ओबीसी आरक्षण पर राज्यों को अधिकार देने वाला संविधान संशोधन बिल लोकसभा में पारित हो चुका है. आज उसे राज्यसभा में पेश किया गया है, जहां बिल पर चर्चा जारी है. चर्चा के दौरान केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि इस बिल पर चर्चा के लिए निर्धारित तीन घंटे के समय को बढ़ाए जाने पर सरकार तैयार है. उधर सदन में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि इस बिल को पास कराने के लिए अगर रात 12:00 बजे तक भी बैठना पड़े तो हम बैठेंगे और बिल पास कराकर रहेंगे.सरकार की ओर से संसद में जानकारी दी गई कि ओबीसी में क्रीमी लेयर के पैमानों को बदलने पर विचार किया जा रहा है. सरकार ने बताया कि क्रीमी लेयर को तय करने करने के लिए आय के पैमानों के बदलने पर विचार हो रहा है.
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, 'देर आए लेकिन दुरुस्त आए.' उन्होंने कहा कि सरकार को यह बिल पहले लेकर आना चाहिए था. उन्होंने कहा कि इस संविधान संशोधन बिल में आपने 50 फ़ीसदी आरक्षण कोटे की सीमा को लेकर एक शब्द भी नहीं बोला है, जबकि इसे बढ़ाए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 75 से 80 फ़ीसदी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां 50% की सीमा का उल्लंघन हो चुका है. सिंघवी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस बिल के जरिए राज्यों को एक कागजी दस्तावेज देकर अपनी पीठ थपथपाना चाह रही हैं.
सिंघवी ने कहा, "सरकार के रोजगार में आज ओबीसी समुदाय को 22 फ़ीसदी से भी कम आरक्षण है. आप कहते हैं 27% आरक्षण दे रहे हैं लेकिन वास्तविकता 22% ही है और उसमें भी अधिकतर ग्रुप सी कैटेगरी में ही यह प्राप्त है." उन्होंने सरकार से पूछा, आप Caste Census से क्यों दूर भाग रहे हैं? आप इससे क्यों कतरा क्यों रहे हैं? जबकि बिहार के मुख्यमंत्री, उड़ीसा के मुख्यमंत्री और आप के सांसद ने कल ही कहा कि आप यह करने वाले हैं. फिर सरकार चुप क्यों बैठी है सरकार के मंत्री चुप क्यों बैठे हैं?"
कांग्रेस के ही सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि इस बिल में सरकार ने इसका न तो कोई उदेदश्य बताया है और न ही कारण. उन्होंने कहा कि सांसदों को बांटे गए बिल में इसका जिक्र किया जाना चाहिए था.
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