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This Article is From Oct 05, 2022

इस गांव में दशहरे पर नहीं जलता रावण का पुतला, बल्कि की जाती है उसकी आरती

स्थानीय लोगों का दावा है कि रावण को उसकी 'बुद्धि और तपस्वी गुणों' के लिए पूजे जाने की परंपरा पिछले 300 वर्षों से गांव में चल रही है.

इस गांव में दशहरे पर नहीं जलता रावण का पुतला, बल्कि की जाती है उसकी आरती
यहां राक्षस राज की आरती की जाती है.
अकोला:

विजयादशमी पर जब देश भर में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं तो वहीं महाराष्ट्र का एक गांव ऐसा भी है जहां दशहरा थोड़ा अलग अंदाज में होता है और यहां राक्षस राज की आरती की जाती है.

अकोला जिले के संगोला गांव के कई निवासियों का मानना है कि वे रावण के आशीर्वाद के कारण नौकरी करते हैं और अपनी आजीविका चलाने में सक्षम हैं और उनके गांव में शांति व खुशी राक्षस राज की वजह से है.

स्थानीय लोगों का दावा है कि रावण को उसकी 'बुद्धि और तपस्वी गुणों' के लिए पूजे जाने की परंपरा पिछले 300 वर्षों से गांव में चल रही है. गांव के केंद्र में 10 सिरों वाले रावण की एक लंबी काले पत्थर की मूर्ति है.

स्थानीय निवासी भिवाजी ढाकरे ने बुधवार को दशहरा के अवसर पर बताया कि ग्रामीण भगवान राम में विश्वास करते हैं, लेकिन उनका रावण में भी विश्वास है और उसका पुतला नहीं जलाया जाता है.

स्थानीय लोगों ने कहा कि देश भर से लोग हर साल दशहरे पर लंका नरेश की प्रतिमा देखने इस छोटे से गांव में आते हैं और कुछ तो पूजा भी करते हैं.

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संगोला के रहने वाले सुबोध हटोले ने कहा, “महात्मा रावण के आशीर्वाद से आज गांव में कई लोग कार्यरत हैं. दशहरे के दिन हम महा-आरती के साथ रावण की मूर्ति की पूजा करते हैं.”

ढाकरे ने कहा कि कुछ ग्रामीण रावण को “विद्वान” मानते हैं और उन्हें लगता है कि उसने “राजनीतिक कारणों से सीता का अपहरण किया और उनकी पवित्रता को बनाए रखा”.

स्थानीय मंदिर के पुजारी हरिभाऊ लखड़े ने कहा कि जहां देश के बाकी हिस्सों में दशहरे पर रावण के पुतले जलाए जाते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, संगोला के निवासी “बुद्धि और तपस्वी गुणों” के लिए लंका के राजा की पूजा करते हैं.

लखड़े ने कहा कि उनका परिवार लंबे समय से रावण की पूजा कर रहा है और दावा किया कि गांव में सुख, शांति और संतोष लंका के राजा की वजह से है.

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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