यह फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और रक्तप्रवाह में प्रवेश कर सकते हैं.

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