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This Article is From Jan 18, 2020

राज्यों की ओर से NPR और CAA को लागू करने का विरोध करना उचित : चिदंबरम

कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा- एनपीआर और कुछ नहीं बल्कि एनआरसी का छद्म रूप है, हम इसके खिलाफ लड़ेंगे

राज्यों की ओर से NPR और CAA को लागू करने का विरोध करना उचित : चिदंबरम
कांग्रेस के नेता, पूर्व केंद्रीय मंत्री और वकील पी चिदंबरम (फाइल फोटो).
कोलकाता:

कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और कुछ नहीं बल्कि “एनआरसी का ही छद्म रूप” है. साथ ही उन्होंने कहा कि असम में एनआरसी की “विफलता” के बाद नरेन्द्र मोदी सरकार ने तुरंत सुर बदल लिया और वह अब सिर्फ एनपीआर की बात कर रही है.

चिदंबरम ने यहां संवाददाताओं से कहा कि एनपीआर ‘‘और कुछ नहीं बल्कि एनआरसी का ही छद्म रूप है.'' पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि राज्यों द्वारा एनपीआर और सीएए को लागू करने का विरोध करना उचित है क्योंकि इसकी संवैधानिक वैधता उच्चतम न्यायालय को तय करनी है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारा उद्देश्य संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनपीआर) की गलत मंशा से लड़ना और उसके खिलाफ जनता के विचार को गति देना है.'' उन्होंने कहा, ‘‘हमारा रूख स्पष्ट है कि हम अप्रैल 2020 से शुरू हो रहे एनपीआर पर सहमत नहीं होंगे.''

चिदंबरम ने कहा, ‘‘हम एनआरसी और सीएए के खिलाफ लड़ रहे हैं. अभी एक साथ तो कभी अलग-अलग. महत्वपूर्ण बात यह है कि हम लड़ रहे हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘एनपीआर, सीएए और एनआरसी के खिलाफ लड़ रही सभी पार्टियों को साथ आना चाहिए और मुझे विश्वास है कि वे आएंगे.''

उन्होंने कहा कि भाजपा विपक्ष की आवाज दबाने में असफल रही है और उसे लगता है कि यह वक्त निकल जाएगा. एनपीआर पर 17 जनवरी को आयोजित बैठक में विपक्ष शासित राज्यों के शामिल होने के बारे में उन्होंने कहा कि बैठक में शामिल होने का अर्थ स्वीकृति नहीं है. उन्होंने कहा, “यह सिर्फ दूसरे पक्ष की सोच जानने से संबंधित था.”

चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस कार्य समित द्वारा सीएए, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने के साथ ही उनकी पार्टी के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्री इस बारे में कदम उठाएंगे. उन्होंने कहा कि राज्यों द्वारा सीएए का विरोध करने में कोई संवैधानिक बाधा नहीं है. उन्होंने कहा, “सीएए इस समय उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है. इसलिए राज्य इसके बारे में जैसा सोचते हैं, उनका वैसा कहना उचित है.”

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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