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उमर अब्दुल्ला गांदरबल निर्वाचन क्षेत्र से लड़ेंगे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 

Jammu and Kashmir assembly election 2024 : जून 2018 से जम्मू-कश्मीर में कोई चुनी हुई सरकार नहीं है. अब एक बार फिर लोग अपनी सरकार चुनेंगे.

उमर अब्दुल्ला गांदरबल निर्वाचन क्षेत्र से लड़ेंगे जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 
उमर अब्दुल्ला ने पहले कहा था कि जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश रहेगा, वह चुनाव नहीं लड़ेंगे.

Omar Abdullah will contest Assembly Election : जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला गांदरबल निर्वाचन क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. यह घोषणा लोकसभा सदस्य सैयद रुहुल्लाह मेहदी और एनसी के प्रांतीय अध्यक्ष नासिर असलम वानी ने रविवार को उमर अब्दुल्ला और एनसी के वरिष्ठ नेता और अनंतनाग-राजौरी निर्वाचन क्षेत्र से सांसद मियां अल्ताफ अहमद की उपस्थिति में की. उमर अब्दुल्ला गांदरबल जिले के नुनेर गांव आए थे, जहां एक राजनीतिक कार्यकर्ता सईम मुस्तफा पार्टी में शामिल हुए.

पहले कहा था नहीं लड़ेंगे

सईम मुस्तफा ने श्रीनगर सीट के लिए लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिसमें सैयद रुहुल्लाह मेहदी ने अन्य उम्मीदवारों के साथ सईम को भी हरा दिया था. उमर अब्दुल्ला के विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले की रविवार की घोषणा ने उनके पहले के बयान को खारिज कर दिया है कि जब तक जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बना रहेगा, वह चुनाव में खड़े नहीं होंगे. उमर अब्दुल्ला 2009 से 2015 तक पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रहे और अपनी पार्टी के अध्यक्ष भी रहे. वह तीन बार लोकसभा सांसद रहे हैं और उन्होंने गांदरबल (2008-2014) और बीरवाह (2014-2019) विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व किया है. वह 2002 का विधानसभा चुनाव गांदरबल से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के काजी मोहम्मद अफजल से हार गए थे.

कब है चुनाव?

भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) ने जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों वाले विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए पहले ही नोटिस जारी कर दिया है. पहले चरण में घाटी और जम्मू संभाग में फैले 24 विधानसभा क्षेत्रों में 18 सितंबर को मतदान होगा. दूसरे चरण के लिए मतदान 25 सितंबर को और आखिरी चरण के लिए 1 अक्टूबर को होगा. वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी और पूरी मतदान प्रक्रिया 6 अक्टूबर तक समाप्त हो जाएगी. जून 2018 से जम्मू-कश्मीर में कोई चुनी हुई सरकार नहीं है, जब बीजेपी ने महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था. राज्य राज्यपाल शासन के अधीन आ गया और तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी. 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया गया और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया.

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