बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले दिनों अपने चार दिनों के दिल्ली दौरे पर विपक्ष के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की. राहुल गांधी के अलावा शरद पवार, अरविंद केजरीवाल, मुलायम सिंह यादव, ओम प्रकाश चौटाला, सीताराम येचुरी, डी राजा और दीपांकर भट्टाचार्य से मिलकर उन्होंने विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश की. उनकी इस पहल की विपक्ष के सभी नेताओं ने तारीफ की है. वहीं आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी शिवानंद तिवारी ने भी सफल बताया है.
शिवानंद तिवारी ने कहा कि नीतीश कुमार की पहली मुहिम बहुत सफल रही. सबसे बड़ी बात है कि बगैर परहेज के नीतीश कुमार सभी नेताओं से मिले. उन सभी नेताओं ने बहुत गर्मजोशी के साथ उनका स्वागत किया और उनकी पहल का समर्थन किया. ऐसा नहीं है कि उनकी पहली यात्रा में ही भाजपा विरोधी गठबंधन बन गया है. लेकिन बन सकता है इसकी संभावना दिखाई देने लगी है.
उन्होंने कहा कि भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार एक ऐसे नेता के रूप में उभरे हैं, जिनके साथ बात करने में किसी को गुरेज नहीं है. न ही नीतीश कुमार को किसी से मिलने और बात करने में किसी तरह का संकोच है.
पूर्व सांसद ने कहा कि भाजपा विरोधी राजनीति में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं था, जो सबसे बात कर सकता हो या सब उनसे बगैर संकोच अपनी बात या अपनी आशंका साझा कर सकता हो. नीतीश कुमार की पहल ने उस शून्यता को भर दिया है. अभी इतना भर पर्याप्त है. इसके लिए नीतीश कुमार बधाई के पात्र हैं.
गौरतलब है कि नेताओं से मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा था, “मैं नेता नहीं बूनंगा. मैं केवल विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश करूंगा. बीजेपी देश पर कब्जा करने का प्रयास कर रही है. यदि सबने एकजुट होकर चुनाव लड़ा तो तस्वीर अलग होगी. हम सभी लोगों से बात कर रहे हैं."
उन्होंने कहा, "यह ‘मुख्य मोर्चा' होगा, तीसरा मोर्चा नहीं." विपक्ष के नेताओं के साथ अपनी बातचीत को उन्होंने सकारात्मक बताते हुए कहा कि आम चुनाव 2024 बहुत अच्छे होंगे, जबकि अब तक यह एकतरफा मुकाबला रहा है. इस सवाल पर कि चुनाव 2024 में पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा कौन होगा, नीतीश ने कहा, "आप उनके (पीएम के) द्वारा किए गए काम को देखिए. उन्होंने केवल विज्ञापन किया है, नाम बदले हैं. काम के मामले में उनके पास ज्यादा कुछ नहीं है."
नीतीश कुमार की यह मुहिम अब तक विपक्ष के नेताओं को एक हद तक प्रभावित करने में सफल रही है. इससे पहले शरद पवार और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के प्रयासों के बावजूद राज्य स्तरीय प्रतिद्वंद्विता के चलते कांग्रेस, अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी, मायावती की बसपा और वाम दलों ने इस मामले में खुद को अलग रखा था.
बिहार के सीएम ने कहा, “पवार और मैं दोनों उन विपक्षी ताकतों को एकजुट करना चाहते हैं, जो भाजपा के साथ नहीं हैं. गठबंधन के नेता का फैसला बाद में किया जा सकता है. पहले एक साथ आना जरूरी है.” बिहार के मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए एक बार फिर दिल्ली आएंगे, जो निजी कारणों से विदेश यात्रा पर हैं.
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