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This Article is From May 19, 2023

"कोई राज्य नहीं..." : SC के 'द केरला स्टोरी' पर बंगाल में लगे बैन को हटाने पर बोले मेकर्स

शीर्ष अदालत के फैसले के बाद, 'द केरला स्टोरी' के निर्माता विपुल शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से फिल्म देखने का आग्रह किया और कहा कि अगर वो कोई आलोचना करेंगी तो वो उनका स्वागत करेंगे.

"कोई राज्य नहीं..." : SC के 'द केरला स्टोरी' पर बंगाल में लगे बैन को हटाने पर बोले मेकर्स
कोर्ट ने निर्माताओं से फिल्म में एक डिस्क्लेमर जोड़ने को कहा.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फिल्म 'द केरला स्टोरी' पर पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिबंध पर रोक लगा दी. हालांकि, कोर्ट ने निर्माताओं से फिल्म में एक डिस्क्लेमर जोड़ने को कहा कि ये घटनाओं का काल्पनिक लेखा-जोखा है और इसका कोई डेटा नहीं है जो इस दावे का समर्थन करते हैं कि केरल में 32,000 महिलाओं को इस्लाम में परिवर्तित होने और आतंकवादी समूह आईएसआईएस में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया था.

शीर्ष अदालत के फैसले के बाद, 'द केरला स्टोरी' के निर्माता विपुल शाह ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से फिल्म देखने का आग्रह किया और कहा कि अगर वो कोई आलोचना करेंगी तो वो उनका स्वागत करेंगे.

एएनआई के अनुसार शाह ने कहा, "हाथ जोड़कर मैं ममता दीदी से कहना चाहता हूं कि वह इस फिल्म को हमारे साथ देखें और अगर उन्हें ऐसा कुछ मिलता है तो हमारे साथ चर्चा करें. हम उनकी सभी वैध आलोचनाओं को सुनना चाहेंगे और अपना दृष्टिकोण प्रस्तुत करना चाहेंगे." 

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखना पश्चिम बंगाल सरकार का कर्तव्य है, लेकिन फिल्म को केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा प्रमाणित किया गया है. हालांकि, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने जोर देकर कहा कि अगर पश्चिम बंगाल में फिल्म "द केरला स्टोरी" की स्क्रीनिंग के कारण कोई मुद्दा उठता है, तो विपक्ष को सत्तारूढ़ पार्टी को दोष नहीं देने का कोई अधिकार नहीं है. 

सुदीप्तो सेन द्वारा निर्देशित और विपुल शाह द्वारा निर्मित, 'द केरल स्टोरी' में अदा शर्मा, योगिता बिहानी, सोनिया बलानी और सिद्धि इडनानी हैं और यह 5 मई को रिलीज़ हुई थी. 

निर्देशक सुदीप्तो सेन ने कहा, "सेंसर बोर्ड द्वारा पारित किए जाने के बाद कोई भी राज्य किसी फिल्म पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता है. यह प्रतिबंध अवैध था. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर साबित कर दिया कि हर किसी को फिल्म देखने का अधिकार है, आप इसे पसंद करें या न करें लेकिन आप किसी को नहीं रोक सकते."

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