मुम्बई:
पाकिस्तान नाम से ही दुश्मन का आभास होता है। उसी नाम का नगर मुंबई के पास नालासोपारा में है। इलाके के वाशिदों का आरोप है कि ये नाम उन्होंने नहीं पुलिस ने दिया है और सरकारी बिजली कंपनी उसी नाम से बिजली बिल भेज रही है।
बिजली बिल पर ’पाकिस्तान’ का तमगा लगा रहता है। आखिर इलाके को अलग-थलग करने का मकसद क्या है।
लोगों के घरों मे बिजली देने वाली महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्युशन कंपनी ने अपने बिलों पर यही पता छाप रखा है।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब यहां के लोगों ने आधार कार्ड बनवाने के लिए बिजली के बिल दिए। तब कुछ बिलों पर पता छोटा पाकिस्तान लिखा हुआ मिला। इलाके के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान का लेबल लगने से वे खुद परेशान हैं।
स्थानीय निवासी हाजी याकूब का कहना है कि जब इस नाम से पुकारा जाता है तो हमारे दिल को ठेस पहुंचती है। हम पाकिस्तानी नहीं हैं। हम हिंदुस्तानी हैं। इससे हमे काफी तकलीफ होती है।
कंपनी की कारामात सिर्फ छोटा पाकिस्तान के नाम पर ही खत्म नहीं होती। यहां पर कंपनी ने एक 'लादेन नगर' भी बसा दिया है।
सागर वेलफेअर सोसायटी में रमजान मोहम्मद हाफिज की भी शिकायत है है कि उनके बिजली बिल में लादेन नगर लिखकर आता है और कई बार शिकायत करने पर भी उसे ठीक नहीं किया जा रहा है। जबकि 2007 में जब उन्होनें बिजली के लिए आवेदन किया था तो उसमें सभी दस्तावेज लक्ष्मीनगर के नाम के थे।
स्थानीय निवासी रमजान मोहम्मद हाफिज का कहना है कि एमएस ईबी वाले जो आते हैं, मेरे दोस्त हैं, उन्हें बताया तो वे हंसते हैं।
नालासोपारा पूर्व में संतोष भुवन और हाईवे के बीच बसे इस इलाके का नाम छोटा पाकिस्तान कैसे पड़ गया, इसके पिछे भी कहानी है।
स्थानीय निवासी हाजी याकूब ने बताया कि यहां बिल्डर और पुलिस के बीच लफड़ा चलता रहता है तो पुलिस वालों ने ही इसे छोटा पाकिस्तान कहना शुरू कर दिया।
बिजली विभाग की इस घोर लापरवाही को उजागर करने वाली स्थानीय नगरसेविका छाया पाटिल नें कलेक्टर को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की है।
नगरसेविका छाया पाटिल का कहना है कि बिजली बिल सरकारी दस्तावेज है। इसमें छोटा पाकिस्तान नाम आ गया तो कैसे आ गया। कौन जिम्मेदार है। मुस्लिम इलाका है, इसलिए ऐसा नाम देना गलत है, यहां के लोग हिंदुस्तानी हैं।
मामला उजागर होने के बाद महावितरण के अधिकारी अब जांच की बात कह अपना पल्ला झाड रहे हैं।
महावितरण कंपनी के अधिकारी सुभाष बोधरे का कहना है कि मुझे अधिकार नहीं है। ये कनेक्शन 2007 में दिया है। मुझे तो पता नहीं
किसी सरकारी कमर्चारी के लिए यह शरारतभर हो सकता है, लेकिन यहां के रहने वालों के लिए अपने ही देश में पराया बनाने से कम नहीं।
बिजली बिल पर ’पाकिस्तान’ का तमगा लगा रहता है। आखिर इलाके को अलग-थलग करने का मकसद क्या है।
लोगों के घरों मे बिजली देने वाली महाराष्ट्र इलेक्ट्रिसिटी डिस्ट्रीब्युशन कंपनी ने अपने बिलों पर यही पता छाप रखा है।
इस बात का खुलासा तब हुआ जब यहां के लोगों ने आधार कार्ड बनवाने के लिए बिजली के बिल दिए। तब कुछ बिलों पर पता छोटा पाकिस्तान लिखा हुआ मिला। इलाके के लोगों का कहना है कि पाकिस्तान का लेबल लगने से वे खुद परेशान हैं।
स्थानीय निवासी हाजी याकूब का कहना है कि जब इस नाम से पुकारा जाता है तो हमारे दिल को ठेस पहुंचती है। हम पाकिस्तानी नहीं हैं। हम हिंदुस्तानी हैं। इससे हमे काफी तकलीफ होती है।
कंपनी की कारामात सिर्फ छोटा पाकिस्तान के नाम पर ही खत्म नहीं होती। यहां पर कंपनी ने एक 'लादेन नगर' भी बसा दिया है।
सागर वेलफेअर सोसायटी में रमजान मोहम्मद हाफिज की भी शिकायत है है कि उनके बिजली बिल में लादेन नगर लिखकर आता है और कई बार शिकायत करने पर भी उसे ठीक नहीं किया जा रहा है। जबकि 2007 में जब उन्होनें बिजली के लिए आवेदन किया था तो उसमें सभी दस्तावेज लक्ष्मीनगर के नाम के थे।
स्थानीय निवासी रमजान मोहम्मद हाफिज का कहना है कि एमएस ईबी वाले जो आते हैं, मेरे दोस्त हैं, उन्हें बताया तो वे हंसते हैं।
नालासोपारा पूर्व में संतोष भुवन और हाईवे के बीच बसे इस इलाके का नाम छोटा पाकिस्तान कैसे पड़ गया, इसके पिछे भी कहानी है।
स्थानीय निवासी हाजी याकूब ने बताया कि यहां बिल्डर और पुलिस के बीच लफड़ा चलता रहता है तो पुलिस वालों ने ही इसे छोटा पाकिस्तान कहना शुरू कर दिया।
बिजली विभाग की इस घोर लापरवाही को उजागर करने वाली स्थानीय नगरसेविका छाया पाटिल नें कलेक्टर को पत्र लिखकर मामले की शिकायत की है।
नगरसेविका छाया पाटिल का कहना है कि बिजली बिल सरकारी दस्तावेज है। इसमें छोटा पाकिस्तान नाम आ गया तो कैसे आ गया। कौन जिम्मेदार है। मुस्लिम इलाका है, इसलिए ऐसा नाम देना गलत है, यहां के लोग हिंदुस्तानी हैं।
मामला उजागर होने के बाद महावितरण के अधिकारी अब जांच की बात कह अपना पल्ला झाड रहे हैं।
महावितरण कंपनी के अधिकारी सुभाष बोधरे का कहना है कि मुझे अधिकार नहीं है। ये कनेक्शन 2007 में दिया है। मुझे तो पता नहीं
किसी सरकारी कमर्चारी के लिए यह शरारतभर हो सकता है, लेकिन यहां के रहने वालों के लिए अपने ही देश में पराया बनाने से कम नहीं।
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