नीति आयोग के सीईओ (NITI Aayog CEO) अमिताभ कांत (Amitabh Kant) ने शुक्रवार को NDTV से बातचीत में कहा कि देश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के चलते लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान केंद्र व राज्य सरकारें प्रवासी मजदूरों का ध्यान रखने के लिए बहुत कुछ कर सकती थीं. उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन की वजह से कोरोना को फैलने से रोकने में हम काफी हद तक कामयाब हुए हैं लेकिन प्रवासी श्रमिकों के संकट को खराब तरीके से नियंत्रित किया गया.'
उन्होंने कहा, 'ये समझना बेहद जरूरी है कि प्रवासियों के मुद्दे काफी वर्षों से चुनौती बने हुए हैं. हमने उनके लिए कानून बनाए हैं. राज्य सरकारों की जिम्मेदारी थी कि वो ये सुनिश्चित करतीं कि हर मजदूर का ध्यान रखा जाए. भारत जैसे बड़े देश में केंद्रीय शासन से संबंधित सरकार की भूमिका सीमित होती है. ये एक चैलेंज था, जो मुझे लगता है कि हम इस मामले में लोकल, जिला स्तर और राज्य स्तर तक मजदूरों के लिए बहुत-बहुत बेहतर कर सकते थे.'
बताते चलें कि लॉकडाउन की वजह से कामकाज बंद हो गया. दूसरे राज्यों में काम करने के लिए गए मजदूर व अन्य क्षेत्रों से जुड़े श्रमिक वहां फंस गए. पैसे खत्म हो गए और फिर जब भोजन का संकट पैदा हुआ तो प्रवासियों को घर लौटने के सिवा कोई रास्ता नजर न आया. केंद्र सरकार ने राज्यों की सहमति के बाद श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाईं लेकिन यह इंतजाम नाकाफी था. श्रमिक पैदल व अन्य साधनों से अपने गृहराज्य की ओर बढ़ने लगे और फिर एक के बाद एक कई सड़क हादसों में दर्जनों मजदूरों की दर्दनाक मौत की खबरें आईं.
रोड एक्सीडेंट के बढ़ते ग्राफ को देख केंद्र व राज्य सरकारों ने सख्ती बढ़ाते हुए प्रवासियों के पैदल व किसी भी अन्य साधन से घर जाने पर रोक लगाई. उत्तर प्रदेश के औरेया में हुए सड़क हादसे के बाद कैबिनेट सचिव ने सभी राज्य के मुख्य सचिवों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की और प्रवासियों के लिए ट्रेन व बस का इंतजाम करने को कहा. फिलहाल सभी राज्यों में पुलिस पैदल जाने वाले प्रवासियों को रोक उन्हें बस से भिजवाने का इंतजाम कर रही है.
VIDEO: औरैया हादसे के बाद सतर्क हुआ प्रशासन, ट्रकों के ऊपर बैठे मजदूरों का उतारा जा रहा
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