नई दिल्ली: भारतीय फर्मों द्वारा निर्यात किए जाने वाले खांसी के सिरप के लिए विश्व स्तर पर उठाए जा रहे गुणवत्ता के मुद्दों के बीच, केंद्र सक्रिय रूप से अन्य देशों में भेजे जाने से पहले सरकारी प्रयोगशालाओं में दवाओं के परीक्षण के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि दवा नियामक प्राधिकरण, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने निर्यात से पहले सरकारी प्रयोगशालाओं में दवाओं (तैयार उत्पादों) का परीक्षण करने का प्रस्ताव दिया है.
प्रस्ताव के अनुसार, निर्यातकों को अधिकृत प्रयोगशालाओं द्वारा जारी किए गए बैचों के विश्लेषण का प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा, जिसके बाद ही विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) निर्यात के लिए खेप जारी करने की मंजूरी देगा. निर्यात खेप से नमूने के विश्लेषण का भारतीय फार्माकोपिया आयोग, केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) प्रयोगशालाओं यानी आरडीटीएल (चंडीगढ़), सीडीएल (कोलकाता), सीडीटीआई (चेन्नई), सीडीटीआई (हैदराबाद) में परीक्षण किया जाना प्रस्तावित है. , सीडीटीएल (मुंबई), आरडीटीआई। (गुवाहाटी)) और राज्य सरकारों की एनएबीएल से मान्यता प्राप्त दवा परीक्षण प्रयोगशालाएं भी शामिल हैं.
एक अधिकारी ने कहा, "सीडीएससीओ ने कहा है कि कम गुणवत्ता वाले कफ सिरप को भारत से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रवेश करने से रोकने के लिए सरकार से कुछ हस्तक्षेप आवश्यक था."
बीते दिनों में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा गाम्बिया में बच्चों की मौत से जुड़ी एक भारतीय फर्म द्वारा बनाए गए चार कफ सिरप पर अलर्ट जारी किया गया था और इन सीरप को खतरनाक बताया गया था. डब्ल्यूएचओ ने 29 सितंबर को भारत में नियामक को सूचित किया था. इसके बाद परीक्षण किए गए 23 नमूनों में से 4 में डायथिलीन ग्लाइकोल/एथिलीन ग्लाइकोल पाया गया था. इस घटना के बाद भारत ने कप सीरप बनाने वाली कंपनियों के प्रोडक्ट की क्वालिटी चेकिंग की थी और कुछ कंपनियों के प्रोडक्ट पर रोक लगा दी थी.
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