जंतर-मंतर पर भूख हड़ताल पर बैठे कर्नल पुष्पेंदर और हवलदार मेजर सिंह....
नई दिल्ली:
वन रैंक वन पेंशन के मुद्दे पर तीनों सेनाओं के 10 पूर्व प्रमुखों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुली चिट्ठी लिखी है। उन्होंने लिखा है कि वे 14 अगस्त को जंतर-मंतर पर पूर्व सैनिकों के साथ हुए खराब बर्ताव से आहत हैं। इस मामले को लेकर जंतर-मंतर पर पूर्व सैनिक कर्नल पुष्पेंदर और हवलदार मेजर सिंह भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।
दस पूर्व सेना प्रमुखों का वन रैंक वन पेंशन को लेकर प्रधानमंत्री को खुला पत्र
1. हम, सेना के पूर्व प्रमुख जंतर मंतर पर 14 अगस्त को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई से बहुत ज्यादा दुखी हैं और इसकी निंदा करते हैं। ये सैनिक 12 जून से वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। हम पुलिस के खिलाफ सरकार से तुरंत जांच और कार्रवाई की मांग करते हैं।
2. पुलिस की इस कार्रवाई से सेना के तीनों अंगों के हर रैंक के जवान और अफसर के स्वाभिमान और मनोबल को ठेस पहुंची है। यह ध्यान दिलाने की जरूरत नहीं कि ये वही सैनिक हैं, जो हमारे संविधान और देश के प्रति हमेशा से वफादार रहे हैं चाहे वे सेवा में हों या फिर सेवामुक्त हो चुके हों। वे हमेशा किसी अच्छे काम के लिए जान देने को भी तैयार रहते हैं। दुख की बात है कि आज उनके आत्मसम्मान और स्वाभिमान को चोट पहुंचाने की कोशिश की गई जो कि चिंता का विषय है।
3. हम पहले प्रधानमंत्री से इसलिए नहीं मिले कि हमें वरिष्ठ राजनेताओं द्वारा बार-बार की जाने वाली घोषणाओं पर पूरा विश्वास था । हमें पूरी उम्मीद थी कि स्वाधीनता दिवस के मौके पर वन रैंक वन पेंशन की घोषणा कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, साथ ही 14 अगस्त को पुलिस द्वारा किए गए बर्ताव ने हमें मजबूर किया कि हम इस मुद्दे को आपके सामने रखें।
4. वन रैंक वन पेंशन की एक ही परिभाषा है, जिसे पहले और इस समय की संसद और साथ ही रक्षा मंत्री ने पूर्व सैनिकों की मौजूदगी में माना है। यह एक समान पेंशन व्यवस्था है, जिसमें एक रैंक से और एक निश्चित अवधि में रिटायर होने वाले सेना के अफसरों और जवानों को समान पेंशन मिलेगी चाहे उनके रिटायमेंट की तिथि कोई भी हो। साथ ही एक सालाना रिव्यू सिस्टम भी होना चाहिए जो कि पहले और बाद के रिटायर हुए लोगों के पेंशन के बराबरी को देखे।
5. रक्षामंत्री ने पहले इस बारे में तीनों सेनाओं, पूर्व सैनिकों और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से सलाह-मशविरा करके फरवरी 2014 में 8300 करोड़ रुपये इसके लिए दिए थे। मैक्सिमम पेंशन डाटा के आधार पर यह फंड वित्त वर्ष 2014 में निर्धारित किया गया था।
6. बार-बार इसको लागू करने को लेकर जिस तकनीकी दिक्कत की बात की जा रही है वह न कभी हमें बताई गई और न ही इसकी चर्चा की गई इसलिए हम सभी असमंजस में हैं। ये सीधे सरकार के स्टैंडर्ड टेबल के गणित पर आधारित है। इस मामले में देरी का मतलब है कि वन रैंक वन पेंशन में जो पैरामीटर तय किये गए हैं, उनमें बदलाव हो सकता है, जो कि हमें किसी भी हालत में मंजूर नहीं होगा।
7. हमें अपने राजनैतिक नेताओं पर पूरा भरोसा है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर, जो उनकी प्रतिक्रिया है, उससे हमें निराशा हुई है। हम अपने साथियों के साथ मजबूती के साथ खड़े हैं। अब तक हम अपने शिष्टाचार की वजह से चुप रहे। वन रैंक वन पेंशन को लेकर हमारी इज्जत और सम्मान दांव पर है। हम ये बता दें कि पूर्व सैनिकों की बहुत दिनों से रुकी इस मांग को लेकर बहुत चिंतित हैं। हम सरकार से प्रार्थना करते हैं कि इस मुद्दे का जल्दी से जल्दी समाधान निकाला जाए। इसको लेकर और देरी पूर्व सैनिकों के सम्मान और सेना के हौसले को ठेस पहुंचाएगी। देश के लिये ये किसी भी हाल में सही नहीं होगा ।
खत लिखने वाले पूर्व सैनिकों के नाम...
जनरल (रिटायर्ड) वीएन सिंह
जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी
जनरल (रिटायर्ड) एस पद्मनाभन
जनरल (रिटायर्ड) एनसी विज
जनरल (रिटायर्ड) जेजे सिंह
जनरल (रिटायर्ड) दीपक कपूर
जनरल (रिटायर्ड) बिक्रम सिंह
एडमिरल (रिटायर्ड) माधवेंद्र सिंह
एयर चीफ मार्शल (रिटायर्ड) एनसी सूरी
एयर चीफ मार्शल (रिटायर्ड) एसपी त्यागी
दस पूर्व सेना प्रमुखों का वन रैंक वन पेंशन को लेकर प्रधानमंत्री को खुला पत्र
1. हम, सेना के पूर्व प्रमुख जंतर मंतर पर 14 अगस्त को शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैनिकों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई से बहुत ज्यादा दुखी हैं और इसकी निंदा करते हैं। ये सैनिक 12 जून से वन रैंक वन पेंशन की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। हम पुलिस के खिलाफ सरकार से तुरंत जांच और कार्रवाई की मांग करते हैं।
2. पुलिस की इस कार्रवाई से सेना के तीनों अंगों के हर रैंक के जवान और अफसर के स्वाभिमान और मनोबल को ठेस पहुंची है। यह ध्यान दिलाने की जरूरत नहीं कि ये वही सैनिक हैं, जो हमारे संविधान और देश के प्रति हमेशा से वफादार रहे हैं चाहे वे सेवा में हों या फिर सेवामुक्त हो चुके हों। वे हमेशा किसी अच्छे काम के लिए जान देने को भी तैयार रहते हैं। दुख की बात है कि आज उनके आत्मसम्मान और स्वाभिमान को चोट पहुंचाने की कोशिश की गई जो कि चिंता का विषय है।
3. हम पहले प्रधानमंत्री से इसलिए नहीं मिले कि हमें वरिष्ठ राजनेताओं द्वारा बार-बार की जाने वाली घोषणाओं पर पूरा विश्वास था । हमें पूरी उम्मीद थी कि स्वाधीनता दिवस के मौके पर वन रैंक वन पेंशन की घोषणा कर दी जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ, साथ ही 14 अगस्त को पुलिस द्वारा किए गए बर्ताव ने हमें मजबूर किया कि हम इस मुद्दे को आपके सामने रखें।
4. वन रैंक वन पेंशन की एक ही परिभाषा है, जिसे पहले और इस समय की संसद और साथ ही रक्षा मंत्री ने पूर्व सैनिकों की मौजूदगी में माना है। यह एक समान पेंशन व्यवस्था है, जिसमें एक रैंक से और एक निश्चित अवधि में रिटायर होने वाले सेना के अफसरों और जवानों को समान पेंशन मिलेगी चाहे उनके रिटायमेंट की तिथि कोई भी हो। साथ ही एक सालाना रिव्यू सिस्टम भी होना चाहिए जो कि पहले और बाद के रिटायर हुए लोगों के पेंशन के बराबरी को देखे।
5. रक्षामंत्री ने पहले इस बारे में तीनों सेनाओं, पूर्व सैनिकों और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से सलाह-मशविरा करके फरवरी 2014 में 8300 करोड़ रुपये इसके लिए दिए थे। मैक्सिमम पेंशन डाटा के आधार पर यह फंड वित्त वर्ष 2014 में निर्धारित किया गया था।
6. बार-बार इसको लागू करने को लेकर जिस तकनीकी दिक्कत की बात की जा रही है वह न कभी हमें बताई गई और न ही इसकी चर्चा की गई इसलिए हम सभी असमंजस में हैं। ये सीधे सरकार के स्टैंडर्ड टेबल के गणित पर आधारित है। इस मामले में देरी का मतलब है कि वन रैंक वन पेंशन में जो पैरामीटर तय किये गए हैं, उनमें बदलाव हो सकता है, जो कि हमें किसी भी हालत में मंजूर नहीं होगा।
7. हमें अपने राजनैतिक नेताओं पर पूरा भरोसा है, लेकिन इस मुद्दे को लेकर, जो उनकी प्रतिक्रिया है, उससे हमें निराशा हुई है। हम अपने साथियों के साथ मजबूती के साथ खड़े हैं। अब तक हम अपने शिष्टाचार की वजह से चुप रहे। वन रैंक वन पेंशन को लेकर हमारी इज्जत और सम्मान दांव पर है। हम ये बता दें कि पूर्व सैनिकों की बहुत दिनों से रुकी इस मांग को लेकर बहुत चिंतित हैं। हम सरकार से प्रार्थना करते हैं कि इस मुद्दे का जल्दी से जल्दी समाधान निकाला जाए। इसको लेकर और देरी पूर्व सैनिकों के सम्मान और सेना के हौसले को ठेस पहुंचाएगी। देश के लिये ये किसी भी हाल में सही नहीं होगा ।
खत लिखने वाले पूर्व सैनिकों के नाम...
जनरल (रिटायर्ड) वीएन सिंह
जनरल (रिटायर्ड) शंकर रॉय चौधरी
जनरल (रिटायर्ड) एस पद्मनाभन
जनरल (रिटायर्ड) एनसी विज
जनरल (रिटायर्ड) जेजे सिंह
जनरल (रिटायर्ड) दीपक कपूर
जनरल (रिटायर्ड) बिक्रम सिंह
एडमिरल (रिटायर्ड) माधवेंद्र सिंह
एयर चीफ मार्शल (रिटायर्ड) एनसी सूरी
एयर चीफ मार्शल (रिटायर्ड) एसपी त्यागी
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