
देश की सुरक्षा एजेंसियों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि भारत की मिट्टी पर छिपे गद्दार कितनी भी चालाकी से छिप जाएं, वे कानून की नजरों से नहीं बच सकते. ऑपरेशन ‘सिंदूर' ने न सिर्फ सरहद पार बैठे दुश्मनों की नींद हराम कर दी है, बल्कि देश के भीतर बैठे गुप्त गद्दारों की भी कमर तोड़ दी है. हाल के दिनों में लगातार तीन जासूसों की गिरफ्तारी ने पूरे देश को चौंका दिया है. ये तीनों ही लोग आम नागरिकों की तरह जिंदगी जी रहे थे, लेकिन इनके इरादे राष्ट्रविरोधी थे.
कौन है ज्योति मल्होत्रा
इंस्टा-यूट्यूब पर हिट इंफ्लुएंसर के वेश में जासूसी का खतरनाक खेल करने वाली ज्योति मल्होत्रा पकड़े गए आरोपियों में सबसे चौंकाने वाला नाम है. ज्योति मल्होत्रा एक निजी संस्था में काम करती थी. शुरुआती जांच में पता चला है कि वह सोशल मीडिया के ज़रिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़ी थी. व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे माध्यमों से वह संवेदनशील जानकारियां भेज रही थी, जिनमें फौजी मूवमेंट, कैंटोनमेंट एरिया की तस्वीरें और रणनीतिक सूचनाएं शामिल थीं. जांच एजेंसियों के मुताबिक, ज्योति को दुबई के एक कथित हैंडलर के माध्यम से भुगतान किया जाता था. उसकी गिरफ्तारी ने महिला नेटवर्क के जरिए जासूसी की एक नई परत खोल दी है.
कैथल से देवेंद्र सिंह: गांव से देशद्रोह की कहानी
हरियाणा के कैथल जिले के गांव मस्तगढ़ से पकड़ा गया देवेंद्र सिंह एक पूर्व सैन्यकर्मी का बेटा है. वह लंबे समय से पाकिस्तान की ISI को गोपनीय सैन्य सूचनाएं भेज रहा था. सूत्रों की मानें तो देवेंद्र का संपर्क पाकिस्तान में बैठे एक हैंडलर से फेसबुक के ज़रिए हुआ था. बदले में उसे हर जानकारी पर 5 से 10 हजार रुपये तक मिलते थे. पुलिस ने उसके मोबाइल और लैपटॉप से कई संवेदनशील दस्तावेज और नक्शे बरामद किए हैं.
पानीपत से नोमान इलाही: नेटवर्क का तीसरा सिरा
तीसरी गिरफ्तारी हरियाणा के पानीपत जिले से हुई थी. आरोपी का नाम नोमान इलाही है, जो पेशे से एक कंप्यूटर ऑपरेटर था. लेकिन उसकी असली पहचान पाकिस्तान के लिए काम करने वाले एक 'डार्क वेब' जासूस की थी. नोमान ने कई बार रेलवे और मिलिट्री मूवमेंट की जानकारी विदेशी नंबरों पर भेजी थी. पूछताछ में उसने स्वीकार किया है कि उसने कई बार नकदी लेकर लोगों से USB ड्राइव और दस्तावेज लिए और उन्हें डार्कनेट के जरिए अपलोड किया.
तीनों गिरफ्तार, देशद्रोह का मुकदमा दर्ज
तीनों ही आरोपियों के खिलाफ आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम (Official Secrets Act), 1923 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मामले में हस्तक्षेप कर लिया है और अब इसे अंतरराष्ट्रीय जासूसी नेटवर्क से जोड़कर देखा जा रहा है.
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों का सख्त संदेश
सरकार ने इन गिरफ्तारियों के बाद स्पष्ट संदेश दिया है कि राष्ट्र की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा. ऑपरेशन 'सिंदूर' के तहत अब तक देशभर में दर्जनों संदिग्धों को निगरानी में लिया गया है और जांच तेज़ है.
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