भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सदस्यों के बाद अब संसदीय कमिटी ने जी राम जी बिल को लेकर अपना एजेंडा बदल लिया है. नए एजेंडे के तहत अब जी राम जी बिल पर कोई चर्चा नहीं होगी. आपको बता दें कि बीजेपी सांसद और कमिटी के सदस्य विवेक ठाकुर ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर इस बात पर आपत्ति जताई थी कि जब नए क़ानून के तहत नई योजना पर अमल शुरू ही नहीं हुआ है तब इसका किसी पुरानी योजना से इसकी तुलना करने का कोई औचित्य नहीं है. ठाकुर ने बैठक के एजेंडे को बदलने या उसे रद्द करने का आग्रह किया था. ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की इस स्थाई कमिटी के अध्यक्ष सप्तगिरि शंकर उलाका हैं जो ओडिशा से कांग्रेस के इकलौते लोकसभा सांसद हैं .
राष्ट्रपति की मुहर लगने के बाद जी राम जी बिल अब क़ानून की शक्ल ले चुका है लेकिन इसके तहत चलने वाली योजना शुरू होने में अभी समय लगेगा. ऐसे में जी राम जी बनाम मनरेगा के मुद्दे पर मोदी सरकार और विपक्ष के बीच खींचतान लगातार जारी है . इसका ताज़ा उदाहरण है इस मुद्दे पर होने वाली कमिटी की बैठक जो 29 दिसंबर को बुलाई गई है . बैठक के एजेंडे को लेकर खींचतान चल रही है . बैठक का एजेंडा मनरेगा और उससे जुड़े विषयों पर चर्चा रखा गया है . हालांकि पहले इस बैठक का एजेंडा कुछ और रखा गया था जिसे कमिटी में शमिल बीजेपी सदस्यों के विरोध के बाद अब बदल दिया गया है .
दरअसल, पहले बैठक का एजेंडा जी राम जी बिल पर चर्चा और मनरेगा से उसकी तुलनात्मक समीक्षा को रखा गया था. 29 दिसंबर को होने वाली इस बैठक के लिए कमिटी के सदस्यों को सूचना 19 दिसंबर को भेजी गई थी. हालांकि एजेंडा को लेकर कमिटी के बीजेपी सदस्यों की सख़्त आपत्ति थी. बीजेपी सांसद और कमिटी के सदस्य विवेक ठाकुर ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर इस बात पर आपत्ति जताई थी कि जब नए क़ानून के तहत नई योजना पर अमल शुरू ही नहीं हुआ है तब इसका किसी पुरानी योजना से इसकी तुलना करने का कोई औचित्य नहीं है.
ठाकुर ने बैठक के एजेंडे को बदलने या उसे रद्द करने का आग्रह किया था.अब कमिटी का एजेंडा तो बदल दिया गया है और जी राम जी बिल को उसमें से हटा दिया गया है लेकिन अभी भी बीजेपी के सदस्य इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं. विवेक ठाकुर ने एनडीटीवी से कहा कि एजेंडा में बदलाव या सुधार अभी भी अर्थहीन है और फ़िलहाल एक स्थाई कमिटी के एजेंडा को लेकर राजनीति की जा रही है. एक बार जी राम जी योजना के क्रियान्वयन की रूपरेखा सामने आ जाए तब ही इसपर चर्चा करने का औचित्य बनता है .
अभी ये साफ़ नहीं हो पाया है कि एजेंडा को बदलने का फ़ैसला कमिटी के अध्यक्ष और कांग्रेस सांसद सप्तगिरि शंकर उलाका ने स्वतः किया है या फिर उन्हें लोकसभा अध्यक्ष की तरफ़ से ऐसा करने के लिए कहा गया था. ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थाई कमिटी लोकसभा की कमिटी कही जाती है क्योंकि उसके अध्यक्ष लोकसभा के सदस्य होते हैं. नियम और परम्परा के मुताबिक़ लोकसभा से जुड़ी किसी भी कमिटी का संरक्षक लोकसभा अध्यक्ष को ही माना जाता है . ऐसे में इस कमिटी के कामकाज में ज़रूरत पड़ने पर वो हस्तक्षेप कर सकते हैं .ज़ाहिर है 29 दिसंबर को होने वाली कमिटी की इस बैठक में सत्ता पक्ष और विपक्ष के सांसदों के बीच जमकर खींचतान होगी . इस कमिटी में अध्यक्ष को मिलाकर कुल 31 संसद सदस्य हैं जिनमें 18 एनडीए के जबकि 13 विपक्ष के सदस्य हैं .
यह भी पढ़ें: गद्दार हम नहीं वो लोग हैं, पीएम के बयान पर खरगे का पलटवार, मनरेगा पर बताया कांग्रेस का प्लान
यह भी पढ़ें: प्रियंका की चाय, सिगरेट, कुत्ता, बिल के अतरंगी नाम और रात भर धरना... ऐसे भी याद रहेगा ये शीतकालीन सत्र
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं