नई दिल्ली:
वैश्विक वेबसाइट और सोशल मीडिया कंपनियों के बीच बढ़ती बेचैनी दूर करते हुए संचार एवं आईटी मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि इंटरनेट पर नियंत्रण करने की भारत की कोई योजना नहीं है।
यहां आईएएमएआई के एक कार्यक्रम के दौरान दूरसंचार सचिव आर चन्द्रशेखर ने संवाददाताओं को बताया, ‘हम किसी तरह की सेंसरशिप में विश्वास नहीं करते। दुनियाभर में हर कंपनी को कानून के मुताबिक परिचालन करना होता है। एक देश में परिचालन करने की इच्छुक किसी भी कंपनी को वहां के कानून का पालन करना होता है।’ उन्होंने कहा कि हर कोई प्रौद्योगिकी से वाकिफ है और कानून का पालन कराने के लिए कुछ प्रणाली विकसित करने की जरूरत है।
हाल ही में केन्द्र सरकार ने एक अदालत में एक रपट दाखिल करते हुए कहा था कि फेसबुक, गूगल, याहू और माइक्रोसाफ्ट सहित 21 वेबसाइटों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सामग्री है। इन कंपनियों पर कथित तौर पर समुदायों के बीच शत्रुता को प्रोत्साहन देने का आरोप है।
गूगल इंडिया की ओर से अदालत में पेश हुए वकील एनके कौल ने तर्क दिया कि ‘यह मुद्दा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संविधान के मुद्दे से जुड़ा है और इसे दबाना संभव नहीं है क्योंकि लोकतांत्रिक देश भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।
हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय के जज न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने मामले की सुनवाई के दौरान गूगल इंडिया और फेसबुक इंडिया को चेताया कि अगर वे अपनी वेबसाइटों पर आपत्तिजनक सामग्री रोकने और उन्हें हटाने में विफल रहती हैं तो उनकी वेबसाइटों को ‘ब्लॉक’ किया जा सकता है।
यहां आईएएमएआई के एक कार्यक्रम के दौरान दूरसंचार सचिव आर चन्द्रशेखर ने संवाददाताओं को बताया, ‘हम किसी तरह की सेंसरशिप में विश्वास नहीं करते। दुनियाभर में हर कंपनी को कानून के मुताबिक परिचालन करना होता है। एक देश में परिचालन करने की इच्छुक किसी भी कंपनी को वहां के कानून का पालन करना होता है।’ उन्होंने कहा कि हर कोई प्रौद्योगिकी से वाकिफ है और कानून का पालन कराने के लिए कुछ प्रणाली विकसित करने की जरूरत है।
हाल ही में केन्द्र सरकार ने एक अदालत में एक रपट दाखिल करते हुए कहा था कि फेसबुक, गूगल, याहू और माइक्रोसाफ्ट सहित 21 वेबसाइटों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सामग्री है। इन कंपनियों पर कथित तौर पर समुदायों के बीच शत्रुता को प्रोत्साहन देने का आरोप है।
गूगल इंडिया की ओर से अदालत में पेश हुए वकील एनके कौल ने तर्क दिया कि ‘यह मुद्दा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संविधान के मुद्दे से जुड़ा है और इसे दबाना संभव नहीं है क्योंकि लोकतांत्रिक देश भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार है।
हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय के जज न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने मामले की सुनवाई के दौरान गूगल इंडिया और फेसबुक इंडिया को चेताया कि अगर वे अपनी वेबसाइटों पर आपत्तिजनक सामग्री रोकने और उन्हें हटाने में विफल रहती हैं तो उनकी वेबसाइटों को ‘ब्लॉक’ किया जा सकता है।
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