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This Article is From Nov 30, 2016

नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को दीर्घकाल में फायदा होगा : अरविंद पनगढ़िया

नोटबंदी से अर्थव्यवस्था को दीर्घकाल में फायदा होगा : अरविंद पनगढ़िया
प्रतीकात्मक फोटो.
  • अर्थव्यवस्था पर काफी सकारात्मक प्रभाव होगा
  • बैंक खातों में जमा राशि बढ़ने के साथ ही वित्तीय मध्यस्थता बढ़ी
  • हम डिजिटल लेनदेन की तरफ बढ़ेंगे तो हमारी लेनदेन क्षमता बढ़ेगी
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नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने आज कहा कि सरकार के नोटबंदी के फैसले का दीर्घकाल में अर्थव्यवस्था पर काफी सकारात्मक प्रभाव होगा क्योंकि इससे लोग अधिक से अधिक डिजिटल लेनदेन की ओर बढ़ेंगे.

पनगढ़िया ने यहां भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा आयोजित वैश्विक ऊर्जा परिचर्चा पर आयोजित कार्यक्रम के मौके पर कहा, ‘‘आपको इसका (नोटबंदी) का प्रभाव लंबे समय में दिखाई देगा. यह काफी सकारात्मक होगा.’’ पनगढ़िया के विचार के उलट कई अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने यह आशंका जताई है कि नोटबंदी से चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ेगा.

पनगढ़िया ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘‘बैंक खातों में जमा राशि बढ़ने के साथ ही वित्तीय मध्यस्थता बढ़ी है. इसका मतलब यह है कि जिस पूंजी को अब तक निजी तौर पर निवेश किया जाता रहा है उसे अब वित्तीय संस्थानों के जरिए निवेश किया जाएगा. इसका अर्थव्यवस्था पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा. जैसे-जैसे हम डिजिटल लेनदेन की तरफ बढ़ेंगे हमारी लेनदेन की क्षमता बढ़ेगी. यह भी सकारात्मक होगा.’’ फिच रेटिंग ने कल ही भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के अनुमान को 7.4 प्रतिशत से घटाकर 6.9 प्रतिशत कर दिया. एजेंसी ने कहा नोटबंदी के बाद आर्थिक गतिविधियों में अस्थाई रूप से बाधा उत्पन्न हुई है.

नोटबंदी के बाद आर्थिक वृद्धि को लेकर अर्थशास्त्रियों और रेटिंग एजेंसियों द्वारा चिंता व्यक्त किए जाने पर पनगढ़िया ने कहा, ‘‘हर कोई अपने विचार व्यक्त कर रहा है. यह देखने की बात है कि आगे क्या होता है. एचडीएफसी बैंक के आदित्य पुरी ने कहा है कि इस बारे में (जीडीपी वृद्धि पर नोटबंदी का प्रभाव) बढ़ा चढ़ाकर बताया जा रहा है.’’

नोटबंदी को लेकर विपक्षी दलों के विरोध के कारण पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में कामकाज बाधित है. विपक्षी दल इस मुद्दे पर दोनों सदनों में लगातार हंगामा कर कार्यवाही नहीं चलने दे रहे हैं.

रिजर्व बैंक के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) को अस्थाई रूप से बढ़ाने के मुद्दे पर पनगढ़िया ने कहा, ‘‘यह रिजर्व बैंक के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा है. बैंकिंग प्रणाली में जब काफी नकदी आ जाती है तो रिजर्व बैंक इस तरह के उपाय करता है.’’ उन्होंने आगे कहा, ‘‘रेपो दर (जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को फौरी जरूरत के लिए नकदी उपलब्ध कराता है) और बैंकिंग तंत्र में तरलता एक दूसरे के अनुरूप होनी चाहिए. बैंकिंग तंत्र में करीब 8 लाख करोड़ रुपये आए हैं. अन्य उपाय मौद्रिक स्थिरीकरण योजना के जरिए किए गए. लेकिन इसमें और समय लगता.’’

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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