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This Article is From Apr 01, 2023

"केंद्र ही इस मामले में निर्णय ले सकता है...", दलबदल कानून को लेकर EC ने SC में दाखिल किया हलफनामा

चुनाव आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग वह निकाय है जो संसद, राज्य विधानमंडलों और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के चुनावों के संचालन का निर्देशन और नियंत्रण करता है.

"केंद्र ही इस मामले में निर्णय ले सकता है...", दलबदल कानून को लेकर EC ने SC में दाखिल किया हलफनामा
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा
नई दिल्ली:

चुनाव आयोग ने दलबदल कानून के तहत अयोग्य ठहराए गए सांसदों और विधायकों को चुनाव लड़ने से रोकने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया. आयोग ने कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामे में कहा है कि केंद्र सरकार ही इस मामले निर्णय ले सकती है. वही इसके लिए उचित ऑथिरिटी है. आयोग ने कहा कि इस मामले में शामिल मुद्दा संविधान के अनुच्छेद 191(1)(ई) की व्याख्या से संबंधित है. इसका अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग के कार्यक्षेत्र और चुनाव के संचालन से कोई संबंध नहीं है.

चुनाव आयोग ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग वह निकाय है जो संसद, राज्य विधानमंडलों और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के कार्यालयों के चुनावों के संचालन का निर्देशन और नियंत्रण करता है. बता दें कि मध्य प्रदेश से कांग्रेस नेता जया ठाकुर द्वारा  भारतीय संविधान की संविधान के अनुच्छेद 191(1)(ई) और दसवीं अनुसूची का उल्लंघन करने पर विधायकों और सांसदों को पांच साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की है.

बता दें कि दबबदलने वाले नेताओं को लेकर समय-समय पर विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से प्रतिक्रिया आती रही है. कुछ वर्ष पहले ही ऐसे नेताओं को लेकर राजस्थान के मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बड़ी टिप्पणी की थी. उस दौरान उन्होंने कह था कि पार्टी बदलना संसदीय लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है, इस प्रवृत्ति को रोका जाना चाहिए. संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका के बाबत चर्चा के लिए आयोजित एक कार्यशाला में गहलोत ने कहा था कि अगर कोई निर्वाचित जनप्रतिनिधि पार्टी बदल लेता है तो उसकी सदस्यता खत्म कर दी जानी चाहिए. बता दें, सन् 1985 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, 52वां संशोधन कर दलबदल विरोधी कानून लाया गया था और संविधान की 10वीं अनुसूची में इसे जोड़ा गया था. लंबे अरसे तक पार्टी बदलने की घटनाएं थम गई थीं.

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