बीएसपी प्रमुख मायाती (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बीजेपी विरोधी पार्टियों में उपचुनावों के बाद फिर से गैरकांग्रेसी मोर्चे की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है. एनसीपी ने सीधे-सीधे कांग्रेस के नेतृत्व में गठबंधन की बात कर दी है. मायावती भी इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन यानी EVM के मुद्दे पर इसके लिए तैयार हैं. यानी मुद्दों के बिना पर आपसी विरोधियों को आपस में हाथ मिलाने में संकोच नहीं है. देश में बीजेपी को चुनौती देने के लिए समान विचारधारा वाले विपक्षी दलों को साथ लाने के लिए कांग्रेस को गंभीरता से पहल करनी चाहिये. उपचुनावों में बीजेपी को मिली अच्छी जीत के बाद एनसीपी नेता डी पी त्रिपाठी ने ये बात कही. शरद पवार भी हाल में कह चुके हैं बीजेपी के बढ़ते प्रभाव के संदर्भ में कांग्रेस के पास छोटे और क्षेत्रीय दलों के साथ हाथ मिलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.
डी पी त्रिपाठी ने एनडीटीवी से कहा, "शरद पवार ने सही कहा है...देश में मोदी के खिलाफ वैचारिक और राजनीतिक संघर्ष बिना कांग्रेस के नहीं हो सकता...कांग्रेस को इस गठजोड़ का नेतृत्व करना होगा. सबके साथ बैठकर बात करनी होगी... कांग्रेस अकेले नहीं लड़ सकती." उपचुनावों के नतीजों के बीच फिर से ईवीएम पर छिड़ी बहस भी इस गठजोड़ का रास्ता बनाती दिख रही है. इस मसले पर कई पार्टियां सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के साथ हैं और मायावती ने साफ़ कर दिया है कि इस मसले पर विपक्ष से हाथ मिलाने में उन्हें गुरेज़ नहीं.
मायावती ने शुक्रवार को कहा, "EVM में गड़बड़ी के विरुद्ध किए जा रहे संघर्ष में अगर बीजेपी विरोधी पार्टियां हमारे साथ आना चाहेंगी तो हमें हाथ मिलाने में कोई परहेज नहीं है." हालांकि बीजेपी के खिलाफ गठजोड़ बनाने की बात बार-बार होती है लेकिन उसकी चुनौतियां कम नहीं हैं. अलग-अलग राज्यों में आमने-सामने खड़े क्षेत्रीय दलों को एक ही मंच पर लाना आसान नहीं होगा. और सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस गठजोड़ का नेतृत्व कौन करेगा.
डी पी त्रिपाठी ने एनडीटीवी से कहा, "शरद पवार ने सही कहा है...देश में मोदी के खिलाफ वैचारिक और राजनीतिक संघर्ष बिना कांग्रेस के नहीं हो सकता...कांग्रेस को इस गठजोड़ का नेतृत्व करना होगा. सबके साथ बैठकर बात करनी होगी... कांग्रेस अकेले नहीं लड़ सकती." उपचुनावों के नतीजों के बीच फिर से ईवीएम पर छिड़ी बहस भी इस गठजोड़ का रास्ता बनाती दिख रही है. इस मसले पर कई पार्टियां सुप्रीम कोर्ट में कांग्रेस के साथ हैं और मायावती ने साफ़ कर दिया है कि इस मसले पर विपक्ष से हाथ मिलाने में उन्हें गुरेज़ नहीं.
मायावती ने शुक्रवार को कहा, "EVM में गड़बड़ी के विरुद्ध किए जा रहे संघर्ष में अगर बीजेपी विरोधी पार्टियां हमारे साथ आना चाहेंगी तो हमें हाथ मिलाने में कोई परहेज नहीं है." हालांकि बीजेपी के खिलाफ गठजोड़ बनाने की बात बार-बार होती है लेकिन उसकी चुनौतियां कम नहीं हैं. अलग-अलग राज्यों में आमने-सामने खड़े क्षेत्रीय दलों को एक ही मंच पर लाना आसान नहीं होगा. और सबसे बड़ा सवाल ये है कि इस गठजोड़ का नेतृत्व कौन करेगा.
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