लोकसभा चुनाव के साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव कराया जाए : उमर अब्दुल्ला

पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा विधानसभा चुनाव हारने से डर रही है और जानबूझकर चुनाव में देरी कर रही है.

लोकसभा चुनाव के साथ जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव कराया जाए :  उमर अब्दुल्ला

नई दिल्ली:

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा का चुनाव कराने की वकालत करते हुए कहा कि लोगों को राजभवन के माध्यम से शासित होने के बजाय निर्वाचित सरकार चुनने का अवसर चाहिए. उन्होंने राजनीति में ‘परिवारवाद' का भी बचाव किया और गृह मंत्री अमित शाह की उस टिप्पणी पर सवाल उठाया जिसमें उन्होंने कहा था कि केंद्र शासित प्रदेश में आतंकवाद से संबंधित मौतों के लिए तीन परिवार-नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां), पीपुल्स डेमोक्रेटिव पार्टी (पीडीपी) और कांग्रेस जिम्मेदार हैं.

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘मुझे प्रधानमंत्री (नरेन्द्र मोदी) से कोई शिकायत नहीं है, जो एक बड़े आदमी हैं और मुझसे उम्र में बड़े भी हैं. मुझे (मेरे खिलाफ उनकी टिप्पणियों को लेकर) कोई आपत्ति नहीं है. हालांकि, मैं उनसे कहना चाहता हूं कि उन्हें विधानसभा चुनाव की घोषणा करनी चाहिए और हम देखेंगे कि जनता किसे वोट देती है.'' वह मोदी की उस टिप्पणी के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘‘यदि आप अब्दुल्ला के उत्तराधिकारियों की उन्नति चाहते हैं, तो नेकां के पक्ष में मतदान करें. परंतु आप अपने बेटे, बेटी और पोते-पोतियों की प्रगति चाहते हैं, तो भाजपा को वोट दें.''

अब्दुल्ला ने वर्ष 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में लागू उपराज्यपाल शासन का संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘आप (प्रधानमंत्री) लोगों को मौका नहीं दे रहे हैं...चुनाव होने दीजिए, नतीजे आपके सामने होंगे कि वे नेकां को पसंद करते हैं या नहीं. हम उनमें से नहीं हैं जो राजभवन के जरिए लोगों पर शासन कर रहे हैं.'' उन्होंने कहा, ‘‘आपको संसदीय चुनाव (अगले साल) कराने हैं, इसके साथ विधानसभा चुनाव (जम्मू-कश्मीर में) भी होने दीजिए. हमें मौका दीजिए, हम देखेंगे कि कौन सही है और कौन गलत है.''

पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि भाजपा विधानसभा चुनाव हारने से डर रही है और जानबूझकर चुनाव में देरी कर रही है. पार्टी पर परिवारवाद अपनाने के आरोप पर उन्होंने कहा कि देश में वामपंथियों को छोड़कर ऐसी कोई पार्टी नहीं है, जिसमें परिवारवाद न हो. अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अपने बेटे-बेटियों को कहीं न कहीं समायोजित कर लिया है. फर्क सिर्फ इतना है कि हम इसे छिपाते नहीं हैं और स्वीकार कर लेते हैं.

हमारी राजनीतिक पृष्ठभूमि है और हमें अपना रिपोर्ट कार्ड जनता के सामने पेश करना होगा जो या तो हमें स्वीकार करेगी या अस्वीकार करेगी. यह लोकतंत्र है और सभी को चुनाव में भाग लेने का अधिकार है.''उन्होंने कहा, ‘‘अगर मैं एक राजनीतिक परिवार से हूं तो इसका मतलब यह नहीं है कि मेरे लिए राजनीति में कोई जगह नहीं है. यह मेरा अधिकार है और मैं राजनीति में हूं.''

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