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This Article is From Jan 19, 2021

पीएम आवास योजना में आशियाना बना नहीं, केंद्र से बधाई पत्र मिल गया

योजना के तहत साल 2015 में जिन पात्र हितग्राहियों ने मकानों का निर्माण शुरू किया था उनकी राशि अभी तक खातों में नहीं डाली गई

पीएम आवास योजना में आशियाना बना नहीं, केंद्र से बधाई पत्र मिल गया
आगर मालवा में विनोद को पीएम आवास योजना की अंतिम किश्त का इंतजार है.
भोपाल:

साल के पहले दिन यानी एक जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब लाइट हाउस प्रोजेक्ट का वर्चुअल शिलान्यास कर रहे थे और उसी दिन मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने दावा किया कि प्रधानमंत्री आवास योजना (PM Awas Yojana) के तहत बनाए जाने वाले मकानों की राशि हितग्राहियों के खाते में सीधी डाली जा रही है, बिचौलियों का काम खत्म कर दिया गया है और मकानों का निर्माण कार्य तय सीमा में पूरा कर लिया जाएगा. दावों की बानगी यह है कि 2015 में जिन पात्र हितग्राहियों ने मकानों का निर्माण शुरू किया था उनकी राशि अभी तक खातों में नही डल पाई है. वहीं छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के डौंडी लोहारा में दर्जनों लोगों को आशियाना तैयार किए बिना ही केंद्र से बधाई पत्र मिल गया.
     
आगर मालवा के वार्ड नंबर 10 में पक्की दीवारों के बीच खुली छत के नीचे उड़ता हुआ धुआं प्रधानमंत्री आवास योजना की धुंधली तस्वीर बयान करता है. साल 2019 में बनी सूची में विनोद का नाम आया करीब 2 साल की मशक्कत के बाद जैसे तैसे अपना कच्चा मकान तोड़कर पक्के मकान का निर्माण कार्य शुरू किया और घर की चारदीवारी बना ली. मगर अब महीनों बीत जाने के बाद भी विनोद को अंतिम किश्त का इंतजार है. खुले में पड़े हैं, सरिये भी गायब हो गए हैं ... पेमेंट होगा तो हम चलाएंगे घर का काम.

    
उनकी पत्नी भौरी बाई कहती हैं, खुले में पड़े हैं.. मावठे में पड़े हैं हमको किराये से भी मकान नहीं दे रहे हैं, खाना बाहर बना लेते हैं, सो अंदर जाते हैं.
    
माधव नगर पालिका परिषद की 2019 में बनी डीपीआर में 1554 हितग्राहियों को शामिल किया गया जिसमें से केवल 718 पात्रों के लिए नगर पालिका को एक एक लाख रुपये की राशि आवंटित की गई. नियमों का पेच फंसा उसमें से 418 हितग्राहियों के खाते में पहली किश्त के रूप में एक एक लाख रुपए डाले गए और अगले ही दिन इन पर होल्ड लगा दिया गया जिससे हितग्राही खातों से पैसा नहीं निकाल पाए और मकानों का काम अधूरा पड़ा है.
     
जैसे 2019 में सुशीला का नाम पात्रता सूची में था, उन्होंने साहूकारों से कर्ज लेकर काम शुरू कर दिया अब 2 साल से ज्यादा का समय गुजर गया लेकिन सुशीला के खाते में एक रुपया भी नहीं आया. पक्के मकान का निर्माण तो अधूरा है सुशीला को रहने के लिए किराए का घर लेना पड़ा जिसका बोझ अलग. मेरा मकान खुला कर्ज करके बनाया, कैसे गुजारा कर सकती हूं, छत नहीं डाला, मकान यूं बनाया कि सूची में आ गया फोटो खींच कर ले गये, वो चेक करने आते हैं उन्होंने बोला ... कच्चे घर के फोटो ले गये. नगर पालिका रोज जाती हूं चक्कर लगाकर पैर दुख गये.
     
इसी वार्ड के रहने वाले विनोद बैरागी उम्र और मजबूरी तस्वीरों में दिखती है. दोनों पैरों से चल नहीं सकते इस ट्राई साइकिल के सहारे उम्मीदों का घर बनाने के लिए नगर पालिका कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. पात्रता सूची में नाम आने के ढाई साल बाद भी विनोद को योजना का लाभ नहीं मिल रहा वह इस टूटे-फूटे कच्चे मकान में ही गुजर बसर कर रहे हैं. 2018 में मेरा नाम आया था, पैसे डल गये मुझे 3 महीने हो गये पैसे डले थे तो आस बंधी थी पैसे होल्ड पर चले गये टापरी में आ गये, पैसे निकले नहीं काम चालू किया नहीं.

    
तस्वीरें बहुत सारी है जहां जरूरतमंद पात्र हितग्राहियों में ने पक्के मकान की आस में अपने घरोंदों को तोड़ लिया. नियमों की आड़ में जिम्मेदार अधिकारी फाइलों को यहां से वहां करने में लगे हैं.
    
सीएमओ बने सिंह सोलंकी कहते हैं ... वहां लगभग पेमेंट कर चुके हैं कुछ लोगों का 20000-30000 बचा है, शासन को प्रेषित कर दिया है जल्दी भुगतान हो जाएगा. मेरा भरसक प्रयास रहेगा जल्द से जल्द हो जाए.
    
छत्तीसगढ़ के डौंडीलोहारा में तो मामला अनूठा है. वार्ड नंबर 11 में दर्जनों ऐसे लोग हैं जो अपने आशियाने को कच्चे से पक्का करने की बाट जोह रहे हैं. पात्रता रखते हैं, नाम भी आ गया ... घर नहीं बना ... ये और बात हकि केन्द्र से किश्त नहीं ... खत आ गया है ...

घर पूरा होने की बधाई वाला ... अब ये सोच रहे हैं ... ईट भी नहीं लगी लेकिन बधाई मिल गई ...बधाई को रखें या सरकार को ससम्मान लौटा दें. बलराम साहू कहते हैं जो फॉर्म भरा था वो स्वीकृत हो गया, अभी प्रधानमंत्री का लेटर मिला तो पता लगा कि आवास बन चुका है जबकि हम कच्चे घर में ही रहते हैं.

वहीं राखी सारंगपुर का कहना है अभीतक घर बना नहीं है, 2 साल हो गया है बधाई लेटर आ गया लेकिन अभी भी टूटे फूटे घर में ही हैं.
    
कलेक्टर जनमेजय मोहबे अब मामले की जानकारी लेने की बात कह रहे हैं. आपके माध्यम से मेरे संज्ञान में आया है वहां के जो स्थानीय अधिकारी हैं उनसे जानकारी लेकर आपको बता पाऊंगा. बड़ा सवाल ये है कि अगर पक्के मकान बने ही नहीं तो फिर बधाई संदेश केंद्र की ओर से कैसे आया, इन खामियों के साथ क्या मार्च 2022 तक योजना में सारे हितग्राहियों को पक्का घर मिल पाएगा.

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