ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार को हुए भीषण ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) के बाद रेलवे सुरक्षा (Railway Safety) को लेकर नई बहस छिड़ गई है. देश की एक टॉप ऑडिटर कंपनी ने रेलवे सुरक्षा और ट्रैक की मरम्मत पर खर्च किए गए फंड को अपर्याप्त बताते हुए रिपोर्ट पब्लिश की थी. रेलवे के सूत्रों ने इस रिपोर्ट का खंडन किया है. सूत्रों ने कहा कि ऑडिट रिपोर्ट में 2019-20 तक के तीन साल के डेटा शामिल हैं, जिसके बाद सुरक्षा उपायों के लिए बजट बढ़ाया गया था. साथ ही बजट का पूरा इस्तेमाल भी किया गया. सूत्रों ने कहा, "बयानों के विपरीत... रेलवे ने सुरक्षा के मुद्दों पर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए हैं."
कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया (CAG) ने 2022 में ट्रेनों के पटरी से उतरने की घटनाओं को लेकर चिंता जताई थी. उसने रिपोर्ट में यह पता लगाने के लिए कहा था कि रेल मंत्रालय ने ट्रेनों के पटरी से उतरने और ट्रेनों को टकराने से रोकने के स्पष्ट उपाय तय या कार्यान्वित किए हैं या नहीं. कैग ने इंस्पेक्शन में भारी कमी, हादसों के बाद जांच रिपोर्ट जमा करने या स्वीकार करने में विफलता, प्राथमिकता वाले कार्यों के लिए तय रेलवे फंड का उपयोग नहीं करना, ट्रैक नवीनीकरण के लिए फंडिंग में कमी और सुरक्षा के लिए अपर्याप्त स्टाफ को लेकर गंभीर चिंता जताई थी.
रेलवे सूत्रों ने यूपीए सरकार के 10 साल के दौरान सुरक्षा पर खर्च किए गए बजट की तुलना एनडीए सरकार के 9 साल से करते हुए कहा कि ट्रैक नवीनीकरण पर खर्च 47 हजार 39 करोड़ से बढ़कर 1 लाख 9 हजार 23 करोड़ हो गया है. ये दोगुने से अधिक की वृद्धि को दर्शाता है. सूत्रों ने कहा कि ट्रैक नवीनीकरण, पुलों, लेवल क्रॉसिंग, सिग्नलिंग सहित सुरक्षा उपायों पर कुल खर्च 70 हजार 274 करोड़ रुपये से बढ़कर 1 लाख 78 हजार 12 करोड़ रुपये हो गया है.
सूत्रों ने यह भी कहा कि सरकार ने रेल सुरक्षा के लिए एक लाख करोड़ रुपये का नॉन-लैप्सेबल पांच साल का फंड बनाया है. इसका पूरा इस्तेमाल किया जा चुका है. फरवरी 2022 से फंड की वैधता को पांच साल और बढ़ा दिया गया है.
ऑडिटर की रिपोर्ट पिछले साल संसद में पेश की गई थी. ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद इस रिपोर्ट का हवाला दिया जा रहा है. शुक्रवार को हुए हादसे में 270 से अधिक लोगों की मौत हो गई है.1100 से अधिक लोग घायल हुए हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि रेलवे पटरियों की ज्योमेट्रिकल और स्ट्रक्चरल कंडीशन का आकलन करने के लिए ट्रैक रिकॉर्डिंग इंस्पेक्शन में 30-100 प्रतिशत तक की कमी देखी गई. रिपोर्ट में ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम में नाकामियों की ओर भी इशारा किया गया है. ओडिशा ट्रेन दुर्घटना के बाद ट्रैक मैनेजमेंट सिस्टम पर व्यापक रूप से चर्चा हो रही है.
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